मैं फूल पलाश बनूं, और...

411000 व्‍यूअर से मिले प्‍यार से न्‍यूज भारत के एक वर्ष पूरे पहली वर्षगांठ पर 'मेरे अल्‍फाज' की पहली प्रस्‍तुति पवन शुक्‍ल, सिलीगुड़ी काव्‍य की रचनाएं सपनों के मंजिल को पाने की तमन्‍ना होती है। काव्य की रचानाओं के प्रति निष्ठा सच्ची हो,  तो प्रकाशित होने या ना होने से कोई फर्क नहीं पड़ता। रचनाओं की अपनी विरासत होती है, रचना लिखना और रचनाओं के संग्रह से ही उसकी लगन और सच्ची निष्ठा ही उस रचनाकार के " साधना की शख्शियत " होती है। ऊहापोह की जिंद

सिलीगुडी की कवित्रियां ‘श्रीमती कमला सिन्हा सम्मान’ से सम्‍मानित

उत्‍तर बंगाल के सिलीगुड़ी की कवित्रियों ने प्रतियोगिता में लहराया परचम न्‍यूज भारत, सिलीगुड़ी :  काव्‍य और साहित्‍य के क्षेत्र में देश की आधी आबादी का योगदान सराहनीय है। हलांकि गैर हिंदी भाषी क्षेत्र होने के बावजूद भी सिलीगुड़ी की हिंदीभाषी महिलाओं का योगदान सराहनीय है। साहित्यिक संस्था राष्ट्रीय आंचलिक साहित्य संस्थान द्वारा श्रीमती कमला सिन्हा जी के स्मृति में आयोजित अखिल भारतीय साहित्यिक प्रतियोगिता संपन्न हुआ। इसमें सिलीगुड़ी की महिल

तन, मन सहयोग से सफलता के शिखर को छूना

रामनवमी पर विशेष:  एक आह्वान सभी देशवासियों से आओ ! पवन शुक्‍ल, सिलीगुड़ी शौक और सपने एक हो, तो जीवन के राह में आने वाली सभी बाधाएं भी उसे पूरा करने से रोक नहीं सकती। व्‍यक्ति जब सपनों की दुनियां में खोता है, तो कुछ पल के लिए सपनें अधूरे होते हैं, परंतु लगन दिल है पूरे होने में समय तो लगता है,परंतु वे ख्‍वाब पूरे होते है। एक बात जरूर है कि जिंदगी कभी कभी इम्‍तहान भी लेती, परंतु लक्ष्‍य की प्राप्ति का संकल्‍प और दिल की टीस जब सपनों को पूरा करने के लिए प्रेर

कान्हा को समझा देना...

रंगों का पर्व होली अब परवान चढ रही है। पूरे देश में जहां होली पर विभिन्‍न प्रकार के आयोजन होता है। ब्रज की होली, लठ्ठमार होली के गांव की होली का आनंद कुछ और ही होता है। होली के पावन पर्व अवसर पर प्रस्‍तुत है अमरावती गुप्‍ता की काव्‍य रचना।   काहे सोवत नैन जगाये रहे मन्द मन्द मुस्काये रहे हे सांवरे तेरी नियत कछु   मोहे समझ नही आये रहे राधा प्यारी.. होली आई रंग भर पिचकारी मारेंगे तेरी घाघरा, तेरी चोली तुझको भी रंग डालेंगे छुप कर मोसे कैसे बचोग

जीवन जलता मधुमास है.....

महिला काव्‍य मंच की 19वीं काव्‍य गोष्‍ठी संपन्‍न न्‍यूज भारत, सि‍लीगुड़ी : महिला काव्य मंच, सिलीगुड़ी इकाई की बुधवार को 19वीं महिला काव्य गोष्ठी का आयोजन ऑनलाइन किरण अग्रवाल जी के मोहक संचालन में सफलता पूर्वक संपन्न हुआ। काव्‍य की रसधारा में गोते लगा रहे लोगों को जब अंजु डोकानियां ने अपनी कविता को सुनाया तो काव्‍य की बयार मन में बह चली। ‘जीवन जलता मधुमास है, मृगमरीचिका सा आभास है। इच्छाओं पे विराम नही, अविरल चलती जल त्रास है। बीते कब आठ पहर जाने, ये का

प्यार का इजहार, क्यों होता बसंत का इंतजार ?

‘वेलेंटाइन डे’ मतलब 5वां मौसम प्‍यार का प्रेम की परिभाषा अनंत है, हम प्रेम में जीते हैं और प्रेम में मरते हैं। आदिकाल से प्रेम मतलब ‘प्‍यार’ हमारे जीवन की अनूठी परिभाषा के रूप में समाहित है। पश्चिमी सभ्‍यता की आग में हमारी भारतीय सनातनी संस्‍कृति तेजी से विलय हो रही है। इसी सभ्‍यता में एक नया ट्रेंड आ गया है,  वेलेंटादल डे। वसंत मौसम के आहट आते ही अर्थात फरवरी में वेलेंटाइन सप्‍ताह की शुरूआत 7 फरवरी से शुरू होता है। जिसमें 7 फरवरी को रोड डे, 8 को प

...और चाय की प्‍याली में रचनाओं का तूफान

साधना की शख्शियत-48 पवन शुक्‍ल, सिलीगुड़ी जीवन के हर दौर में संर्घष है, यही संर्घष लक्ष्‍य प्राप्‍ति की ओर ले जाता है। संर्घष के बाद मिलने वाली मंजिल का एहसास बहुत ही सुखद होती है। काव्‍य और साहित्‍य से जुड़ाव पारिवारिक विरासत की पहचान होते है, लेकिन अक्‍सर यही देखा जाता है। लेकिन अगर कोई जिसकी परिवार में दूर-दूर तक काव्‍य या साहित्‍य से कोई मतलब नहीं होता। सिर्फ दो जून की रोटी के लिए गिरमिटीय मजदूरों की तरह धूप, छांव और बरसात के बीच बिना थकेख्‍ बिन

रफ्तार, से रैप में रफ्तार बना राह प्रनब

साधना की शख्शियत-47 एक वर्ष से रैप सांग पर खुद ही कर रहा प्रयास, रैप सिंगर रफ्तार को  बताया आईकाँन पवन शुक्ल, सिलीगुड़ी किसी को उसकी मंजिल की तरफ ले जाने का जब नशा चढ़ जाय, तो समझ लो कि मंजिल बुला रही है। संगीत, नृत्य या प्रतियोगि परीक्षा का हो अगर किसी युवा को नशा हो गया तो, वह मंजिल पर कदम रखकर ही चैन की सांस लेता है। पूर्वोत्तर के चिकननेक कहे जाने वाले शहर सिलीगुड़ी में एक 13 वर्षीय प्रनब मंत्री को रैप का नशा इस कदर चढ़ा कि वह अकेले दम पर एक मुकाम की राह पर चल

अर्ध सत्य तुम, अर्ध स्वप्न तुम, अर्ध निराशा-आशा...

साधना की शख्शियत-46 पवन शुक्‍ल, सिलीगुड़ी सदियों से नारी को वस्तु और पुरुष की संपत्ति समझा जाता रहा है। पुरुष नारी का उत्‍पीड़न कर सकता है, उसके दिल के साथ खेल सकता है, उसके मनोबल को तोड़ सकता है। मानो नारी के साथ यह सब करने का अघोषित अधिकार मिला हुआ है। मगर यह भी सच है कि अनेक नारियों ने हर प्रकार की विपरीत और कठिन परिस्थितियों का डटकर सामना करते हुए उन पर विजय प्राप्त की और इतिहास में अपना नाम अमर किया है। आज की बदली हुई तथा अपेक्षया अनुकूल परिस्थितियों मे

यहां मंजिलों के छूने की तमन्‍ना, तो पूरे करने के सपने भी...!

साधना की शख्शियत-45 पवन शुक्‍ल, सिलीगुड़ी "जीवन में हर पल खास है " मंजिलों को पाने की ख्वाहिश तो बचपन से ही होती हैं । लेकिन ख्वाहिश को हकीकत में बदलने के लिए हौसले की आवश्यकता होती है। इसके लिए परिश्रम जरूरी है, तब जिन्दगी खुद के मंजिलों को खास बनातीं है। जिन्दगी को मूल्यवान बनाने की अहम् कड़ी को शिक्षा माना जाता है और मेरा मन शिक्षा की ओर अग्रसर होकर काव्य रचना में बस सी गयी। कविता-पाठ करने में मेरी रूचि बचपन से ही रही कई बार मैंने विद्यालय प्रतियोगिता

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