• विश्वविद्यालय परिसर में 10,000 वर्ग फीट क्षेत्र में रोपे गए 1,000 पौधे, 40 देशी प्रजातियों का समावेश
• जलवायु परिवर्तन से निपटने की दिशा में मियावाकी वन तकनीक द्वारा विश्वविद्यालय की अभिनव पहल
एनई न्यूज भारत,गोरखपुर| 5 जून : मदन मोहन मालवीय प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय (एमएमएमयूटी) में विश्व पर्यावरण दिवस के अवसर पर एक नई पर्यावरणीय पहल के तहत मियावाकी वन का उद्घाटन किया गया। कार्यक्रम का उद्घाटन विश्वविद्यालय के कुलपति प्रोफेसर जयप्रकाश सैनी ने किया। इस अवसर पर विश्वविद्यालय परिसर में 10,000 वर्ग फीट क्षेत्रफल में 1,000 से अधिक पौधे रोपे गए, जिनमें 40 से अधिक देशी प्रजातियाँ शामिल हैं।
मियावाकी तकनीक, जिसे जापानी वनस्पतिशास्त्री अकीरा मियावाकी ने विकसित किया था, अत्यंत घने और आत्मनिर्भर जंगलों को विकसित करने के लिए जानी जाती है। यह तकनीक सीमित स्थान में तेजी से वनस्पति विकास को संभव बनाती है, जिससे वायु गुणवत्ता में सुधार, कार्बन उत्सर्जन में कमी, जलस्तर का संवर्धन और जैव विविधता को बढ़ावा मिलता है।
कुलपति प्रो. सैनी ने कहा, “जलवायु परिवर्तन और पर्यावरण संरक्षण आने वाले समय के सबसे बड़े वैश्विक मुद्दे हैं। मियावाकी वन विश्वविद्यालय की ओर से सतत विकास के प्रति एक ठोस पहल है। छात्रों को इस प्रक्रिया का हिस्सा बनाकर उन्हें भविष्य के लिए तैयार किया जा रहा है।”
इस अवसर पर पीपल, बरगद, नीम, गुलर, अमलतास, अर्जुन, जामुन, इमली, आम, बेल, कनेर, गुड़हल सहित कई औषधीय और छायादार वृक्ष लगाए गए। कार्यक्रम में कुलसचिव चंद्र प्रियदर्शी, प्रो. गोविंद पांडे, प्रो. डी. के. द्विवेदी, सुरक्षा प्रभारी डॉ. हरीश चंद्र, प्रो. पी. पी. पांडे, प्रो. बी. के. पांडेय, प्रो. जय प्रकाश, डॉ. अभिजीत मिश्र, ध्रुप चंद और मनोज बलूनी सहित अनेक शिक्षक, कर्मचारी और छात्र उपस्थित रहे।
कुलपति ने सभी शिक्षकों, कर्मचारियों और छात्रों से एक-एक पौधे को गोद लेने का आह्वान करते हुए उन्हें पर्यावरण संरक्षण का दूत बनने की प्रेरणा दी। कार्यक्रम के माध्यम से विश्वविद्यालय ने हरित भविष्य की ओर एक ठोस कदम बढ़ाया है।