डीजीजीआई गुवाहाटी की कर्रवाई कर दो दिन की ट्रांजिट रिमांड पर लेकर गई गुवाहाटी
करोड़ों के टैक्स चोरी का मामला उत्तर बंगाल के सिंडिकेट पर भी डीजीजीआई की नजर
एनई न्यूज भारत, कोलकता
गुवाहाटी सीजीएसटी की खुफिया महानिदेशालय (डीजीजीआई) एक सुपारी कारोबारी पर कार्रवाई करते हुए गुरुवार को उसके तीन ठिकानों पर छापेमारी की। छापेमारी के दौरान डीजीजीआई ने आरोपी को गिरफ्तार किया और आरोपी को मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट उत्तर 24 परगना बरसात के न्यायालय में पेश किया। अदालत में दोनों पक्षों की सुनवाई सुनने के बाद कोर्ट जमानत खरीज कर दी और आरोपित को 2 दिन की न्यायिक रिमांड पर भेज दिया है। हालांकि कोर्ट ने गिरफ्तार आरोपी के स्वास्थ्य और खानपान की देखरेख करने का आदेश भी दिया है।
क्या है पूरा मामला
गुवाहाटी सीजीएसटी की खुफिया महानिदेशालय (डीजीजीआई) सूत्रो की माने तो वर्ष 2017 से लेकर 2023 तक के आरोपित शशि कुमार चौधरी और उनके कारोबारी पुत्र अंकित को उसके घर स्पेस टाउन के वीआइपी से गिरफ्तार किया गया। कारोबार की जांच की इस दौरान डीजीजीआई गुवाहाटी को काफी खामियां मिलीं और टैक्स चोरी का बड़ा मामला सामने आया। हालांकि इसमें 24-25 के मामले की जांच होनी है अभी बाकी है। जिसको लेकर टीम ने गुवाहाटी, कोलकाता और नई दिल्ली के ठिकानों पर छपी मारी की गई। इन 6 वर्षों के दौरान जीएसटी चोरी के करीब 100 करोड़ के टैक्स चोरी के मामले सामने आ रहे हैं। हालांकि आरोपी को कोलकाता से गिरफ्तार किया गया है।
कैसे होता है कारोबार
बंगाल में फेक बिल के सिंडिकेट का संचालन कोलकता से बे-रोक-टोक चल रहा है। असम से बंगाल के रास्ते से होने वाले सुपारी के काले कारोबार को सफेद करने के लिए सिंडिकेट कूचबिहार से फेक बिल को बड़ी सुरक्षा से अंजाम देता है। खासतौर देश के अन्य राज्यों में प्रतिदिन जाने वाली अधिकतर सुपारी की बंगाल के फालाकाट, धूपगुड़ी, कामख्यागुड़ी और बंगाल व असम सीमा से सटे क्षेत्रों से लोड किया जाता है, जिसका फेक बिल कोलकता से मेल द्वारा कूचविहार के सिंडिकेट पास भेजा जाता है, जो माल भेजने वाले का बिल कोलकता की पार्टी से होता है, इसके बाद सुपारी सभी गाड़ियां बंगाल के रास्ते फर्राटे भरते हुए दूसरे राज्य को चली जाती है। वहीं दूसरी ओर डीजीजीआई की नजर उत्तर बंगाल के सिंडिकेट पर भी है। सूत्रों की मन तो आने वाले समय में डीजीजीआई कार्रवाई से उत्तर बंगाल का सिंडिकेट पर भी तलवार लटक रही है।
क्या है फेक बिल का खेला
विभागीय सूत्रों की माने तो फेक बिल का सिंडिकेट जीएसटी पंजीकरण के बाद एक फर्म में एक माह में अधिकतम सुपारी की 150 गाड़ियों का बिल करता है, उसके बाद इस फर्म को बंद कर दिया जाता है। फेक बिल के इस गोरखधंधे से सीजीएसटी व राज्य की एसजीएसटी को प्रतिमाह हजारों करोड़ का चूना लग रहा है, लेकिन अन्य राज्यों के लिए बनाये गए बिल के जांच में होने वाली देरी ही पान मसाला और सुपारी के अवैध कारोबारियों के लिए खाद का काम कर रही है।