लोकगायिकी में मिथिला व मैथिली से सोनी को मिल रही पहचान

“नहि बिसरब विद्यापति” के कार्यक्रम से विद्यापति संगीत को कर रही स्थापित

पारंपरिक गायन में चर्चित हैं सोनी चौधरी, मैधिली लोकगीत को दे रही पहचान

पवन शुक्ल, सिलीगुड़ी

प्रसिद्ध गायिका सोनी चौधरी मैथिली लोकगीत, पारंपरिक संगीत, भक्ति गीत के साथ ही विद्यापति संगीत गायन के क्षेत्र में अपनी अलग पहचान बना चुकी है। इन्हें गायन के क्षेत्र में तिलकामांझी राष्ट्रीय सम्मान से सम्मानित किया जा चुका है। सोनी चौधरी का जन्म मिथिला की हृदय स्थली दरभंगा में हुआ,  इन्होंने स्नातक ललित नारायण मिथिला विश्वविद्यालय से स्नातक किया। वर्तमान में  राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्ली में पिछले कई वर्षों से अनेक क्षेत्रों में अपनी एक अलग पहचान बनाई है l इन्होंने विद्यापति संगीत को राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्ली में एक नई पहचान दी है। एक अभिनव अभियान "नहि बिसरब विद्यापति" के तहत प्रतिमाह होने वाले कार्यक्रम के माध्यम से विद्यापति संगीत को स्थापित कर रही हैं। गैर मैथिली भाषी लोगों के बीच भी विद्यापति संगीत को लोकप्रिय बना चुकी है। दिल्ली के कई मंचो पर  विद्यापति संगीत को और मिथिला के पारंपरिक लोकगीतों को एक नए अंदाज में विख्यात किया। सोनी चौधरी ने बहुत सारे महोत्सव में हिस्सा लिया जिसमें बिहार सरकार की ओर से आयोजित उग्रतारा महोत्सव, सहरसा, बिहार सरकार की ओर से आयोजित अहिल्या महोत्सव, अहल्यास्थान, दरभंगा, मिथिला विभूति पर्व, दरभंगा, मिथिला विकास परिषद कोलकाता की ओर से आयोजित मिथिला महोत्सव और राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्ली में आयोजित सैकड़ों सांस्कृतिक एवं सामाजिक कार्यक्रमों में गायन की अपनी सुमधुर प्रस्तुति दी। गायन के अलावा लेखन के क्षेत्र में भी इनकी अलग पहचान है। महाकवि विद्यापति पर संकलित इनकी पुस्तक "नहि बिसरब विद्यापति" का लोकार्पण पश्चिम बंगाल के राज्यपाल महामहिम श्री जगदीप धनकड द्वारा मिथिला विकास परिषद कोलकाता में किया गया। इसके अलावा इनकी अनेक रचनाएं, आलेख, कविताएं विभिन्न पत्रिकाओं में चर्चित रही।