संघर्ष से लेकर कामयाबी तक डाॅ.भीखी प्रसाद वीरेन्द्र

एनई न्यूज भारत सिलीगुड़ी: "जब गुड़ गजन सहे तब मिसरी नाम धराय" अर्थात अत्यंत पीड़ा सहने के बाद ही भाग्योदय होता है। मेरी मम्मी की ये बात मैं बचपन से ही सुनती आई हूँ पर बचपना खुद पर इस कदर हावी था कि सही मायने को कभी समझ न सकी और हँसकर माँ को कह देती थी- बिस्किट फैक्टरी वाले की बेटी हो न तुम मम्मी बिस्किट , चाॅकलेट , मिश्री के अलावा कोई और बात तो तुम करोगी नहीं। काश! नानाजी होते तो उनसे तेरी शिकायत करती इतना कहकर खूब ठहाके लगाया करती थी। पर सच तो ये है कि माँ कभी गलत

कहंवा से आवे रामा कारी रे बदरिया...

आया सावन झूम के" संगीतमय कार्यक्रम न्यूज भारत, गोरखपुर प्रत्येक वर्ष की भांति इस वर्ष भी "महिला कर्मचारी कल्याण संगठन पूर्वोत्तर रेलवे" द्वारा 25 अगस्त 23 को महाप्रबन्धक कार्यालय पूर्वोत्तर रेलवे के पीछे स्थित आडिट हाल में भोजनावकाश में “आया सावन झूम के" संगीतमय कार्यक्रम का आयोजन किया गया जिसमें पूर्वोत्तर रेलवे महिला कर्मचारियों ने सावनी कजरी गीतों पर जमकर ठुमका लगाया कर्यक्रम की शुरुआत अंजना लाल ने पिया मेहंदी मंगाई दा मोती झील से … गीत से किया

पड़े पनियाँ के रिमझिम फुहार से पर झूमें श्रोता

स्वरगुंजन की दस दिवसीय कजरी कार्यशाला संपन्‍न न्‍यूज भारत, गोरखपुर दस दिवसीय कजरी गायन की प्रस्तुतिपरक कार्यशाला स्वरगुंजन द्वारा आज कजरी गायन से सम्पन्न हुई-उत्तर प्रदेश संस्कृति विभाग के सहयोग से दस दिवसीय कजरी गायन की प्रस्तुतिपरक कार्यशाला घनघोर बारिश में रैम्पस स्कूल के प्रेमचंद सभागार में सम्पन्न हुई। 22 जुलाई से शुरू होकर आज दसवें दिन मंचीय प्रस्तुति गोरी झूलि गई झुलुआ हजार में,लछुमन कहाँ जानकी होइहें, पड़े पनियाँ के रिमझिम फुहार एवं कब्ब

के बनी माटी के लाल के ऑडिशन में 48 में15 हुए चयनित

न्‍यूज भारत,गोरखपुर भोजपुरी एसोसिएशन ऑफ इंडिया "भाई" के तत्वाधान में "के बनी माटी के लाल" के लिए आज विजय चौक स्थित एस एस एकेडमी में ऑडिशन हुआ जिसमें गोरखपुर सहित आजमगढ़, महाराजगंज,संतकबीरनगर, देवरिया के प्रतिभागियों ने भाग लिया कार्यक्रम का शुभारंभ दीप प्रज्वलन कर डॉ रूप कुमार बनर्जी, प्रगति श्रीवास्तव, उमेश अग्रहरि, कनक हरि अग्रवाल एवं राकेश श्रीवास्तव ने किया । सभी प्रतिभागियों ने भोजपुरी की लोक परंपराओं से जुड़े  गीत जैसे कजरी ,फगुआ, चैता, प

पिया अइले नाही कवने करनवां, बितेला सवनवां ना...

रिमझिम फुहार के साथ कजरी कार्यशाला का हुआ शुभारंभ न्‍यूज भारत, गोरखपुर सावन के रिमझिम फुहार के साथ शारदा संगीतालय गोरखपुर द्वारा राकेश श्रीवास्तव के निर्देशन में दस दिवसीय पारम्परिक भोजपुरी कजरी गायन ऑन लाइन कार्यशाला का  शुभारंभ  बतौर मुख्य अतिथि भोजपुरी, हिंदी के वरिष्ठ साहित्यकार एवं सर्वभाषा ट्रस्ट,नई दिल्ली  के संयोजक केशव मोहन पांडेय ने किया। उन्होंने कहा कि मुझे अपार खुशी है कि इस कार्यशाला में 90 वर्ष के महिलाओं सहित युवा प्रतिभाग कर

शारदा संगीतालय में मनाया गया गुरु पर्व

न्‍यूज भारत, गोरखपुर लोकगायिका स्मृति शेष मैनावती देवी की स्मृति में स्थापित शारदा संगीतालय में आज गुरु पूर्णिमा के अवसर पर भव्य पूजन किया गया। इसमें सर्वप्रथम मैनावती देवी के चित्र पर माल्यार्पण कर सभी शिष्यों ने उनका आशीर्वाद लिया। तत्पश्चात राकेश श्रीवास्तव के शिष्यों ने "गुरु मेरी पूजा गुरु गोविंदा गुरु मेरा पारब्रह्म...... गीत की प्रस्तुति की इस अवसर पर राकेश श्रीवास्तव के शिष्य पवन पंछी कोमल मौर्या, अंजना लाल, शिवांगिनी त्रिपाठी ,स्वीटी सिंह ,

कोयल, तोता, मोर , पपिहा सब मिलकर...

सावन के महीने में मौसम बहुत लुभावना होता है।  चारों और छाए हुए काले बादल, सूरज का लुका-छिपी खेलना, वर्षा की बूँदों की आवाज यह सब मिलकर बड़ा मनोहारी वातावरण बनाती हैं।  ऐसे वातावरण में मनुष्य का मन तरह-तरह की कल्पनाएँ करने लगता है।  उसके मन में इच्छाएँ जागती हैं फिर समाप्त हो जाती हैं। पवन शुक्‍ल, सिलीगुड़ी सचमुच मेघों को घिरते हुए देखने के लिए किसका मन नहीं मचलता ?  मगर उन्हें देखकर हर किसी के मन में सवाल भी उठता है कि साफ-सुथरे नीले आसमान में आखिर ये म

मेहनतो पर ही नाज है...

“किसी भी काम में अगर आप अपना 100% देंगे तो आप सफल हो जाएंगे। उसे अपनी मेहनत पर इतना भरोसा था की उसकी क़िस्मत को भी खुद से ज्यादा उस पर भरोसा था। ज़िन्दगी अगर खेल है तो इसे जीतने का बस एक तरीक़ा है मेहनत।‘’ पवन शुक्‍ल, सिलीगुड़ी कठोर परिश्रम और कड़ी मेहनत मनुष्य का असली धन होता है। बिना कठिन परिश्रम के सफलता पाना असंभव है। इस दुनिया में जो व्यक्ति कठिन परिश्रम करता है सफलता उसी का कदम चूमती है। कड़ी मेहनत करने वाले लोग मिट्टी को भी सोना बना देते हैं। यह तो

मेरे पिता मेरे घर की ढाल

फादर-डे पर विशेष न्‍यूज भारत, सिलीगुड़ी : परंपराओं के देश में दिनों की शुरूआत की फेरहिस्‍त लंबी होती जा रही है। भारत के देश भारत में आज कल डे मनाने की पंरपरा की शुरुआत हो चली है। हलांकि मदर डे, फादरडे, वेलेंटाइनडे, योगाडे समेत कई डे की शुरूआत हो चली है। लेकिन वास्‍तव में अगर डे अर्थात हर दिन बेहतर होता है। इसमें सबसे महत्‍वपूर्ण मदरडे और फादरडे (पिता दिवस) है। आज 20 जून को पिता दिवस मनाने की परंपरा के अवसर पर सिलीगुड़ी की आशा बंसल ने पिता दिवस पर कुछ पक्तियों

कवि सम्‍मेलन में सिलीगुड़ी के कवित्रियों का परचम

‘राष्ट्रीय आंचलिक साहित्य संस्थान’ का महाकवि सम्मेलन संपन्न न्‍यूज भारत, सिलीगड़ी : कोरोना के संकट ने अब काव्‍य की रसधारा को मंच खुले मंच के बजाया साइबर तकनीकी जूम पर सीमट गया है। इसक्रम में 'राष्ट्रीय आंचलिक साहित्य संस्थान ने जूम एप महाकवि सम्मेलन का आयोजन किया। इस कवि सम्‍मेलन में जहां देश की महान कवियों ने अपना परचम लहराया, वहीं पूर्वोत्‍तर के चिकननेक की धरती के जलवे भी इस कवि सम्‍मेलन में देखने को मिले। इस कार्यक्रम में विशिष्ट अतिथि के

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