खबरों की सुर्खीया व आयोजनों में दम तोड़ रही हिंदुस्‍तान की हिंदी

देश की राजभाषा की बिडंबना गाडि़यों के हिंदी नंबर प्‍लेट पर होता है चालान

हिंदी सप्‍ताह पर याद आती है हिंदी और उसके विकास की बात

सरकारी व गैरसरकारी संस्‍थानों में हिंदी के विकास के नाम पर लाखों का खर्च

बैंक समेत कई विभागों में बने हैं हिंदी अधिकारी व अलग से विभाग बना है

20 सितंबर के बाद फिर अगले साल का होता है, संस्‍थानों में हिंदी दिवस का इंतजार

पवन शुक्‍ल, सिलीगुड़ी

हिंदी हैं हम, हिंदोस्‍तां हमार.! ये बात करीब सभी जानते हैं.! भारत विभिन्‍न भाषाओं का देश है.! पर सभी में हिंदी के साथ स्‍थानिय भाषाएं भी चलन में है.! लेकिन सबसे बड़ी बिडंबना है भारत समेत दुनियां के कई देशों में हिंदी का प्रभाव है। परंतु सबसे बड़ी बिडंबना यह है कि हिंदुस्‍तान में हिंदी की उपेक्षा इसी से पता चलता है, कि देश में हिंदी की याद सभी सरकारी और गैरसरकारी विभाग में हिंदी दिवस के रूप में 14 सितंबर से 19 सितंबर तो धूम-धाम से मनाने की प्रक्रिया होती है। वहीं इन कार्यक्रमों की खबर भी सुर्खियों में होती है। विभाग के आयोजन पर छपी खबर को अपने कार्यालय के डेस्‍कबोर्ड पर चौड़े से लगाते हैं। लेकिन 20 सितंबर के बाद हिंदी की याद अगले वर्ष के इंतजार में शुरू हो जाती है.! भले हो क्‍यों ना, हिंदी के विकास के नाम सरकारी व गैर सरकारी संस्‍थानों में खर्च होने वाले राशि का इंतजार होता है। हलांकि एक सप्‍ताह तक सभी विभागों में बड़े पोस्‍टर, बैनर लगा कर हिंदी दिवस तो मनाया जाता है, परंतु सप्‍ताह के अंत होते ही सभी दिमाग से हिंदी का भूत कफूर जाता है, और फिर हावी होता है अंग्रजियत का भूत.! जिस देश की राजभाषा हिंदी हो उस देश में गाडि़यों के नंबर प्‍लेट पर अगर हिंदी में अंकित हो तो उसका चालान होता है..। इससे बड़ी बिडंबना हिंदुसतन के हिंदी की और क्‍या हो सकाता है।
बतातें चलें तक भारत के विभिन्न हिंदी भाषी राज्यों में आधिकारिक भाषा के रूप में देवनागरी लिपि में हिंदी को अपनाने के लिए 14 सितंबर को हिंदी दिवस मनाया जाता है। हज़ारी प्रसाद द्विवेदी, काका कालेलकर, मैथिली शरण गुप्त और सेठ गोविंद दास के साथ-साथ बीहर राजेंद्र सिंह के प्रयासों के कारण भारत गणराज्य की दो आधिकारिक भाषाओं में से एक हिंदी को अपनाया गया था। जैसे, 14 सितंबर 1949 को राजेंद्र सिंह के 50 वें जन्मदिन पर, प्रयासों के परिणामस्वरूप हिंदी को आधिकारिक भाषा के रूप में अपनाया गया। यह निर्णय भारत के संविधान द्वारा पुष्टि किया गया था जो 26 जनवरी 1950 को लागू हुआ था। भारतीय संविधान के अनुच्छेद 343 के तहत, देवनागरी लिपि में लिखी गई हिंदी को आधिकारिक भाषाओं में से एक के रूप में अपनाया गया था। कुल मिलाकर, भारत की 22 अनुसूचित भाषाएँ हैं। राजभाषा हिंदी का सबसे बड़ा दर्द यह है कि देश के आधे से अधिक क्षेत्रों में हिंदी की भाषा ही प्रमुख है। इसके साथ ही देश के अन्‍य राज्‍यों में हिंदी भाषा-भाषी की संख्‍या कम नहीं है। वहीं दुनियां के कई देश भी हिंदी के प्रयोग पर जोर दे रहे हैं। लेकनि हिंदुस्‍तान में हिंदी की उपेक्षा का यह एक नायाब तोहफा है, कि साईट पर हिंदी की 'विकीपीडीया' भी हिंदी में नहीं है, और आज भी हम गुगल पर निर्भर हैं.! जबक‍ि गुगल ने हर भाषा को हिंदी में समेत किसी भी भाषा को अन्‍य भाषा में ट्रांसलेट करने की सुविधा होने के बावजूद भी हम अंग्रेजी पर ही निर्भर हैं.!  मालूम हो कि 14 सितंबर 2020 में हिंदी दिवस समारोह का आयोजन कोरोना काल में भी जोश के साथ मनाया जा रहा है। राज्‍य सरकार, केन्‍द्र सरकार के विभागों में हिंदी दिवस के आयोजनों की तैयारियां जोरों पर इसके साथ ही आयोजन भी हो रहे हैं, लेकिन बस सिर्फ 19 सितंबर तक इसके बाद हम फिरफिर अपने पुराने सुर में राग अलापेंगे और इंतजार होगा 14 सितंबर 2021 का.!