• नवाचार और नई शिक्षा नीति के अनुरूप अकादमिक विस्तार को मिली हरी झंडी
• मेडिकल, रिसर्च और भारतीय ज्ञान प्रणाली से जुड़े नए विभागों की स्थापना को मंजूरी
एनई न्यूज भारत,गोरखपुर|3 जून: मदन मोहन मालवीय प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय, गोरखपुर की विद्या परिषद् की 38वीं बैठक मंगलवार को कुलपति प्रो. जे. पी. सैनी की अध्यक्षता में आयोजित की गई। इस बैठक में विश्वविद्यालय की अकादमिक और प्रशासनिक संरचना को सशक्त बनाने वाले कई महत्वपूर्ण निर्णय लिए गए। बैठक की कार्यसूची कुलसचिव डॉ. जय प्रकाश ने प्रस्तुत की।
बैठक में नई शिक्षा नीति के अनुरूप बी.टेक पाठ्यक्रमों के अंतर्गत विभिन्न माइनर डिग्री कोर्स शुरू करने की मंजूरी दी गई। इन कोर्सों में रोबोटिक्स, स्मार्ट मैन्युफैक्चरिंग, ड्रोन टेक्नोलॉजी, साइबर सिक्योरिटी, ब्लॉकचेन, स्पेस टेक्नोलॉजी सहित कुल 20 से अधिक विषय शामिल हैं।
इसके अलावा, विश्वविद्यालय में स्कूल ऑफ मेडिकल साइंस एंड टेक्नोलॉजी की स्थापना का निर्णय लिया गया है। सत्र 2026-27 से 100 सीटों वाले एमबीबीएस कोर्स के संचालन की योजना है। साथ ही बीडीएस, बीएससी नर्सिंग और हॉस्पिटल एडमिनिस्ट्रेशन जैसे पाठ्यक्रम भी शुरू किए जाएंगे।
शैक्षिक अध्ययन विभाग की स्थापना कर सत्र 2025-26 से चार वर्षीय एकीकृत अध्यापक शिक्षा कार्यक्रम (ITEP) भी प्रारंभ होगा, जिसमें 100 सीटों पर प्रवेश NCTE की राष्ट्रीय प्रवेश परीक्षा के माध्यम से होगा।
विश्वविद्यालय में छात्रों को भारतीय ज्ञान परंपरा से जोड़ने हेतु भारतीय ज्ञान प्रणाली अध्ययन विभाग, तथा खाद्य और औषधि गुणवत्ता परीक्षण हेतु सेंटर फॉर फूड एंड ड्रग टेक्नोलॉजी की स्थापना को भी मंजूरी दी गई।
बैठक में इलेक्ट्रॉनिक्स इंजीनियरिंग विभाग में एम.टेक इन इंटेलिजेंट एवियनिक्स एंड स्पेस रोबोटिक्स नामक नए कोर्स को भी हरी झंडी मिली, जिसमें 18 सीटें होंगी।
बी.फार्म पाठ्यक्रम के अध्यादेश को नई शिक्षा नीति के अनुसार संशोधित किया गया, वहीं स्नातक की भांति अब परास्नातक छात्रों को भी रेमेडियल/मेकअप क्लासेज की सुविधा मिलेगी।
शुल्क में वृद्धि किए बिना फीस संरचना का पुनर्गठन, पीएचडी फेलोशिप में बढ़ोतरी, एम.टेक और एमएससी की फीस में कमी (अब 19,750/- प्रति सेमेस्टर) जैसे छात्र हितैषी निर्णय भी बैठक में लिए गए।
इसके अतिरिक्त सत्र 2025-26 के शैक्षणिक कैलेंडर, विभिन्न विभागों की प्रगति रिपोर्ट, तथा शोध एवं नवाचार को बढ़ावा देने हेतु नए रेगुलेशन फॉर रिसर्च एंड डेवलपमेंट नीति को भी स्वीकृति प्रदान की गई।
यह बैठक विश्वविद्यालय की नीतियों में व्यापक सुधार और छात्रों के समग्र विकास की दिशा में एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर साबित हुई।