कृषि संशोधन बिल 2020

 कितने ही शब्दों  और मशीनों का  अविष्कार हो जाए, किंतु व्यक्ति ही सर्वोच्च है । उसकी मानसिकता ही सर्वोच्च है । कृषि संशोधन बिल सही है या गलत है, यह सटीक रूप से कहना  निरर्थक है । विश्व में दो प्रकार की विचारधारा समानांतर कार्य करती हैं, एक है पूंजीवादी विचारधारा और दूसरी है समाजवादी विचारधारा । यह दोनों परस्पर विरोधाभासी हैं  । यह  बिल भी इन दोनों विचारधाराओं के आधार पर मापा जा रहा है । पूंजीवादी सोच इसे सही ठहरा सकती है, किंतु समाजवादी सोच इसे अन्या

तय और निश्चय में रूठों का पेंच

फिलगुड व शाईनिंग इंडिया का राह पर कही बंगाल चुनाव तो नहीं ? दूसरे दलों के नेताओं को पार्टी तरजीह, भारी पड़ सकता है भाजपा पर केन्द्र के जोरदार प्रयास पर पानी फेर सकतें हैं पुराने रूठे कार्यकर्ता दल के पदों पर भगवा रंग व हिंदुत्व रंग के और गाढ़ा करने जरूरत पवन शुक्लं, सि‍लीगुड़ी ‘राज्यं की ममता सरकार का जाना तय ही नहीं निश्चयय समझ लिजीए’ शनिवार को बंगाल दौरे पर आए भारतीय जनता पार्टी के राष्ट्रीरय अध्यकक्ष जेपी नडडा ने कही है। लेकिन पुराने कार्यकर्त

सार्जेंट का द्रोह और गांधी नीति

भारतीय इतिहास में गांधी, शब्द वह है जो चिर परिचित शब्द है। गांधी को ना केवल आजादी में योगदान के रूप में याद रखा जाना चाहिएl बल्कि उनका व्यक्तित्व भी अद्भुत रहें है, वह विश्लेषण के लिए आधार प्रस्तुत करता है! मुख्य रूप से राजनीतिक विश्लेषण हेतु। गांधी की राजनीतिक पकड़ और दृष्टि विशिष्ट थी । उन्हें एक राजनीतिज्ञ के रूप में भी पढ़ा जा सकता है।  गांधी की यात्रा की शुरुआत भारत की धरती से ना होकर साउथ अफ्रीका की जमीन से हुई। गांधी अपनी पढ़ाई खत्म करके भारत जरूर आए,

चाय की प्‍याली में स्‍वाद, जीवन में गमों का तूफान

चाय बगानों की स्थिति हुई बेहतर, पर मजदूर आज भी गुलामों की तरह आदिवासी दिवस का कार्यक्रम सिर्फ छलवा, संवेदनाओं पर चल रहा जीवन ''दुनियां के सबसे बेहतर चाय बगानों में दार्जिलिंग है। चाय दुनियां के सबसे बेहतरीन पेयपदार्थ में स्‍वास्‍थ्‍य वर्धक मानी भी जाती है। परंतु चाय की प्‍याली स्‍वाद भरने वाले चाय बगान के मजदूर की दशा आज भी गमों के दौर से गुजर रही है। आजादी के बाद आज भी चाय बगान में काम करने वाले आदिवासी आज भी अपने जीवन के जंग को बड़े ही दर्द भरे लम

यह कैसा लाकडाउन....?

''कोरोना संकट से निपटने को बने ठोस नियम, राजनैतिक पराकाष्‍ठा से उपर उठे अधिकारी.?। कोरोना से बिगड़ते हालात को देखते सभी को अपनी संवेदना से जोड़ना होगा.? इसमें चाहे प्रशासनिक अधिकारी, पुलिस बल के जवान, व्‍यापारी या हर आम और खास। जरूरत सभी को एक साथ मिलकर इस आपदा से निपटने की है। वहीं इस बेकाबू होते कोरोना संक्रमण के संकट राजनितिक दलों को भी थोडा राजैतकि पराकाष्‍ठा से उपर उठकर काम करने की जरूरत है।'' लाकडाउन में पुलिस के हाथ बंधे..? अगर पहले लाकडाउन की

पुलिस सुधारों का समय...?

' हमारी राज्य सरकारें देश के राज्‍यों के पुलिस सुधार के लिये कितनी संजीदा हैं, यह इस बात से समझा जा सकता है। जब गृह मंत्रालय ने वर्ष 2017 में द्वितीय प्रशासनिक सुधार आयोग की 153 अति महत्त्वपूर्ण सिफारिशों पर विचार करने के लिये देश भर से मुख्यमंत्रियों का सम्मेलन बुलाया, जिसमें पुलिस सुधार पर चिंतन-मनन होना था। तो इस सम्मेलन में देश के अधिकतर राज्‍यों के  मुख्यमंत्री अनुपस्थित रहे। आज भी ज़्यादातर राज्य सरकारें पुलिस सुधार के मसले पर अपना रुख स्पष्ट करने

जयराम की दुनियां से खाकी और खादी के गठजोड़ का अंत

कभी इटली के बाद दूसरे नंबर पर था पूर्वांचल का शहर गोरखपुर पांच दशकों से उत्‍तर प्रदेश माफियाराज पर खादी की रही छत्र छाया अपराध के विकास का अंत, दफन हो गए खाकी और खादी का गठजोड़़   रेलवे के ठेके से माफियाराज का जन्‍म, बिहार के माफिया भी कूदा थे मैदान में '' 70 के दशक में पूर्वोत्‍तर रेलवे की ठेकेदारी ने पूर्वांचल के शहर गोरखपुर को एक नई पहचान दी। इटली के बाद अपराध की दुनियां में गोरखपुर को विश्‍व का दूसरा आपराधिक शहर बीबीसी ने घोषित किया था। रेलवे क

एक मानवीय दृष्टिकोण हो मजदूरों से...

मजदूर अध्ययन देश में कोरोना संकट को लेकर हुई परेशनी का सबब हम सभी को याद है। प्रवासी मजदूरोंद्र की भावनाओं को समझने की कोशिश किसी ने नहीं की। यहीं कारण रहा कि, उस दौरान मजदूर सड़क पर था। अगर समानता और मानवीय दृष्टिकोण सही होता तो ना मजदूर सड़क पर होता, ना ही कंपनियों को आज उपने व्‍यापार को ठप करने की नौबत आती। ऐसा नहीं सिर्फ मजदूरों को परेशानी हुई, आज मजदूरों की उस समय की दशा को सही समय से भांप लिया होता तो शायद आज इंडस्‍ट्रीज को बंद करने या एक शिफ्ट में चला

❮❮ 1 ❯❯