कितने ही शब्दों और मशीनों का अविष्कार हो जाए, किंतु व्यक्ति ही सर्वोच्च है । उसकी मानसिकता ही सर्वोच्च है । कृषि संशोधन बिल सही है या गलत है, यह सटीक रूप से कहना निरर्थक है । विश्व में दो प्रकार की विचारधारा समानांतर कार्य करती हैं, एक है पूंजीवादी विचारधारा और दूसरी है समाजवादी विचारधारा । यह दोनों परस्पर विरोधाभासी हैं । यह बिल भी इन दोनों विचारधाराओं के आधार पर मापा जा रहा है । पूंजीवादी सोच इसे सही ठहरा सकती है, किंतु समाजवादी सोच इसे अन्या
RAJASTHAN
सार्जेंट का द्रोह और गांधी नीति
भारतीय इतिहास में गांधी, शब्द वह है जो चिर परिचित शब्द है। गांधी को ना केवल आजादी में योगदान के रूप में याद रखा जाना चाहिएl बल्कि उनका व्यक्तित्व भी अद्भुत रहें है, वह विश्लेषण के लिए आधार प्रस्तुत करता है! मुख्य रूप से राजनीतिक विश्लेषण हेतु। गांधी की राजनीतिक पकड़ और दृष्टि विशिष्ट थी । उन्हें एक राजनीतिज्ञ के रूप में भी पढ़ा जा सकता है। गांधी की यात्रा की शुरुआत भारत की धरती से ना होकर साउथ अफ्रीका की जमीन से हुई। गांधी अपनी पढ़ाई खत्म करके भारत जरूर आए,
सार्जेंट का द्रोह और गांधी नीति
भारतीय इतिहास में गांधी, शब्द वह है जो चिर परिचित शब्द है। गांधी को ना केवल आजादी में योगदान के रूप में याद रखा जाना चाहिएl बल्कि उनका व्यक्तित्व भी अद्भुत रहें है, वह विश्लेषण के लिए आधार प्रस्तुत करता है! मुख्य रूप से राजनीतिक विश्लेषण हेतु। गांधी की राजनीतिक पकड़ और दृष्टि विशिष्ट थी । उन्हें एक राजनीतिज्ञ के रूप में भी पढ़ा जा सकता है। गांधी की यात्रा की शुरुआत भारत की धरती से ना होकर साउथ अफ्रीका की जमीन से हुई। गांधी अपनी पढ़ाई खत्म करके भारत जरूर आए,
आयकर दाताओं को मिलेगा आखिरी मौका
जुलाई 20 से लेकर जुलाई 31 तक चलाएगा सूचना अभियान 18-19 के रिर्टन के लिए स्वैच्छिक अनुपालन के लिए र्इ अभियान पूजा आर. झिरीवाल, अलवर राजस्थाानः वर्ष 18-19 के उन कर दाताओं को आयकर विभाग ने शनिवार को एक नोटिफिकेशन जारी कर सभी करदाताओं के लिए 11 दिवसीय एक E-Campion योजना प्रारंभ किया है l जिसके द्वारा करदाताओं को आयकर कानून की स्वैच्छिक अनुपालन के अभियान से जोड़कर उनका हित साधने का प्रयास रहेगा। इसके अंतर्गत वह कर दाता जिन्होंने वित्तीय वर्ष 18-192 0 में किसी प्रकार के बड़े ट्
एक मानवीय दृष्टिकोण हो मजदूरों से...
मजदूर अध्ययन देश में कोरोना संकट को लेकर हुई परेशनी का सबब हम सभी को याद है। प्रवासी मजदूरोंद्र की भावनाओं को समझने की कोशिश किसी ने नहीं की। यहीं कारण रहा कि, उस दौरान मजदूर सड़क पर था। अगर समानता और मानवीय दृष्टिकोण सही होता तो ना मजदूर सड़क पर होता, ना ही कंपनियों को आज उपने व्यापार को ठप करने की नौबत आती। ऐसा नहीं सिर्फ मजदूरों को परेशानी हुई, आज मजदूरों की उस समय की दशा को सही समय से भांप लिया होता तो शायद आज इंडस्ट्रीज को बंद करने या एक शिफ्ट में चला