भोजपुरी अध्ययन केंद्र को लेकर कुलपति को दी बधाई

• भोजपुरी साहित्य और संस्कृति से नई पीढ़ी को जोड़ा जाएगा

• भोजपुरी अध्ययन केंद्र की स्थापना से भोजपुरी का बढ़ेगा सम्मान : डॉ राकेश श्रीवास्तव 

• क्षेत्रवासियों को मिलेगा लाभ 

एनई न्यूज भारत,गोरखपुर: गोरखपुुर और आसपास क्षेत्र के लोगों को अब बहुत जल्द ही भोजपुरी साहित्य पढ़ने को मिलेगा मौका। दीनदयाल उपाध्याय गोरखपुर विश्वविद्यालय के हिंदी विभाग ने भोजपुरी अध्ययन केंद्र स्थापित करने की योजना बनाई है। यह केंद्र भोजपुरी साहित्य और संस्कृति को बढ़ावा देने का कार्य करेगा। इस अवसर पर भोजपुरी एसोशियेशन ऑफ़ इंडिया “भाई“ के राष्ट्रीय अध्यक्ष डॉ राकेश श्रीवास्तव एवं क्षेत्रीय संयोजक शिवेंद्र पांडेय ने दीन दयाल उपाध्याय गोरखपुर विश्व विद्यालय में भोजपुरी अध्ययन केंद्र के स्थापना के निर्णय पर आज कुलपति प्रो पूनम टंडन एवं हिन्दी विभाग के विभागाध्यक्ष प्रो दीपक प्रकाश त्यागी से मुलाकात करके बधाई दी। राकेश ने बताया कि बहुत दिनों से भोजपुरी अध्ययन केंद्र की आवश्यकता थी जिसमें भोजपुरी के संस्कृति,साहित्य और संस्कार से नई पीढ़ी को जोड़ा जा सके , यह कार्य वर्तमान कुलपति के कार्यकाल में पूरा होने जा रहा है , इस पुनीत कार्य में जो भी सहयोग होगा भोजपुरी एसोशियेशन ऑफ़ इंडिया “भाई “ तत्पर रहेगा।

गोरखपुर विश्वविद्यालय भोजपुरी क्षेत्र में स्थित है। यहां अवधी और अन्य भाषाएं भी बोली जाती हैं, लेकिन भोजपुरी से ही यहां की सभ्यता और संस्कृति जुड़ी है। हिंदी विभागाध्यक्ष प्रो. दीपक प्रकाश त्यागी ने बताया कि नई शिक्षा नीति में क्षेत्रीय भाषाओं में पढ़ाई पर जोर दिया जा रहा है। भोजपुरी साहित्य अध्ययन केंद्र के तहत भोजपुरी और जनपद अध्ययन पर डिप्लोमा पाठ्यक्रम भी शुरू किया जाएगा। इसके साथ ही भोजपुरी पर शब्दकोश, लोकगीत, परंपराएं और संस्कार गीत पर भी शोध होगा। विद्यार्थियों के लिए समय-समय पर कार्यशालाएं आयोजित की जाएंगी।

केंद्र की स्थापना का उद्देश्य भोजपुरी भाषा में सृजनशील रचनाकारों को ऐसा अवसर उपलब्ध कराना है, जिसके माध्यम से भोजपुरी भाषा के युवा लेखकों को उचित पहचान मिल सके। भारतीयों के लिए भी यह केंद्र काफी महत्वपूर्ण होगा और यह उनके लिए एक संपर्क केंद्र के रूप में विकसित होगा, जिसके माध्यम से वे भोजपुरी लेखन के स्वरूप, प्रकृति और उसकी चेतना पर अध्ययन कर सकेंगे। पूर्वांचल में भोजपुरी अध्ययन केंद्र की बहुत ही ज्यादा जरूरत थी जो अब जाके साकार होगा, हिंदी विभाग इसको लेकर योजना बना रहा है जो भोजपुरी के लिए एक सराहनीय पहल होगा।