• शैक्षणिक सत्र 2026-27 से विधि शिक्षा का नया अध्याय, CLAT के माध्यम से होगा प्रवेश
• विधि शिक्षा की दिशा में एमएमएमयूटी की ऐतिहासिक पहल
• बहु-विषयक दृष्टिकोण के साथ छात्रों को मिलेगा वैश्विक अवसरों का लाभ
एनई न्यूज भारत,गोरखपुर|5 जून: मदन मोहन मालवीय प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय (एमएमएमयूटी) ने शिक्षा के क्षेत्र में एक ऐतिहासिक पहल करते हुए पांच वर्षीय इंटीग्रेटेड लॉ पाठ्यक्रम शुरू करने का निर्णय लिया है। विश्वविद्यालय की विद्या परिषद् की 3 जून को कुलपति प्रो. जे. पी. सैनी की अध्यक्षता में संपन्न बैठक में इस प्रस्ताव को औपचारिक स्वीकृति दी गई।
इस पाठ्यक्रम के संचालन हेतु विश्वविद्यालय में एक पृथक विधि विभाग / स्कूल ऑफ लॉ की स्थापना की जाएगी, जिसमें शैक्षणिक सत्र 2026-27 से कक्षाएं प्रारंभ होंगी। पाठ्यक्रम को प्रारंभ करने के लिए बार काउंसिल ऑफ इंडिया से मान्यता लेना आवश्यक होगा, जिसकी प्रक्रिया जल्द प्रारंभ की जाएगी।
मान्यता की प्रक्रिया और पाठ्यक्रम की रूपरेखा तैयार करने की जिम्मेदारी मानविकी एवं सामाजिक विज्ञान विभाग के सहायक प्रोफेसर डॉ. अभिजीत मिश्र को समन्वयक के रूप में सौंपी गई है। इस पाठ्यक्रम में प्रवेश कॉमन लॉ एडमिशन टेस्ट (CLAT) के माध्यम से देने की योजना है, जो नेशनल लॉ यूनिवर्सिटीज द्वारा आयोजित की जाती है।
देश में पहले से ही कई प्रतिष्ठित संस्थान जैसे नेशनल लॉ यूनिवर्सिटी बेंगलुरु, दिल्ली, हैदराबाद, भोपाल, गांधीनगर, आईआईएम रोहतक, दिल्ली विश्वविद्यालय, बीएचयू, एएमयू, आईआईटी खड़गपुर एवं जिंदल ग्लोबल लॉ स्कूल, सिम्बायोसिस लॉ स्कूल जैसे निजी विश्वविद्यालय इस कोर्स को सफलता पूर्वक संचालित कर रहे हैं।
यह पाठ्यक्रम उन छात्रों के लिए तैयार किया गया है जो 12वीं के पश्चात सीधे विधि शिक्षा में प्रवेश लेना चाहते हैं। पारंपरिक तीन वर्षीय एलएलबी कार्यक्रम की तुलना में यह एक वर्ष समय की बचत करता है और बीए-एलएलबी, बीबीए-एलएलबी अथवा बीकॉम-एलएलबी जैसे बहु-विषयक विकल्पों की सुविधा प्रदान करता है।
पाठ्यक्रम के अंतर्गत संवैधानिक, आपराधिक, कॉरपोरेट एवं अंतरराष्ट्रीय कानून, के साथ-साथ इंटर्नशिप, मूट कोर्ट, कानूनी अनुसंधान और क्लाइंट काउंसलिंग पर भी विशेष बल दिया जाएगा, जिससे छात्रों को व्यावहारिक ज्ञान प्राप्त हो सके और वे वकालत, न्यायिक सेवा, नीति निर्माण, कॉरपोरेट लॉ एवं अंतरराष्ट्रीय मंचों पर कार्य के लिए तैयार हो सकें।