‘राष्ट्रीय आंचलिक साहित्य संस्थान’ का महाकवि सम्मेलन संपन्न
न्यूज भारत, सिलीगड़ी : कोरोना के संकट ने अब काव्य की रसधारा को मंच खुले मंच के बजाया साइबर तकनीकी जूम पर सीमट गया है। इसक्रम में 'राष्ट्रीय आंचलिक साहित्य संस्थान ने जूम एप महाकवि सम्मेलन का आयोजन किया। इस कवि सम्मेलन में जहां देश की महान कवियों ने अपना परचम लहराया, वहीं पूर्वोत्तर के चिकननेक की धरती के जलवे भी इस कवि सम्मेलन में देखने को मिले।
इस कार्यक्रम में विशिष्ट अतिथि के रूप में पूर्व सांसद, वरिष्ठ साहित्यकार प्रोफेसर ओमपाल सिंह ‘निडर’ की उपस्थित ने कार्यक्रम की गरिमा बढ़ाई। वहीं उनकी साहित्यिक प्रतिभा ने सभी का मन मोह लिया। कार्यक्रम की शुरूआत सरस्वती वंदना से हुई। श्रीमति सरस्वती मिश्रा की मधुरवाणी से मां वीणा वादनी की स्तुति कर सबका मन मोह लिया। कवि सम्मेलन का उद्घाटन संस्था के संस्थापक सह राष्ट्रीय अध्यक्ष नवलपाल प्रभाकर 'दिनकर' ने किया। कार्यक्रम में राष्ट्रीय महासचिव रुपेश कुमार की देखरेख में और कार्यक्रम का संचालन वरिष्ठ कवयित्री सह बिहार की अध्यक्ष श्रीमती बबिता सिंह के साथ श्रीमती वेद् स्मृति कीर्ति ने किया। इस कवि सम्मेलन में सिलीगुड़ी की ऋतु गर्ग, भारती सुजीत बिहानी, आशा बंसल, निशा गुप्ता व एडवोकेट रिंकी गुप्ता ने अपनी जोरदार प्रस्तुति दी। वहीं इसमें देश के अन्य राज्यों से रजनी वर्मा, भोपाल, डॉ. मधुकर राव लारोकर, बेंगलोर (कर्नाटक), वीना आडवाणी 'तन्वी' नागपुर, गीता पाण्डेय अपराजिता रायबरेली, गरिमा विनित भाटिया अमरावती महाराष्ट्र, डॉ मंजु गुप्ता, वाशी, नवी मुंबई, आशा श्रीवास्तव भोपाल, भास्कर सिंह माणिक, कोंच, आशीष भारती, सहारनपुर (उत्तर प्रदेश), डॉ. राधा वाल्मीकि, पंतनगर उत्तराखंड, सुनीता कुमारी प्रसाद, डॉ रमणीक शर्मा अंबाला हरियाणा, नेतलाल प्रसाद यादव, गिरिडीह, झारखंड, नवीन नव बीगोद राजस्थान, सनुक लाल यादव, बालाघाट मध्यप्रदेश स्मिता पाल (साई स्मिता), झारखंड, प्रीतम कुमार झा, महुआ, वैशाली, बिहार, रमा बहेड हैदराबाद, मिथिलेश कुमार सिंह वाराणसी उत्तर प्रदेश, वेदस्मृति कृती, जितेंद्र कुमार चंद्राकर छत्तीसगढ़, सुधा बसोर, गाजियाबाद, कंचन वार्ष्णेय, कवि तुलसी विश्वास, डॉ. आशुतोष (रेवाड़ी हरियाणा), आशीष पाठक 'अटल', मधुबनी, बिहार सुरेन्द्र नाथ सिंह गाज़ीपुर उ. प्र. कल्पना भदौरिया स्वप्निल उत्तरप्रदेश में प्रोफेसर डॉ. सुनीता मिश्रा बिलासपुर छ. ग., डॉ मोहन लाल अरोड़ा, संस्था की राष्ट्रीय सचिव एव लॉ ऑफिसर सुप्रीम कोर्ट दिल्ली एडवोकेट अनुजा मनु जी लखनऊ उत्तर प्रदेश, वी अरुणा, कोलकता, भीम कुमार, झारखंड संगीता भारद्वाज, सिलिगुड़ी, ज्योति भाष्कर 'ज्योतिर्गमय', सहरसा, बिहार, कल्पना चौधरी, ऊ. प्र. प्रोफेसर प्रिंसेस डॉ रचना सिंह रश्मि आगरा, अंजना सिन्हा, सीता देवी राठी, बंगाल, गीता पांडेय, इन्दु भुवन झा, मधुबनी, पूर्व पुलिस अधिकारी एव वरिष्ठ साहित्यकार कामेश्वर कुमार कमे ने अपनी अतुलनीय रचना से सबका दिल मोह लिए एव बिहार की अध्यक्ष बबिता सिंह की मनमोहन रचना ने सबको मंत्रमुग्ध कर दिया। इत्यादी ने सुन्दर प्रस्तुति देकर चार चांद लगा दी। समापन की घोषणा बिहार की अध्यक्ष सह विशिष्ठ संचालिका बबिता सिंह के द्वारा राष्ट्रीय महासचिव रुपेश कुमार को मंच पर बुलाकर किया गया। जिसमें संस्था के बारे में संक्षिप्त जानकारिया दी गई एव पृथ्वी की परिकल्पना होती है बेटियाँ रचना से समाप्ति संबोधन किया गया।