देश के पांच एयरबेस में पश्चिम बंगाल का हासीमारा एयरबेस भी
हसींमारा एयरबेस पायलट भी बनें हैं रफाल की ट्रेनिंग का हिस्सा
आज एक से तीन बजे के बीच में भारत की धरती को चूमेंगा रफाल
पवन शुक्ल, सिलीगुड़ी,दिनेश तिवारी बिन्नागुड़ी
पश्चिम बंगाल के अलीपुरद्वार जिले में हसीमारा वायु सेना स्टेशन राफेल लड़ाकू जेट के लिए तैयार हो गया है। सामरिक नजरिए से हासीमारा एयरबेस पूर्वोत्तर के लिए सबसे अहम एयर बेस है। रफाल पांच विमानों की पहली खेप दोपहर बाद भारत पहुंच रहे हैं तो स्वाभाविक रूप से हासीमारा के एयरबेस पर हलचल नजर आ रही है। वहीं अब फिर बंगाल के वादियों के आसमान में रफाल की गूंज सुनाई देगी।पहला स्क्वाड्रन पंजाब के अंबाला एयर फोर्स स्टेशन पर होगा, जबकि दूसरा स्क्वाड्रन उत्तर बंगाल के हासिमारा वायु सेना स्टेशन में स्थित होगा।सूतों से मिली जानाकरी के अनुसार पांच विमानों की पहली खेप में तीन अंबाला एयर बेस पर और दो रफाल विमान अलीपुरद्वार के हांसीमारा एयर बेस रखे जाएंगे, लेकिन कब आएंगे इसकी आधिकारिक पुष्टी नहीं हो सकी। वहीं राफेल का एक स्क्वाड्रन उत्तर प्रदेश के हिंडन एयरबेस भी होगा। पूर्वी सीमा हसीमारा को दूसरे स्क्वाड्रन के पायलाटों की ट्रेनिंग और रनवे की भी तैयारी पूरी कर ली गई है। वहीं हसीमारा में पहले एक मिग-27स्क्वाड्रन था। अब राफेल्स के एक स्क्वाड्रन रहेगा। मालूम हो कि रफाल जेट विमानों को फ्रांस से आगमन को लेकर इन दो वायु सेना स्टेशनों अम्बाला और हासिमारा के लिए सुविधाओं के निर्माण, आश्रयों, हैंगर और रखरखाव सुविधाओं की तैयारी पूरी कर ली गई है। हलांकि दोनों एयर फोर्स स्टेशन पर फ्रांस से डसॉल्ट एविएशन के तकनीकी इंजीनियरों टीमों युद्ध स्तर पर काम कर रहे थे। जिसमें रफाल जैसे अत्याधुनकि विमानों के रख-रखाव के लिए वायु सेना स्टेशन में नई सुविधाओं के विस्तार के साथ रनवे को भी बेहतर किया गया है। बताते चलें कि हसीमारा एयर बेस 1962 के चीन-भारत युद्ध के बाद अस्तित्व में आया था। उस समय एयर बेस ने फाइटर जेट्स के कई स्क्वाड्रन थे, जैसे गनट्स, अजेट्स, हंटर्स, मिग-21 बीआईएस और मिग-27 एमएल फाइटर जेट्स को रखा जाता हैं। मालूम हो कि सितंबर 2016 में चीन के साथ वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) पर चालाबाज चीन ने "युद्ध जैसी" हालात पैदा कर दिया था। जिसकी कल्पना कोई नहीं कर सकता था। इसी समारिक हालातों को देखते हुए भारत ने 36 राफेल लड़ाकू जेट (18 के दो स्क्वाड्रन) की खरीद के लिए फ्रांस के डसॉल्ट एविएशन के साथ एक समझौता किया। राफेल को भारतीय वायु सेना में शामिल होने के बाद निश्चित रूप से भारत की वायु शक्ति में वृद्धि होगी। इससे भारतीय वायु सेना में आक्रामकता, रक्षात्मक या टोही मिशन आसान होगा। वायुसेना प्रमुख के रूप में कार्यभार संभालने के बाद, एयर चीफ मार्शल आरएस भदौरिया ने स्क्वाड्रन की ताकत को बढ़ाने के लिए अपनी योजनाओं का खुलासा किया था। बताते चलें कि 36 राफेल लड़ाकू जेट को जिन पांच एयरबेस को चुना गया है। उसमें अंबाला, गाजयिाबाद का हिंडन एयरबेस, जयपुर हासीमारा के अलावा पूर्वोत्तर एक और एयरबेस होगा। हलांकि इस एयरबेसों के पुनारोद्धार का काम पूरा कर लिया गया है। जिसमें तकनीकी सेवाओं का अधुनिक विस्तार, रनवे का निर्माण और स्क्वाडन के प्रशिक्षण काम भी पूरा हो चुका है।