पवन शुक्ल, सिलीगुड़ी: छूआछूत की बीमारी कोरोना (कोविड19) ने जहां सभी को घरों में कैद कर दिया, वही अपनों से दूरियों को बढ़ा दिया। इस जानलेवा बिमारी को लेकर हर शक्श उक दूसरे को शक की नजर से देखता है। सामाजिक दूरियों ने जहां अपनों से दूर कर दिया। वहीं कभी एक साथ मिल बैठकर एक दूसरें के साथ बैठने से अब कतराने लगे हैं। यही हाल दार्जिलिंग जिले के उत्तर बंगाल मेडिकल कालेज के पास बसी कालोनी शांति निकेतन का है, जो कोरोना के इस संकट काल में हलांकि यह कालोनी से कोरोना संक्रमण से विमुक्त हो चुकी है, पर आने वाले दिनों में भी इस कालोनी के लोग कोरोना की दुश्वारियों को अपने से दूर नहीं देखते। हालांकि इस कोरोना का वास्तविक हाल यही है। 'मेरे हाथों की लकीरों में ये ऐब छुपा है, में जिस शख्श को छू लूं वो मेरा नहीं रहता'।
मालूम हो कि करीब सात सौ घरों वाली इस कालोनी में इस समय पांच सौ परिवार रहते है और यह कालोनी कैंटोमेंट जोन में है। कारण कि उत्तर बंगाल मेडिकल कोलेज में काम करने वाली नर्स सुरक्षा के आभाव में कोरोना से संक्रमित हो गई, जिसके कारण उसके परिवार के तीन लोग भी कोरोना से संक्रमित हो गए, हलांकि उपाचार के बाद सभी स्वास्थ्य होकर अपने घर हैं। बावजूद इसके यहां रहने वालों परिवारों में भय का माहौल है, कारण इसमें चिकित्सा से जुडें कई परिवार है, और मेडिकल कालेज की स्वास्थ्य व्यवस्था संसाधनों के अभाव में है, जिससे यहां के लोगों में संक्रमण का खतरा बना हुआ है। हलांकि जिला प्रशासन की नजर इस कालोनी पर है और समय समय पर सुझाव ओर जानकारियां उपलब्ध करा रही है। इस बावत सोसाइटी के प्रतिनिधि संजय मिश्रा का कहना है कि हम सरकारी नियमों का पालन पूरी इमानदारी से कर रहे है। वहीं सोसाइटी में सामाजिक दूरी, मास्क, साफ सफाई पर विशेष घ्यान दिया जा रहा है।