पृथ्वी दिवस पर तामेंगलांग में हरितक्रांति की पहल

तमी और तौसीम में पानी संरक्षण पर असम राइफल्‍स कर रहा काम: कर्नल प्रदीप

जैव विविधता से भरपूर क्षेत्र के लोगों को जगरूक करने की पहल की जरूरत

न्‍यूज भारत, इंफाल (मणिपुर) : आज 22 अप्रैल को पूरी दुनिया में पृथ्वी दिवस के रूप में मनाया जाता है। पृथ्‍वी दिवस पर लोग पृथ्‍वी को बचाने और अन्‍य गतिविधियों में भाग लेते हैं। इसके साथ ही पृथ्वी होने वाली महत्वपूर्ण हलचलों के बारे में जागरूकता बढ़ाने के लिए काम करते हैं। 1970 में शुरू हुए पृथ्‍वी दिवस को प्रत्‍येक वर्ष 192 देशों में फैले एक अरब से अधिक लोग 'पृथ्वी दिवस' की गतिविधियों में भाग लेते हैं। हलांकि इस वर्ष दुनिया भर में महामारी संबंधी प्रतिबंधों के कारण अधिकांश गतिविधियाँ न्यूनतम लोगों की भागीदारी के साथ आयोजित की गई। वहीं "हमारी पृथ्वी को पुनर्स्थापित करें" के लिए विभिन्न गतिविधियां की जा रही हैं और प्राकृतिक प्रक्रियाओं, उभरती हुई हरी प्रौद्योगिकियों और नवीन सोच पर ध्यान केंद्रित किया जाता है।

पूर्वोत्‍तर के राज्‍य मणिपुर के वादियों में तामेंगलांग जिला अधिक वर्षा का वन क्षेत्र है। जो अपनी समृद्ध जैव विविधता के लिए भी जाना जाता है। एक घने जंगलों वाला क्षेत्र कुछ विदेशी और लुप्तप्राय जंगली वनस्पतियों और जीवों का घर है। 2017 में जिले के डैलोंग गांव को मणिपुर सरकार द्वारा जैव विविधता विरासत स्थल घोषित किया गया था। यह गांव 11.35 वर्ग किमी के क्षेत्र फैला हुआ है। इस क्षेत्र को जैव विविधता अधिनियम 2002 की धारा 37 (1) के तहत जैव विविधता विरासत स्थल के रूप में घोषित किया गया है। यह घोषणा मणिपुर राज्य जैव विविधता बोर्ड की सिफारिश के बाद की गई थी। हालांकि बड़े पैमाने पर वनों की कटाई के कारण इस क्षेत्र में समय के साथ भारी जलवायु परिवर्तन देखा गया है। विकास के बढ़ते कद के कारण राजमार्गों के चौड़ीकरण, नई सड़क के निर्माण और नए कार्यालयों, स्कूलों और अन्य आधुनिक बुनियादी ढांचे के निर्माण सहित विभिन्न विकास परियोजनाओं के परिणामस्वरूप पूरे क्षेत्र में पेड़ों की कटाई बेतहासा हुई है। पृथ्‍वी दिवस पर असम राइफल्‍स के 22 सेक्टर एआर / आईजीएआर (ईएएसटी) प्रकृति से भरपूरी इस क्षेत्र को संरक्षित करने की जिम्मेदारी लेते हुए बड़े पैमाने पर वृक्षारोपण अभियान चलाया है। पर्यावरण को संरक्षित करने की पहल के रूप में बटालियन के 'ग्रीन योद्धाओं' के द्वारा लगभग 2500 पौधे लगाए गए थे। पारिस्थितिकी तंत्र में पेड़ों, जड़ी बूटियों, झाड़ियों और बांस के पौधे की स्थानीय विविधता का योगदान जिले के लगभग सभी हिस्सों में लगाया गया था।

पृथ्‍वी दिवस के अवसर पर बोलते हुए कमांडेंट कर्नल प्रदीप ने कहा पहाड़ी जिले में वन के बदलाव के कारण महत्वपूर्ण कमी हुई है। हमें अपनी विरासत को संरक्षित करने की जिम्‍मेदारी लेनी होगी। इस वर्ष प्री-मानसून में देरी होने के कारण पानी की कमी की समस्या और भी बदतर हो गई है। जिसके परिणामस्वरूप विभिन्न तालाबों और नालों का सूखना भी शुरू हो गया। हमें स्‍वयं के साथ स्‍थानीय लोगों को इसके प्रति जागरूक करने की जरूरत है। उन्होंने यह भी कहा कि असम राइफल्स इस क्षेत्र के इको सिस्टम को और बेहतर बनाने की दिशा में योगदान करने के लिए प्रतिबद्ध है। वहीं तमेंगलोंग के तमी और तौसीम उपखंड में पर्याप्त पानी के लिए प्लांट बैंक बनाने की योजना बना रहा है। उन्होंने स्थानीय लोगों से आग्रह किया कि वे कभी भी हर स्तर पर हरित पहल कर सकते हैं। जैसा कि ये व्यक्तिगत बच्चे, सहयोगात्मक रूप से, वैश्विक पर्यावरणीय स्थिति में सुधार में एक बड़ी छलांग लगाएंगे।