...जल गये हैं, वो दिल तहे-दाम बुझ गये हैं

सबके दिलों में गमों का तूफान, आंखों से बह रहे थे आंसुओं के सैलाब

पिता गौतम, मां जया, बहन दीपनिता का रो-रो कर बुरा हाल, शोक की लहर

बचपन के दोस्‍तों को भी बहुत रूलाया विवेक, क्‍लब पर दोस्‍तों ने मनाया शोक

सांसद समेत भाजपा ने जताया शोक, जिलाध्‍यक्ष ने पुष्‍प अर्पित कर किया याद

पवन शुक्‍ल, सिलीगुड़ी

सूर्य अस्‍ताचल की ओर था, मोक्ष दायिनी महानंदा शांत हो रही थी, सब एक तरफ आंखों में आंसुओं का सैलाब लेकर भाग रहे थे। स्‍थान था, एकतियासाल में स्थित भाजपा नेता का घर, कारण था भाजपा के नेता गौतम दे पुत्र की सड़क हादसे में मौत। दोपहर दो बजे के बाद जैसे ही विवेक का पार्थिव शरीर घर पहुंचा सभी की आंखों में आंसुओं का सैलाब उमड़ पड़ा और मां जया, बहन दीपनिता की दहाड़़ ने सभी को विचलित कर दिया। जबकि नन्‍हाँ सा भांजा आवक शक्‍ल में इधर-उधर बोलने लगा भाई मर गया। पिता की आंखे तो सूनी थी पर दिलों में जो गमों के समुंदर में सौलाब था वह कहा नहीं जा सकता। बचपन के दोस्‍त क्‍लब के सदस्‍यों के हालत तो उनके दर्द और आंखों से बह रहे आंसुओं की धार से पता चल रहा था। आज दे परिवार पड़े गमों के बोझ को बयां करना कठिन है, परंतु शायर ‘फ़ैज़ अहमद फ़ैज़’ की ये लाइनें इस परिवार के दर्द पर सटिक लगती है।  

जमेगी कैसे बिसाते-याराँ कि शीशा-ओ-जाम बुझ गये हैं,

सजेगी कैसे शबे-निगाराँ कि दिल सरे-शाम बुझ गये हैं,।।

वो तीरगी है रहे-बुतां में चिरागे-रुख़ है न शम्मे-वादा,

किरण कोई आरज़ू की लाओ कि सब दरो-बाम बुझ गये हैं।

बहुत संभाला वफ़ा का पैमां मगर वो बरसी है अबके बरखा,

हर एक इकरार मिट गया है, तमाम पैग़ाम बुझ गये हैं।

करीब आ ऐ महे-शबे-ग़म नज़र पे खुलता नहीं कुछ इस दम,

कि दिल पे किस-किसका नक़्श बाकी है कौन से नाम बुझ गये हैं।

बहार अब आके क्या करेगी कि जिनसे था जश्ने-रंगों-नग़मा,

वो गुल सरे-शाख़ जल गये हैं, वो दिल तहे-दाम बुझ गये हैं।।

शव्‍द का अर्थ (शबे-निगाराँ=प्रेमकियों की रात, तीरग़ी=अंधेरा)

मालूम हो कि सिलीगुड़ी में रात के सन्‍नाटे में सड़कों पर गिट़्रटी, बालू और मिट्रटी लोड़ कर सिलीगुड़ी की सड़कों पर दौड़ती मौत की डग्गामार लारियों (ट्रक) से एकतीयासाल निवासी भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के उत्‍तर बंगाल के मिडिया प्रभारी गौतम दे होनहार पुत्र की मौत के बाद काठ हो गए है। वहीं इस हादसे ने घर के एकमात्र चिराग के बुझ जाने से मां जया दे का रो-रो कर बुरा हाल हो गया है। सिस्‍टम की नाकामी का शिकार हुए होनहार 29 वर्षीय विवेक दे की बीते शुक्रवार की रात सिलीगुड़ी के इस्‍कान रोड पर सड़क हादसा हुआ। इस हादसे में विवेक को सर, पैर और छाती में बुरी तरह चोट लगा था और उनका इलाज एक स्‍थानीय निजी अस्‍पताल में चल रहा था। गुरुवार की रात करीब 8 बजे के आसपास विवेक जीवन और मौत से लड़ते हुए जीवन की जंग को हार गया।

बचपन के दोस्‍तों को भी रूलाया विवेक, क्‍लब पर दोस्‍तों ने मनाया शोक

विवके दे विवेकानंद पल्‍ली क्‍लब के दोस्‍तों के काफी करीब था। इस क्‍लब के दोस्‍तों में विवेक की अपनी अलग पहचान थी। घटना के बाद अस्‍पताल में दोस्‍तों का जमावड़ा लगा रहता था। विवेक की मौत की खबर जहां परिवार को बेगाना बना दिया वहीं दोस्‍तों को अकेला कर गया। घर से निकली शवयात्रा को पहले क्‍लब ले जाकर उसे श्रद्धासुमन सुमन अर्पित किया गया। वहां से शुरू हुई शव यात्रा में लोगों ने पीछे-पीछे विवेक के सपनों की थी कूलहाट (मिट्टी के बर्तन में चाय) की दुकान प्रधान नगर लाया गया, जहां लोगों ने श्रद्धासुमन सुमन अर्पित किया और इसके बाद शवयात्रा राम घाट के लिए प्रस्‍थान किया।  कूलहाट के स्‍टाफ का कहना था कि इसे बहुंच उंचाई पर ले जना चाहते थे और सिक्क्मि में भी एक शाप खोलने की योजना पर काम कर रहे थे।

सांसद राजू बिष्‍ट ने जताया शोक, घाट पर भाजपा नेताओं की अर्पित किए श्रद्धासुमन सुमन   

विकेक की अंतिम यात्रा के दौरान जहां श्रद्धासुमन सुमन अर्पित करने वालों का तांता लगा रहा। वहीं राम घाट पर भाजपा के जिलाध्‍यक्ष प्रवीण अग्रवाल, प्रशन्‍न्‍जीत पाल, राजू सिंह, राज भट्टाचार्य, मिडिया कन्‍वेनर सौमित्र सन्‍याल समेत तमाम भाजपा नेताओं पुष्‍प अर्पित कर नमन किया। वहीं दार्जिलिंग के सांसद सह भाजपा के राष्‍ट्रीय प्रवक्‍ता राजू बिष्‍ट ने अपनी संवेदना प्रकट करते हुए कहा कि दुःख की इस घड़ी में पूरा भाजपा परिवार गौतम दा के साथ है। भगवान विवेक की आत्‍मा को शांति और परिवार के सदस्‍यों को सहनशक्ति प्रदान करे। उधर मालाद लोकसभा से श्रीरूपा मित्रा चौधरी (निर्भय दीदी) ने भी अपनी संवेदना प्रकट करते हुए कहा आपदा की इस घड़ी में भी गौतम दा ने जिस तरह से अपने फर्ज को निभा रहे हैं वह कबिले तारिफ है। भगवान के उनके होनहार पुत्र का सदगति दे और परिवार को शांति प्रदान करें।