साधना की शख्शियत-37 पवन शुक्ल, सिलीगुड़ी साहित्य की कल्पना किसी जाती-धर्म या समाज से नहीं होती। भारत के साहित्य एक ऐसी विधा है जो चाहे किसी भी गांव की गलियां हो, शहरों का चकाचौध और बंगाल में या चाय के बागान हो। अगर सपनों का लक्ष्य एक है। संकल्पों के सपनों को पूरा करना है, तो जीवन की राह में आने वाली हर बाधा उसके सपनों को पूरा करने से रोक नहीं सकती। इंसान जब सपनों की दुनियां में डूबता है, तो लक्ष्य एक हो, हलांकि कुछ पल के लिए सपनें अधूरे दिखते जरूर हैं, ले
मेरे अल्फाज
संकल्प के सपनों की सही उड़ान है...
साधना की शख्शियत-36 किसी भी जीवन में गांव की गलियां हो, शहरों का चकाचौध पर अगर सपनों का लक्ष्यी एक है। संकल्पौ के सपनों को पूरा करना है, तो जीवन की राह में आने वाली हर बाधा उसके सपनों को पूरा करने से रोक नहीं सकती। इंसान जब सपनों की दुनियां में डूबता है, तो लक्ष्यर एक हो, हलांकि कुछ पल के लिए सपनें अधूरे दिखते जरूर हैं, लेकिन वास्तव में वह अधूरापन उसे सपनों की मंजिल की तरफ लेकर जाता है। लक्ष्यै की पूर्ती के लिए जिंदगी इम्तिकहान भी लेती, लक्ष्यं की प्राप्ति का संक
मैं बस अपना हक़ छीनना चाहती हुँ...
साधना की शख्शियत-35 ''न्यूज भारत सिलीगुड़ी उन सभी प्रतिभावान छात्र-छात्राओं को अपने पोर्टल पर आमंत्रित करता है। जो हिन्दी और साहित्य के क्षेत्र में रूचि रखते हो। यह जरूरी नहीं है वह पूर्ण साहित्यकार हो ही, उसकी कोशिश को हम उड़ान का पंख लगाएंगे। वह कहां तक उड़ सकता है, यह उसकी काबिलियत पर निर्भर करेगा। लेकिन न्यूज भारत की कोशिश जारी रहेगी।'' अपनी मातृभाषा जन्म से होता है, लेकिन किसी दूसरी भाषा पर अपना परचम लहराना व्यक्ति के लगन और उसके ज
जागना जरूरी है जगाने के लिए....
साधना की शख्शियत-34 पवन शुक्ल, सिलीगुड़ीः सपनों की मंजिल का पाने की तमन्नाभ, काव्यों के प्रति रूचि अगर निष्ठा सच्ची हो, तो प्रकाशित होने या ना होने से कोई फर्क नहीं पड़ता। रचनाओं की अपनी विरासत होती है, रचना लिखना और रचनाओं के संग्रह से ही उसकी लगन और सच्ची निष्ठा ही उस रचनाकार के " साधना की शक्शियत" होती है। उम्र का पड़ाव जो भी हो पर ऊहापोह की जिंदगी और पारिवारिक जिम्मे"दारियों का निर्वहन के साथ साहित्य से जुड़े रहना ही एक साधना । इन तमाम मुश्किलों के
मुझे खामोश रहना चाहिए...
साधना की शख्शियत-33 न्यूज भारत, सिलीगुड़ी: सपनों की मंजिल, छूने की तमन्ना, रूचि अगर निष्ठा सच्ची हो, तो प्रकाशित होने या ना होने से कोई फर्क नहीं पड़ता। दिल से की गई रचनाएं अपनी एक विरासत होती है। रचना लिखना और रचनाओं के संग्रह ही उसकी लगन और सच्ची निष्ठा ही उस रचनाकार के " साधना की शक्शियत" होती है। ऊहापोह भरी जिंदगी में लक्ष्य को हासिल करना बहुत मुश्किल होता है। लेकिन अगर सर्मपण की भावना दिल से हो तो किसी भी मंजिल को हासिल करना मुश्किल नहीं है। हलांक
साधना की शख्शियत-32
न्यूज़ भारत, सिलीगुड़ीः सपनों की मंजिल का पाने की तमन्ना, काव्यों के प्रति रूचि अगर निष्ठा सच्ची हो, तो प्रकाशित होने या ना होने से कोई फर्क नहीं पड़ता। रचनाओं की अपनी विरासत होती है, रचना लिखना और रचनाओं के संग्रह से ही उसकी लगन और सच्ची निष्ठा ही उस रचनाकार के " साधना की शक्शियत" होती है। ऊहापोह की जिंदगी और पारिवारिक जिम्मेदारियों का निर्वहन एक गृहणी के लिए बहुत मुश्किल होता है। इन तमाम मुश्किलों के बीच अगर कोई अपनी रचना को बिना नाम मिले निरंतर लिखता
साधना की शख्सियत-30
न्यूज भारत, सिलीगुड़ी: गांव की गलियां हो या शहरों का चकाचौध सपनों के लिए लक्ष्य एक होना चाहिए। अगर लक्ष्य का संकल्प सपनों को पूरा करना है, तो जीवन की राह में आने वाली बाधाएं उसे पूरा करने से रोक नहीं सकती। इंसान जब सपनों की दुनियां में डूबता है और लक्ष्य एक हो तो कुछ पल के लिए सपनें अधूरे होते हैं, परंतु पूरे जरूर होते हैं। लक्ष्य की पूर्ती के लिए जिंदगी इम्तहान लेती, लक्ष्य की प्राप्ति का संकल्प अगर मन से हो पूरा अवश्य होता है। किसी भी लक्ष्&
साधना की शख्शियत-29
न्यूज भारत, सिलीगुड़ी: बचपन से आसमान में उड़ने की परिकल्पना! काश: पंख होते, और परिंदों की तरह आकाश में उड़ने की तमन्ना मन लिए जब कोई जीवन की उंची उड़ान के सपने देखता है, तो पूरा करने की परिकल्पनाएं भी जन्म लेती है । हालात और बचपन की मज़बूरियां, सपनों को पंख नहीं देते पर सपनों को पूरा करने की चाहत अगर दिल ठान ले तो सफलताएं अवश्य ही मिलती है। बस जरूरत होती है उसे पाने की ललक और पूरा करने की ज़िद । हलांकि कभी-कभी ज़िद इंसान को अधूरे सपनें देते है, लेकिन पाने की जिद में अग
साधना की शख्शियत-28
न्यूज भारत, सिलीगुड़ी (दार्जिलिंग) : साहित्य कल्पानाओं का अथाह सागर है, और परिकल्पना के सपनों की का समंदर, परिकल्पना के सपनों में डूबने वाला ही कल्पना के सागर में डूबकर अपनी मंजिल हासिल करता है। काव्य की रचनाओं को लिखना और पठनीयता को बरकरार रखना, रचनाओं को रचनात्मक बनाने के कवि, लेखकों को बहुत साधना करनी होती है। इसी साधना के दौर गुजरने वाली बंगाल के सिलीगुड़ी की, अमरावती गुप्ता हैं। उनकी साधना शख्शियत यह रही की परिवारिक दायित्वों के पूर्ति के साथ-
साधना की शख्शियत-27
न्यूज भारत, सिलीगुड़ी: ये सपनों की दुनियां है जनाब, हर कोई अपनी मंजिल पाने के सपनें तो देखते है, परंतु सफलता मन की लगन और निरंतर प्रयास और सच्चे सर्मपण से मिलती है। सर्मपण अगर सहीं हो तो सपनों का शौक, या शिक्षा पाने की चाहत, लगन से ही पूरा करने का सशक्त माध्यम है। ये बात अलग है पूरा होने में समय लगता है, परंतु पूरा जरूर होता है। अक्शर देखा जाता है कि व्यक्ति कोशिश करता है, परंतु निराशा हाथ लगती है, वह फिर रास्ते बदल देता है। लेकिन युवा काव्य रचनाकार