• योग बंधन” ने अंतरराष्ट्रीय सहयोग और सांस्कृतिक एकता को दिया नया आयाम
• नेपाल सहित अनेक देशों के प्रतिनिधियों की भागीदारी से सजी वैश्विक स्वास्थ्य और योग की अनुपम संगोष्ठी
एनई न्यूज भारत,गोरखपुर, 5 जून : दीनदयाल उपाध्याय गोरखपुर विश्वविद्यालय में गुरुवार को आयोजित हुआ एक भव्य अंतरराष्ट्रीय कार्यक्रम “योग बंधन”, जिसने योग के माध्यम से वैश्विक एकता, समग्र स्वास्थ्य और सांस्कृतिक आदान-प्रदान का सशक्त संदेश दिया। विश्वविद्यालय परिसर में हुए इस आयोजन में भारत और नेपाल के प्रतिष्ठित शिक्षाविद, योग प्रशिक्षक और छात्र बड़ी संख्या में शामिल हुए।
कार्यक्रम का उद्घाटन माननीय कुलाधिपति आनंदीबेन पटेल के प्रेरणादायी नेतृत्व और कुलपति प्रो. पूनम टंडन के मार्गदर्शन में हुआ। उद्घाटन सत्र में प्रो. टंडन ने विश्वविद्यालय की प्रतिबद्धता को दोहराते हुए कहा, “योग बंधन केवल एक आयोजन नहीं, बल्कि वैश्विक एकता, स्वास्थ्य और साझा सांस्कृतिक मूल्यों का प्रतीक है।”
अंतरराष्ट्रीय सहभागिता बनी आकर्षण का केंद्र
इस आयोजन की एक विशेष उपलब्धि रही नेपाल के त्रिभुवन विश्वविद्यालय और बालकुमारी कॉलेज के साथ अंतरराष्ट्रीय साझेदारी, जिसमें 50 से अधिक प्रतिनिधियों ने भाग लिया। नेपाल से आए प्रमुख अतिथियों में प्रो. एम.एल. शर्मा, प्रो. रमेश्वर अधिकारी, पिताम्बर सापकोटा, डॉ. सुशील घिमिरे और अभिषेक घिमिरे प्रमुख रहे।
योग की प्रासंगिकता पर विचार
विशेष सत्र में डॉ. सम्बित भूषण यादव ने योग के माध्यम से मानसिक संतुलन और सांस्कृतिक समावेशिता की भूमिका पर प्रकाश डाला। उन्होंने कहा कि “आज की जटिल जीवनशैली में योग न केवल व्यक्तिगत स्वास्थ्य का माध्यम है, बल्कि यह वैश्विक सौहार्द का सेतु भी है।”
उत्कृष्ट संचालन और सम्मानजनक उपस्थिति
कार्यक्रम का संचालन डॉ. रामवंत गुप्ता (निदेशक, अंतरराष्ट्रीय प्रकोष्ठ) ने किया, जिनकी अगुवाई में डीडीयूजीयू का अंतरराष्ट्रीय प्रभाव निरंतर विस्तार पा रहा है। कार्यक्रम का समापन डॉ. मनीष प्रताप सिंह द्वारा भावपूर्ण धन्यवाद ज्ञापन के साथ हुआ।
भारत की सांस्कृतिक शक्ति का वैश्विक स्वरूप
इस आयोजन ने यह प्रमाणित किया कि भारत की योग परंपरा विश्व को जोड़ने की क्षमता रखती है। “डीडीयू गोरखपुर विश्वविद्यालय एक ऐसे मंच के रूप में उभर रहा है जहाँ शिक्षा, संस्कृति और स्वास्थ्य का समन्वय वैश्विक संवाद में तब्दील हो रहा है,” कुलपति प्रो. टंडन ने कहा।
“योग बंधन” कार्यक्रम ने विश्वविद्यालय को न केवल एक शैक्षणिक संस्थान बल्कि एक सांस्कृतिक दूतावास के रूप में स्थापित किया, जो भारत की सनातन परंपराओं को विश्वमंच पर प्रतिष्ठा दिलाने की दिशा में अग्रसर है।