भू-माफियाओं का खेल, चतुरगाछ में रबर की तरह बढ़ गई जमीन.!

एक प्लाट से आएस एक खातीयन में 44 डिसमील के अलावा 2012 तक बिकी 67.5 डिसमील अधिक बिकी जमीन  

एक खातेदार दूसरे को दूसरा तीसरे को बेचने के बाद भी वारिसों ने भी बेची वहीं जमीन

जमीन का खेल, शासन प्रसाशन हुआ फेल, दलालों की चांदी, मालिकाना हक वाले काट रहा कोर्ट का चक्कर

पवन शुक्ल, सिलीगुड़ी

उत्तर बंगाल के विकास में भू-माफियाओं को अहम योगदान मिल रहा है। भू-माफिया और दलालों की मिली भगत कुछ इस तरह से चल रही है, कि जमीन तो वहीं पर कागजों में 1964 से 2012 के बीच में सिर्फ 44 डिसमील के एक प्लाहट में तकरीबन 67.5 डिसमील जमीन अधिक बेच दी गई, जो अब बढ़कर 111.5 डिसमील तक जा पहुंची।  जबकि वास्तफविक रूप में जमीनी हकीकत वहीं है जो पहले थी। अब इस बढ़ी जमीन की डीड बनाने वाले अगल-बगल के प्ला ट में अपने डीड के माध्यम दूसरे प्लाट की जमीनों में अपनी जमीन खोजते है, जिसको लेकर तमाम मामले कोर्ट से लेकर थाना चल रहे हैं। वहीं सबसे अहम बात यह है कि इस क्षेत्र में सन प्लांट एग्रो लि. समेत कर्इ कंपनियां भी जमीन के कारोबार से जुड़ी है, जिसमें जो जमीनों के खरीद-फरोख्त का धंधा कर रही है।

कैसे होता है जमीन का कारोबार...

जमीनों की दलाली में पैसा है, कुछ दलाल भू-माफियाओं से मिल उन्हेर जमीन दिखाते हैं और कागजात भी ठीक ही दिखाते हैं। वास्तविक कहानी यह है कि सब कुछ सबको पता होता होता है, बावजूद इसके औने-पौने दाम में जमीन भू-माफिया खरीद कर उस पर कब्जाह करते हैं। बाद में जब जमीन माफिया वास्ताविक हकदार को समझाते है अगर नहीं समझा तो कोर्ट से एक मुकदमा दर्ज कर देते है, जो कि सालों तक चलते हैं। वास्त विक जमीन का हकदार की परेशानी को देखने के बाद उसे किसी माध्यंम से मिटिंग की व्यिवस्थाक की जाती है। इसके बाद उसपर मानसीक रूप से दबाव बनाकर उससे कम दाम में जमीन हथियाने की कोशिश शुरू होती है। अगर टूट गया तो चांदी नहीं तो कोर्ट का चक्कार तो सालों तक चलता रहेगा.!

वर्षो से खाली जमीन पर होती है नजर..

मौजा बिन्नागुड़ी, सीट नंबर 11, जेल नंबर 3, थाना एनजेपी, जिला जलपार्इगुड़ी चतुरगाछ सिपाहीपाड़ा कैनाल के आसपास और उसके दोनों तरफ दलालों और भू-माफियाओं की सक्रियता अभी काफी तेजी से चल रही है। वहीं सिलीगुड़ी के पास इलाके वर्धमान रोड पर भी एक जमीन का मुकदमा वर्षो से लंबित है। वहीं इसका ज्वेलांत उदाहरण अभी मिडिया की सूर्खीयों में सालुगाढ़ा की जमीन जिसमें भक्तिनगर थाना प्रभारी को लाईन हाजीर कर दिया गया। सिलीगुड़ी के आसपास क्षेत्रों में सालुगाढ़ा तो एक बानगी है, अगर वास्त विक रूप में देखा जाय तो इस तरह के मामलों की भरमार है। हम एक-एक प्ला ट की जानकारी आपको देगें जैसे-जैसे खतीयान और डीड मिलेगी। अभी यह मामला चतुरगाछ सिपाहीपाड़ा के सिर्फ एक प्लायट की है, इस प्रकार के प्लाीटों की संख्याम का आकलन करना मुश्किल है।

भू-माफिया व दलाल का गठजोड़...

जमीन के इस कारोबार में महत्व पूर्ण भूमिका दलालों की होती है, और भू-माफिया बैकग्राउंड में होते है। हलांकि राजगंज बीएसआरओ व डीएलआरओ कार्यालय से पेपर बनाना कोई बड़ी बात नहीं है। जैसे की इससे पहले की खबर में देखा गया था। ''एलआर प्लाट संख्या 337 में कुल जमीन 1.32 एकड़ (132 डिसमील) को रिकार्ड करते हुए लास्ट 165 डिसमील कर दिया। अब सवाल यह है कि 33 डिसमील जमीन कहा से किसको को मिलेगा या किसका कटेगे। इस संबंध में 16-03-20 बीएलआरओ को कैंसलि करने के साथ पुलिस प्रशासन को भी 20-03-2020 को पत्र दिया। परंतु इस संबंध में अभी तक कोई कार्यवाई नहीं हुई।'' वहीं अब इस मामले को पीडि़त पक्ष अब सीबीसीआई के पास ले जाने की तैयारी में जुटा है।

अस्पताल, स्कूल, कालेज के नाम संवेदना बटोरने की कोशिश...

बड़ी जमीन पर विवादित अक्स र देखा गया है कि लोग कहते हैं यह मैं जनता की सेवा के लिए एक बेहतर अस्प‍ताल, स्कूतल कालेज खोलने की कोशिश की थी मेरी.! इसका एक ज्वूलंत उदाहरण है गत दस वर्ष पहले “सुकना सैन्य  भूमि घोटाला.!” जो अनाधिकृत रूप से सुकना सैन्यद छावनी जमीन को सेना के अधिकारियों को अंधेरे में रखकर 'लोयल कालेज' बनाने की बात समाने आई थी। इस मामले को जब एक हिंदी दैनिक अखबर ने प्रमुखता से उठाया तो कई सैन्य अधिकारियों पर कार्रवाई हुई। इसी प्रकार हर बेशकीमती जमीन पर सामाजिक सरोकार से जुड़े मुद्दों को उठाकर भू-माफिया लोगों का ध्यान और संवेदना अपनी ओर खीचनें का प्रयास भी करते हैं। जबकि जमीन कब्जाय होने के बाद जमीनी हकीकत कुछ और ही होती है।

  बताते चलें कि 1964 से शुरू हुई बिक्री जमीन की बिक्री 1984 तक तो ठीक रही,  लेकिन इसके बाद जब जमीनों की बिक्री शुरू हुई तो खरीदार दलालों के चंगुल फंस कर गए और दलालों ने जमीन रबर की तरह बढ़ते गए। करीब सात दशक पहले आरएस सलेटमेंट के दौरान प्लाट संख्या 232/758 में कुल जमीन 132 डिसमील थी। जो कि मौजा बिन्नागुड़ी, सीट नंबर 11, जेल नंबर 3, थाना एनजेपी, जिला जलपार्इगुड़ी स्थित है। जिसका मालिकाना हक तीन लोगों में बराबर का था। खातीयान संख्या 746/12 रसोकातं राय के पास 44 डिसमील जमीन थी। दूसरे खातीयान संख्या 746/16 मालिकानाहक हरी मोहन राय के पास 44 डिसमील जमीन थी। तीसरे खातीयान संख्या 746/18 का मालिकाना हक हरे कांत राय को 44 डिसमील मिली थी।  इसके बाद रसोकातं राय के वारिसों ने आरएस खातीयन संख्या 746/12 से डीड संख्या 5553 वर्ष 1964 में इस प्लाट के साथ अन्य तीन प्लाट में 87.5 डिसमील जमीन सतमोहन राय को बिक्री की। वहीं आरएस खातीयन नबंर 746/18 में हरे कांत राय के वारिसों ने डीड संख्या 5559 वर्ष 1964 में इस प्लाट के साथ अन्य तीन प्लाट से 66 डिसमील जमीन सतमोहन रॉय को बिक्री की। इस प्रकार सतमोहन रॉय के पास कुल 153.5 डिसमील जमीन थी। बाद में सतमोहन रॉय ने अपनी जमीनों को डीड संख्या 3525 वर्ष 1966 में अमियाबाला बनर्जी को आरएस खातीयन संख्या 746/18 में चार प्लाट में 33 डिसमील जमीन बेची। सतमोहल रॉय ने डीड संख्या 6813 वर्ष 1967 में खिरोदाबाला देवी को 66 डिसमील जमीन दो स्डूल से इस प्रकार बेची। स्डूल एक से आरएस खातीयन 746/12 में चार प्लाट से 33 डिसमील व स्डूल दो से आरएस खातीयन 746/18 में चार प्लाट से 33 डिसमील बेच दी। जबकि सतमोहन ने डीड संख्या 2115 वर्ष 1971 में ममता मुखर्जी को आरएस खातीयन 746/12 में चार प्लाट में 54 डिसमील जमीन बिक्री की।

मालूम हो कि मामले में आरएस खातीयान नंबर 746/12 में ममता मुखर्जी ने वर्ष 1984 में डीड नंबर 1689 से 54 डिसमील जमीन बेच दिया। जिसमें चारों प्लाट है पर जमीन कुछ इसप्रकार प्लाट में बेची आरएस प्लाट नंबर 232/758 से 44 डिसमील आर आरएस प्लाट नंबर 233 से 10 डिसमील बेच दिया। इसलिए अब आरएस खातीयन 746/12 के प्लाट नंबर 232/758 में 44 डिसमील जमीन ममता मुखर्जी बेचने के बाद इस खातीयन से इस प्लाट में कोर्इ जमीन नहीं बची।  आरएस खातीयान नंबर 746/12 के प्लाट नंबर 232/758 में 44 डिसमील जमीन बिक्री होने के बाद अब अधिक जमीन आरएस खातीयन नंबर 746/12 के आरएस प्लाट संख्या 232/758 से अधिक जमीनों की इस तरह बिक्री हुई। सबसे अहम बात यह है कि चंपासरी राँय आरएस खातीयान की 746/12 की वारिस है। वहीं सतमोहन रॉय की पत्नी भी है। इसके बाद कालीपदो व हरीपदो रॉय की मां हैं। चंपासरी राँय ने आरएस खातीयन नंबर 746/12 प्लाट नंबर 232/758 में 4.5 डिसमील जमीन मुक्ती भौमिक को डीड संख्या 2027 से वर्ष 1986 में बेची। वहीं इसके बाद भी इसी आरएस खातीयन 746/12 प्लाट नंबर 232/758 में 4 डिसमील जमीन कल्लान को डीड संख्या 3632 वर्ष 1989 में बेची। जबकि कालीपदो रॉय ने डीड नंबर 5281 वर्ष 2012 में देवीधार राँय को आरएस खातीयन नंबर 746/12 में प्लाट नंबर 232/758 में 33 डीसमील जमीन बेच दी। इसके बाद भी कालीपदो रॉय ने डीड नंबर 8453 वर्ष 2012 विश्वजीत भौमिक व अशोक कुमार भाटीया को आरएस प्लाट नंबर 232/758 से 6 डिसमील जमीन बेची। इसके अलावा कालीपदो के भार्इ हरीपदो रॉय ने डीड नंबर 263 वर्ष 2012 में सनप्लांट एग्रो लिमिटेड को आरएस खातीयन नंबर 746/12 के प्लाट नंबर 232/758 में 20 डिसमील जमीन बिक्री की। इस प्रकार जहां पर वर्ष 1984 में आरएस खातीयन 746/12 के प्लाट नंबर 232/758 की 44 डिसमील जमीन पूरी बिक्री हो गई। बावजूद इसके समय-समय पर वारीस के नाम पर वर्ष 1985 से 2012 के बीच में 67.5 डिसमील जमीन आरएस खातीयन से अधिक बिक्री हो गई।