‘वेलेंटाइन डे’ मतलब 5वां मौसम प्यार का
प्रेम की परिभाषा अनंत है, हम प्रेम में जीते हैं और प्रेम में मरते हैं। आदिकाल से प्रेम मतलब ‘प्यार’ हमारे जीवन की अनूठी परिभाषा के रूप में समाहित है। पश्चिमी सभ्यता की आग में हमारी भारतीय सनातनी संस्कृति तेजी से विलय हो रही है। इसी सभ्यता में एक नया ट्रेंड आ गया है, वेलेंटादल डे। वसंत मौसम के आहट आते ही अर्थात फरवरी में वेलेंटाइन सप्ताह की शुरूआत 7 फरवरी से शुरू होता है। जिसमें 7 फरवरी को रोड डे, 8 को प्रपोज डे, 9 को चाकलेट डे, 10 ट्रेडी डे, 11 प्रामिस डे, 12 हग डे, 13 को कीस डे और 14 फरवरी को वेलेंटाइन डे अर्थात प्यार के परिभाषा का अंत और उसके बाद शुरू होता है इंतजार ?। वास्तव में प्यार का ना तो कोई डे होता है और ना ही कोई परिभाषा। आधनिकता और दिखावे के कारण तेजी से विलुप्त हो रही भारत की सनातनी संस्कृति अब पश्चिमी सभ्यता की गिरफ्त में हैं। जरूरत है युवाओं के धड़कते दिलों को प्यार की सही परिभाषा बताने की। क्योंकि प्यार अनंत है, इसका कोई मोल नहीं है, जीवन के चार काल होते हैं, उनमें से एक काल प्यार के लिए होता है अर्थात पांचवां मौसम प्यार का।
हर साल 14 फरवरी को बड़े ही उत्साह से मनाया जाता है,, ‘वेलेंटाइन डे’ ‘यानी प्यार का दिन’ उसे मनाने का दिन, अपने प्यार को महसूस करने का दिन, अपने प्यार को जताने का दिन। समझ नही आता लोग ये दिन क्यूँ मनाते हैं, जबकी प्यार का तो पूरा जीवन होता है, हर दिन, हर घड़ी, हर साल, सालों साल। प्यार कोई त्यौहार नही, जो उक्त दिन मना लिए, फिर एक साल में आयेगा तो मनायेंगे। पश्चिमी देशों का चलन अब अपने देश में भी जोर शोर से चल निकला है, इसके लिए बकायदा फरवरी का इंतजार होता है, बाजारों में वेलेंटाइन के गिफ्ट भरे पड़े हैं, इन चोंचलों का व्यापारी भी भरपूर लाभ उठाते हैं। नवयुवक युवतियाँ हर बातों को ताक पर रख कर इस दिन को सेलिब्रेट करते हैं, उन्हें कोई रोक टोक पसन्द नहीं। ये हमारी सभ्यता , संस्कृति है या नही, इससे कोई फर्क नही पड़ता। इस दिन उन्हें कोई प्रतिबंध नही चाहिए, आजादी चाहिए अपने कथित प्यार से मिलने की, चाहे वो होटल का कमरा ही क्यों ना हो।
इस तरह कथित प्रेम को अपना सर्वस्व सौंपने से पहले उन्हें ये विचार नही आता की इसके परिणाम घातक हो सकते हैं, कोई विडियो बना कर उनका गलत इस्तेमाल कर सकता है, ब्लैक मेल कर सकता है। और ऐसा हो भी रहा है, हमेशा ऐसी घटनाओं का जिक्र हमें पढ़ने, देखने को मिल ही जाता है, घर के बाहर निकलने के पहले विचार करें क्या सही है, क्या गलत, बाद में पछताने के अलावा कुछ हाथ नही आता।
प्रेम एक बहुत ही पवित्र भावना है, एक ऐसा अहसास जो लाखों करोड़ों में किसी एक के लिए मन में उपजता है और वो दुनिया का सबसे खूबसूरत शय हो जाता है। उसके ख्याल, उसकी यादें, उसकी सलामती सर्वोपरि होती है। उसे कोई तकलीफ ना हो, हमारी किसी बातों से उसका दिल ना दुखे, हमारी वजह से उसके मान, सम्मान पर कोई आंच ना आये, भले ही दूर रहे या पास , लेकिन आबाद रहे, ये सारी बातें सच्चे प्यार करने वालों के मन में होती हैं। जिसमें हवस की कोई गुंजाइश दूर दूर तक नही होती। रिस्ते बहुत ही कीमती होते हैं, जो इसे निभाना जानते हैं वो बदले में किसी से कुछ अपेक्षा नही करते। चाहत के वहम में खोई जिंदगियों को किसी की कही गई अच्छी बातें भी नागवार गुजरती हैं, वो जिस प्यार के भरम में जीतें हैं उनका मिथ्या भरम भी एक दिन चकनाचूर होता है, जब सबकुछ लुटाने के बाद भी शख्स अपना नहीं होता, दूसरे वेलेंटाइन किसी और के साथ इस दिन को सेलिब्रेट कर रहा होता है।
वेलेंटाइन डे पर प्रस्तुत है सिलीगुड़ी साहित्यिक काव्य मंच की अमरावती गुप्ता के विचार।