अस्त भएंबिगसत भईं निरखि राम राकेस…

राम मंदिर निर्माण का भूमि पूजन कल, प्रधानमंत्री रखेंगे आधार शिला

अयोध्या समेत पूरे अवध की छटा पर दिवाली का जश्न, घर-घर जले दीप

पवन शुक्ल, सिलीगुड़ी

14 वर्षो के राम, लक्षमण, सीता के वनवास के बाद जब लंका पर विजय पताका लहरा कर जब प्रमु श्रीराम आयोध्या लौटे तो इसी प्रकार दीवली जैसा माहौल रहा होग। जैसे आज पूरे अवध क्षेत्र के साथ करीब देश के अन्य भागों में हैं। तुलसीकृत रामायण में लिखा है। जब प्रभुश्री राम अयोध्या लौटे तो इस प्रकार वर्णन किया है।...“ नारि कुमुदिनीं अवध सर रघुपति बिरह दिनेस।

अस्त भएंबिगसत भईं निरखि राम राकेस।।” अर्थात- स्त्रियां कुमुदनी हैं, अयोध्या सरोवर है और श्री रघुनाथजी का विरह सूर्य है (इस विरह सूर्य के ताप से वे मुरझा गई थीं)। अब उस विरह रूपी सूर्य के अस्त होने पर श्री राम रूपी पूर्णचन्द्र को निरखकर वे खिल उठीं ॥

“होहिं सगुन सुभबिबिधि बिधि बाजहिं गगन निसान। पुर नर नारि सनाथ करि भवन चले भगवान।।” अर्थात-अनेक प्रकार के शुभ शकुन हो रहे हैं, आकाश में नगाड़े बज रहे हैं। नगर के पुरुषों और स्त्रियों को सनाथ (दर्शन द्वारा कृतार्थ) करके भगवान् श्र रामचंद्रजी महल को चले ॥ आज फिर राम मंदिर निमार्ण के लिए लंबी चली कानूनी दांव-पेच के फैसले के बाद सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद राम मंदिर निर्माण के फैसले के बाद हो रहा है। हलांकि भारत ही नहीं दुनियां के कर्इ देशों में भागवान की पूजा की जाती है। आस्था के केन्द्र मर्यादा पुरुषोत्तम राम की नगरी आयोध्या आज फिर अपने पुराने राम राज्य के दीपोत्सव की तरह प्रधानमंत्री की अगुआनी के लिए तैयार है।  मालूम हो कि रामनगरी अयोध्या में भगवान श्रीराम मंदिर के निर्माण के लिए भूमि पूजन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पांच अगस्त को करेंगे। इस कार्यक्रम को लेकर देश के साथ विदेश में भी असीम उल्लास का माहौल है। वहीं सिलीगुड़ी के चौक चौराहों पर भागवा पताका लहरा रहा है।   

हनुमानगढ़ी में हुइ हनुमान निशान की पूजा

अयोध्या में श्रीराम मंदिर जन्मभूमि पर भूमि पूजन की तैयारियों तथा पूजा के कार्यक्रम में कोरोना वायरस संक्रमण के कारण बदलाव किया गया है। इसी क्रम में हनुमानगढ़ी से जो हनुमान निशान जाना था, अब वो नहीं जाएगा। इसके चलते हनुमानगढ़ी में ही उसकी विशेष पूजा की गई है। अयोध्या के हनुमानगढ़ी मंदिर में एक विशेष 'हनुमान निशान' है जो करीब सात सौ वर्ष से अधिक पुराना बताया जाता है। चार मीटर चौड़ा और आठ मीटर लंबा ध्वज है। इसके साथ ही एक गदा और एक त्रिशूल है, जिसे करीब 20 लोग हनुमानगढ़ी से रामजन्मभूमि स्थल पर ले जाते हैं। कोरोना संक्रमण के कारण इस कार्यक्रम को टाल दिया गया । इसी कारण हनुमानगढ़ी मंदिर में पुजारियों ने हनुमान निशान की विशेष पूजा की। पहले सुबह नौ बजे इस निशान को रामजन्मभूमि ले जाना था। इस मौके पर संतों और राम भक्तों का उत्साह चरम पर दिखा। कोई भगवा लहरा रहा था तो कोई हनुमान जी का वेश धारण कर आनंद मग्न था। राम जन्मभूमि पर भव्य-दिव्य मंदिर निर्माण के लिए पूर्व निर्धारित कार्यक्रम के अनुरूप भूमि पूजन का तीन दिवसीय अनुष्ठान सोमवार से सुबह नौ बजे शुरू हो गया है। इसकी पूर्णाहुति 5 अगस्त (बुधवार) को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भूमि एवं शिलापूजन के साथ मंदिर की आधारशिला रखकर करेंगे। अनुष्ठान में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के अलावा संघ प्रमुख मोहन भागवत भी शामिल होंगे। अनुष्ठान के शुभारंभ के मौके पर दिल्ली के आचार्य चंद्रभानु, अयोध्या के ही आचार्य इंद्रदेव एवं प्रयाग के आचार्य पंकज जैसे पारंगत वेदज्ञों के साथ 21 वैदिक आचार्यों ने पूजन किया। दिव्य मंत्रोच्चार से भव्य मंदिर के निर्माण के लिए प्रस्तावित पांच एकड़ का संपूर्ण परिसर गूंज उठा।

  प्रधानमंत्री मोदी का अयोध्या कार्यक्रम: बुधवार 9.35 को दिल्ली से अयोध्या जाएंगे पीएम मोदी, 10.40 हनुमान गढ़ी दर्शन करेंगे। उसके बाद पीएम 12.00 बजे राम जन्मभूमि पहुंचने के बाद 10 मिनट रामलला का पूजन दर्शन करेंग। वही परिसर में 12.15 बजे पारिजात वृक्षारोपण के बाद 12.30 भूमि पूजन की शुरुआत होगी। उसके बाद 12.40 आधारशिला की स्थापना करेंगे। भूमि पूजन के बाद देश की जनता को संबोधित कर सकते है पीएम मोदी, मोहन भागवत भी करेंगे संबोधन की संभावना। हलांकि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी दिल्ली से विशेष विमान से लखनऊ पहुंचेंगे। फिर लखनऊ से हेलीकाप्टर से वे फैजाबाद के साकेत कालेज में उतरकर समाराेह स्थल तक जाएगें। कार्यक्रम के समाप्त होने के बाद पीएम वापस दिल्ली चले जायेंगे।