चिकननेक की तस्‍वीर बदलना चाहते थे प्रणब...

प्रणब दा की मौत से सदमें में उत्‍तर बंगाल, बच्‍चों से प्‍यार को ले ब्राइट ने प्रणब दा को किया याद, याद कर रहा फूलबाड़ी का भारत-बंगला देश की सीमा  

पवन शुक्‍ल, सिलीगुड़ी

पूर्वोत्‍तर के चिकननेक, दुनियां की सबसे बेहतरीन चाय का मतलब दार्जिलिंग टी, वन्‍य अभ्‍यरण में अलग पहचान डुवार्स, ट्रीपल टी कहे जाने वाले शहर सिलीगुड़ी आज मुरझा गया। क्‍योंकि विकास नई रूप रेखा देने को आतुर थे, प्रणब मुखर्जी। बंगाल के होने के कारण वह सिलीगुड़ी को विकासीत कर इस विश्‍व पटल पर लाने की कोशिश में थे। चाहे भारत-बंगलादेश की सीमा का विकास हो या चाय के बागानों के प्रोत्‍साहन की बात हमेशा वह इसको लेकर संजिदा रहे। वहीं  बच्‍चों के प्रेम के परिभाषा की ऐसी मिशल उन्‍होंने पेश किया, जब वह राष्‍ट्रपति बने। अपने राष्‍ट्रपति काल के पहले चिल्‍ड्रेन डे पर प्रणब दा ने सिलीगुड़ी के ब्राइट अकादमी को एक नायाब तोहफा दिया था। जिसे याद कर बच्‍चे व स्‍कूल प्रबंधन उनके मौत की खबर से आहत है। ब्राइट अकादमी के निदेशक संदीप घोषाल ने बताया कि जब प्रणब दा राष्‍ट्रपति बने तो कुछ दिनों के बाद चिल्‍ड्रेन डे था। अचानक मन में आया एक निवेदन किया कि चिल्‍ड्रेन डे पर ब्राइट के बच्‍चे आपसे मिलना चाहते है। सिलीगुड़ी का नाम आते ही उन्‍होंने तुरंत मिलने की अनुमति दे दी। समय कम होने के कारण स्‍कूल ने आनन-फानन में छह बच्‍चों का एक दल स्‍कूल प्रबंधन के साथ हवाई यात्रा कर दिल्‍ली पहुंच गया। चिल्‍ड्रेन डे पर जब उनसे मिले तो उनके प्रशन्‍नता की सीमा का अंत नहीं था। वही राष्‍ट्रपति महोदय ने जो प्रेम सिलीगुड़ी के नाम पर दिया वह आज तक एक यादगार पल है। अपनी माटी के महक के फूलों ने जब प्रणब दा को पुष्‍पगुच्‍छ दिया तो वह अपनी भावनाएं नहीं रोक सके और बोल ही दिया ' केमोन आछे' बच्‍चे भी दादा के इस प्‍यार से काफी प्रभावति हुए। आज उनकी मौत पर पूरा स्‍कूल परिवार अपने बच्‍चों के साथ स्‍व. प्रणब मुखर्जी को श्रद्धासुमन अर्पित करता है।

अगर बंगाल के विकास की बात करें तो प्रणब दा ने फुलबाड़ी में भारत-बंगालादेश सीमा पर व्‍यापार को खोलकर सिलीगुड़ी के एक नए अध्‍याय की शुरूआत की। बल्कि यहां भारत-नेपाल सीमा सिर्फ 50 किलोमीटर होने के कारण इसे महत्‍वपूर्ण व्‍यवसायिक केन्‍द्र बनाने की घोषणा भी की। इंडो-बंगला और भूटान-बांग्ला व्यापार के लिए एक ड्राई पोर्ट के रूप में विकासीत करने की अधिसूचना संख्या 80/2004-कस्टम (NT) दिनांक 22.6.2004 को बना दिया गया। इसके बाद में, 23 अक्टूबर 2010 को दोनों देशों के बीच अंतिम ऑपरेटिंग तौर-तरीकों पर हस्ताक्षर किए गए। वहीं फूलबाड़ी में भारत-बंगला देश के व्यापार मार्ग पर पहली गाड़ी को तत्कालीन केंद्रीय वित्त मंत्री प्रणब ने हरी झंडी दिखा कर रवाना किया।

इसके साथ ही 14 करोड़ रुपये की लागत से निर्मित एलसीएस की नई सुविधा, 'इन्फ्रास्ट्रक्चर डेवलपमेंट एंड एक्सपोर्ट्स के लिए राज्यों को सहायता' स्कीम के तहत दी गई। सिलीगुड़ी जलपाईगुड़ी डेवलपमेंट अथॉरिटी, पोस्ट ऑफिस बिल्डिंग, फॉरेक्स अकाउंट, पोर्टेबल वेयरहाउस, वेट ब्रिज, 150 ट्रकों की पार्किंग, एक्स रे स्कैनर आदि की सुविधा से फूलबाड़ी की सीमा को लैस किया गया। वही उद्घाटन के समय केंद्रीय वित्त मंत्री के रूप में अपने कार्यकाल के दौरान श्री प्रणब मुखर्जी ने कहा, "मुझे विश्वास है कि अपने लाभप्रद स्थान और पर्याप्त बुनियादी सुविधा के साथ, फुलवारी एलसीडी नए भविष्य में भी पेट्रापोल के व्यापार की मात्रा को पार कर सकता है।" पेट्रापोल सबसे बड़ा बंगाली ट्रेड गेट होगा। वहीं सिलीगुड़ी से लगभग 8 किमी की दूरी पर फूलबाड़ी भारत-बांग्लादेश सीमा पर जनवरी 2011 में एक समारोह में तत्कालीन भारत सरकार के मंत्री प्रणब मुखर्जी ने भाग लिया और इसमें बांग्लादेश की कृषि मंत्री मतिया चौधरी ने इस सीमा के विकास के नई रूपरेखा रखी। आज फूलबाड़ी सीमा भी प्रणब दा को अपने विकास के लिए यादकर रहा है।