न्यूज भारत, सिलीगुड़ी (दार्जिलिंग) : साहित्य कल्पानाओं का अथाह सागर है, और परिकल्पना के सपनों की का समंदर, परिकल्पना के सपनों में डूबने वाला ही कल्पना के सागर में डूबकर अपनी मंजिल हासिल करता है। काव्य की रचनाओं को लिखना और पठनीयता को बरकरार रखना, रचनाओं को रचनात्मक बनाने के कवि, लेखकों को बहुत साधना करनी होती है। इसी साधना के दौर गुजरने वाली बंगाल के सिलीगुड़ी की, अमरावती गुप्ता हैं। उनकी साधना शख्शियत यह रही की परिवारिक दायित्वों के पूर्ति के साथ-साथ साहित्यिक गतिविधियों की रुचि उनके साहित्य प्रेम को दर्शाता है। "आठवी क़क्षा में थी तभी से लिखने का शौक हुआ, तबसे लिख रहे थे, स्कूळ, कॉलेज के पत्र, पत्रिकाओं में रचना छपती थी। फिर एक दो मैगज़ीन में छपी, फिर शादी हो गई, ससुराल में मौका नही मिल रहा था, परंतु मन की साधना हमेशा हमें प्रेरित करती रही, करीब बीस साल के अंतराल पर फिर से लिखना शुरू किया और अब आपके सामने हूं। ‘’सिलीगुड़ी महिला काव्य मंच’’ इकाई से अपनी दूसरी रचना ले कर यहाँ उपस्थित हूँ, एक छोटी सी कोशिश की है, मध्यम वर्ग की परेशानियों को हमने अपनी कविता में दर्शाया है, उम्मीद है त्रुटियों पर ध्यान नही देंगे’’
....मध्यम वर्ग
दामन नाकामियां, दुश्वारियाँ , मजबूरियाँ पकड़ी रही
हम हैं मध्यम वर्ग, हजारों बेड़ियां जकड़ी रही...
खोखली हँसी संग उम्मीद आँखों में लिए
सुधरेंगे हालात अब, व्यथा बेवशी कहती रही...
हम ताकते रहे, वो भांपते रहे, राजनीती हालात पर हमारे,
होती सदा गहरी रही...
ऐसे हैं हालात ज़ालिम, दर्जनों दुश्वारियाँ ,
लब नही खुलते भले हो सैकड़ों लाचारियाँ...
कल भी अपना कल नही था, आज भी कोई हल नही,
तू बना फौलाद से है, तेरे लिए कोई फल नही...
चीर दे लोहे का सीना, आंसू तेरा और पसीना,
देखने ना कोई पोछने वाला, तुझको इनके साथ जीना...
तुझसे ही बदली है दुनिया, तेरे दम से है जहाँ,
तेरे जज्बे, हौसला सा दुनिया में दूजा कहाँ ??
अपनी हिम्मत पर भरोसा, हौसला तू पास रख,
बाजुओं पर अपने कर भरोसा, ना किसी की आस रख...
सोच अपने बारे में, ऱाहें तेरी आसान नही,
तेरे लिए इस धरती पर, उतरेगा कोई भगवान नही..।