बिंदु अग्रवाल, गलगलिया: प्रात: काल वटवृक्ष पर धागा बांधकर उपासना कर वट सावित्री की पूजा की जाती है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार इस दिन माता सावित्री अपने पति सत्यवान के प्राणों को यमराज से छुड़ाकर ले आई थी इसी कारण यह वट सावित्री व्रत विवाहित महिलाएं एक त्यौहार के रूप में मनाती आई है और इस दिन वें अपने पति की शक्ति, कल्याण और समृद्धि के लिए प्रार्थना करती हैं।
गलगलिया व इसके आसपास के इलाकों में धूमधाम से मनाया गया वट सावित्री का यह त्यौहार ,सुहागिनों ने अपने पति की दीर्घायु की कामना करते हुवे यह निर्जला ब्रत रखा, इसी बिच रचना चौधरी जी व माया देवी जी ने बताया कि सभी सुहागिनें आज के दिन अपनी पति की लंबी आयु के लिये प्रार्थना कर इस उपवास को बड़े चाव से करती है । ब्रत के उपरान्त बिना नमक के पकावान खीर से ब्रत तोड़ा जाता है। इस तरह आज का यह ब्रत विधि पूर्वक पति के दिर्घायु और मंगल कामना करते हुवे धूम धाम से संपन्न हो गया।