साधना की शख्शियत -15

न्‍यूज भारत, सिलीगुड़ी: जीवन में संर्घष के साथ बढ़ने वाला ही लक्ष्‍य प्राप्‍ति की ओर अग्रसर होता है। संर्धष के साथ मिलने वाली मंजिल बहुत ही सुखद होती है। मंच या सही स्‍थान नहीं मिलने के बावजूद भी जब व्‍याक्ति संर्घष से आगे अपनी मंजिल की ओर बढ़ता है, तो वही व्‍यक्ति के ''साधना की शख्शियत'' होती है। बचपन से कल्‍पनाओं के सागर में श्रृंगार रस की रचानओं पर ध्‍यान एकाग्रचित करना और उस रचनाओं को पन्‍नों पर उतारना भी एक कला है। अध्‍यापिका बीणा चौधरी ने

साधना की शख्सियत -14

न्‍यूज भारत, सिलीगुड़ी: जहां चाह वहीं राह, ये कहावत कोई नयी नहीं है। देश व प्रदेश जो भी हो रचनाएं अपना स्‍थान बना ही लेती हैं। बंगाल के विभिन्‍न स्‍कूलों में बेहतर शिक्षण कार्य करने के साथ काव्‍य की रचनाओं को एक बेहतर मुकाम तक पहुंचाने वाली शख्शियत हैं 'डा बंदना गुप्‍ता'। बचपन से शिक्षा के क्षेत्र में और रचनाओं के लेखन में रुचि रखने के कारण ही आज विभिन्‍न रचनाओं के माघ्‍यम उत्‍तर बंगाल में ''साधना की शख्शियत'' बन गई है। साथ ही उनकी रचनाओं से युव

साधना की शख्सियत -13

न्‍यूज भारत, सिलीगुड़ी: व्‍यक्ति के जीवन में कुछ कुछ अलग होता है, कारण मन में आकांक्षाओं और कुछ नया करने की चाहत होता है, उन्‍हें पूरा करने की चाहत और लगन ही उसकी सफलताओं को मंजिल तक ले जाती है। मंजिल पाने की ललक और उसके लिए किए गये प्रयास को ही 'साधना की शख्सियत' कहतें है। बचपन के शौक को पूरा का प्रयास और जीवन के तमात उलझनों के बीच जब काव्‍य की रचनाएं जब पन्‍नों पर उतरता है, मन को अजीब सा सकून और शातिं मिलती है। '' रचनाएं लिखने का शौक था बचपन से ही मन में थ

साधना की शख्सियत-12

न्यूज भारत, सिलीगुड़ीः लेखन काव्य हो या अन्य रचनाएं इसमें कुछ भी करने की क्षमता दुनियां की अपेक्षा मिथिला की माटी में कुछ अधिक ही होता है। काव्य की रचनाओं को बेहतर सभी करना चाहते है, लेकिन सफलता मिलना और असफल होना उनकी साधना पर निर्भर करता है। आमूमन होता क्या है कि कुछ रचनाओं के बाद जब नाम और मुकाम नहीं मिलता तो लोग रास्ते बदल देते हैं। ऐसे में उनके मन की आस दफन हो जाता है। सफलता और असफलता के बीच से जो रास्ते पर निकले वाले ही आगे " साधना की शख्सियत".होते हैं।

साधना की शख्सियत-11

न्यूज भारत, सिलीगुड़ीः संपने ओ है जो सोने नहीं देते उन्ही सपनों के आधार पर व्यक्ति अपने लक्ष्य को छूने की कोशिश करता है। अगर कोशिशें सकारात्मक हो तो लक्ष्य को पाने में समय नहीं लगता, " पिंकी प्रसाद गुप्ता" ने भी अपने लक्ष्य को किताबों की दुनियां में देखा। पढ़ने की चाहत और उसे पन्नों पर काव्य को मूर्त रूप देना ही उनकी " साधना की शख्सियत" है। "लिखने की कोशिश हमेशा से ही जारी रही है, मैं अपनी कविताओं में समसामयिक मसले को उठाती रहती हूं।मेरी रचनाएं कई प्रति

साधना की शख्सियत-10

न्यूज भारत,सिलीगुड़ीः जीवन के किसी भी पड़ाव पर व्यक्ति की प्रतिभा कब, कहां कैसे उभरती है, ये उसके मन की प्रतिभा पर निर्भर करता है, जो हमारे अंदर बचपन से किसी न किसी क्षेत्र में होती है। बस जरूरत होती है, वक्त और समय की। रचनाएं लिखना और उसे पन्नों पर उतारने के मन में छुपी भावनात्मक विचार होती है। " निशा गुप्ता" की कहानी भी कुछ इसी तरह है, जो बचपन से किताबें पढ़ने के बाद एक ललक होती थी, मैं भी काव्य की रचनाओं को लिखूं, परंतु मन की भावनाएं काफी दिन बाद उभरी, इसका सबसे ब

साधना की शख्सियत-9

मैं शराब लिखूं, तुम अर्थव्यवस्था समझना न्यूज भारत, सिलीगुड़ीः शब्दों को मन की भावना से पन्नों पर उकेरना ही लेखक के कल्पनाओं की पहचान होती है। शब्दों के माध्यम से अपनी भावनाओं को काव्य में परोसना ही कवि की पहचान होती है। बेहतर लेखन से व्यक्ति की साधना को दर्शाता है, वह लेखन के प्रति कितना संवेदनशील है। अगर उसकी रचनाओं को सराहना मिली और समाज में पहचान मिली तो अवश्य ही प्रयास बेहतर किया है। सामाजिक बुराई व अच्छाई को काव्य में पिरोना ही " साधना की शख्सियत"ह

साधना की शख्सियत-8

"माँ की रसोई का जायका" न्यूज भारत, सिलीगुड़ीः रचनाओं के लिए काव्य हो आलेखन की एक ही दिन में तैयार होती है, परंतु उसकी लगन और शौक बचपन से होता है। वक्त और हालात उसे इसमें रूचि लेने से रोकते है। परंतु अगर दिल में लेखन की रूचि है, तो एक दिन उम्र के किसी पड़ाव पर उभरती जरूर है, बस उसे अपनी "साधना की शख्सियत" बरकरार रखनी होती है। ऐसी एक शख्सियत हैं" आशा बंसल' जो काफी समय के बाद मन में दबे लेखन के सपनों को साकार किया। " बचपन से ललक थी लेखन के माध्यम से काव्य रचनाओ

साधना की शख्सियत-7

न्यूज़ भारत, सिलीगुड़ीः "होनहार वीरवान के होत चिकने पात" ये कहावत हर किसी चेहरे पर होती है, परंतु ये कोई कोई स्वयं करके साबित कर देता है। कोई ऐसा होता है जिसके शब्दों और रचनाओं एक अलग तरह की कसक होती है, परंतु वह स्वयं को पहचान नहीं पाता है। लेकिन उनकी इस प्रतिभा को मित्र, गुरू, या कहीं की बात की प्रेरणा उसे मजबूर क़र देती है और जीवन के एक पड़ाव पर एक नयी मंजिल की ओर कदम बढ़ता है। इसी तरह अपनी " साधना शख्सियत" से एक युवा कवि " मुकेश कुमार मंडल" की पहली रचना। ".हम

साधना की शख्सियत-6

... और बादलों का अब गहराता साया न्यूज भारत, सिलीगुड़ीः साधना की परिकल्पना एक दिन में नहीं होती, ये बचपन से आसमान में उड़ने की परिकल्पना होती है। सपनों के इस उड़न को रोकने या आसमान की उचाईयों छूने की क्षमता स्वयं पर ही पर निर्धारित होती है। शैशवकाल के सपनें अगर किसी कारणवस अवरुद्ध हो जाते है, बावजूद इसके अगर समय और मौका मिले तो जीवन के किसी भी काल में सपनों की उस उड़ान को हासिल करने में तमाम बाधाएं, परंतु वह पूरे जरूर होते हैं और इसी को कहते हैं " साधना की शख्सियत"

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