मेरे पिता मेरे घर की ढाल

फादर-डे पर विशेष

न्‍यूज भारत, सिलीगुड़ी : परंपराओं के देश में दिनों की शुरूआत की फेरहिस्‍त लंबी होती जा रही है। भारत के देश भारत में आज कल डे मनाने की पंरपरा की शुरुआत हो चली है। हलांकि मदर डे, फादरडे, वेलेंटाइनडे, योगाडे समेत कई डे की शुरूआत हो चली है। लेकिन वास्‍तव में अगर डे अर्थात हर दिन बेहतर होता है। इसमें सबसे महत्‍वपूर्ण मदरडे और फादरडे (पिता दिवस) है। आज 20 जून को पिता दिवस मनाने की परंपरा के अवसर पर सिलीगुड़ी की आशा बंसल ने पिता दिवस पर कुछ पक्तियों को अपने अल्‍फाल में पिरोया है। प्रस्‍तुत है पिता दिवस पर उनकी प्रस्‍तुति..।   

" मेरे पिता मेरे घर की ढाल"

मेरे पिता मेरे घर की ढाल है  ,

नहीं और कोई घर में उनके समान हैl

रखते घर की सारी बखूबी जानकारी है,

उनके बराबर नहीं कोई घर में इंसान है l

बच्चों को उन्होंने बखूबी पढ़ाया लिखाया,

प्यार से समझा कर शिक्षा का महत्व बताया l

ऊंच-नीच की बातों से करते वह सचेत थे ,

मेरे पिताजी नेक रस्ते पर चलने की सलाह देते थे l

जीवन में लोगों को समझना हमें सिखाया,

नेक कार्य कर सबको समाज सेवा करना सिखाया l

बांट देखते थे उनके घर आने की बेचैनी से,

हाथ में पैकेट जरूर लाते थे बच्चों के लिए मिठाई के l

याद आती है उनकी दी हुई नसीहत  हमें,

काम आती है जिंदगी में आगे बढ़ने उनकी नसीहत हमेंl

नहीं चुका पाएंगे हम उनका कर्ज पूरा कभी,

सात जन्म भी कम पड़ जाएंगे एहसान चुकाने उनका यही l

धन्य हो आप मेरे भगवान समान पिता,

हमें सिखा दिया आपने गरीबों पर दया करना हमेशा l 

प्रस्‍तुति-आशा बंसल सिलीगुड़ी पश्चिम बंगाल