दीनदयाल उपाध्याय गोरखपुर विश्वविद्यालय में परीक्षा परिणाम घोषित, कुलपति को मिला ‘कर्नल कमांडेंट’ सम्मान

एनई न्यूज भारत, गोरखपुर: दीनदयाल उपाध्याय गोरखपुर विश्वविद्यालय ने शैक्षणिक सत्र 2024-25 के परीक्षा परिणामों की घोषणा कर एक नई उपलब्धि दर्ज की है। विश्वविद्यालय उत्तर प्रदेश का पहला संस्थान बन गया है जिसने सत्र के प्रारंभिक परिणाम घोषित किए हैं।

घोषित पाठ्यक्रमों में पी.जी. डिप्लोमा इन योगा (द्वितीय सेमेस्टर), एम.ए. इन योगा (चतुर्थ सेमेस्टर) और एम.एससी. माइक्रोबायोलॉजी (चतुर्थ सेमेस्टर) शामिल हैं। सभी परिणाम विश्वविद्यालय की आधिकारिक वेबसाइट www.ddugu.ac.in पर अपलोड कर दिए गए हैं। कुलपति प्रो. पूनम टंडन ने बताया कि यह प्रयास छात्रों को समयबद्ध शिक्षा और करियर के अवसरों में सहायता प्रदान करने के उद्देश्य से किया गया है।

उधर विश्वविद्यालय को एक और गर्व का अवसर प्राप्त हुआ जब कुलपति प्रो. पूनम टंडन को भारत सरकार के रक्षा मंत्रालय द्वारा 'कर्नल कमांडेंट' की मानद उपाधि से सम्मानित किए जाने की घोषणा हुई। यह सम्मान उन्हें एनसीसी के माध्यम से युवा नेतृत्व, अनुशासन एवं राष्ट्रसेवा को बढ़ावा देने के लिए प्रदान किया जा रहा है।

यह सम्मान समारोह 21 मई 2025 को प्रातः 11:00 बजे महायोगी गुरु गोरक्षनाथ शोधपीठ सभागार में आयोजित होगा। समारोह में रक्षा एवं शिक्षा जगत के कई विशिष्ट अतिथियों की उपस्थिति रहेगी।

प्रो. टंडन ने इस सम्मान को विश्वविद्यालय और एनसीसी कैडेट्स की सामूहिक उपलब्धि बताते हुए कहा कि यह उपाधि शिक्षा और राष्ट्रसेवा के समन्वय का प्रतीक है।

प्रो. टंडन एक प्रतिष्ठित भौतिक विज्ञानी हैं, जिनका शोध स्पेक्ट्रोस्कोपी, नैनोमैटेरियल्स और क्वांटम केमिस्ट्री पर केंद्रित है। वे 250 से अधिक शोध पत्र प्रकाशित कर चुकी हैं और 40 से अधिक पीएचडी शोधार्थियों का मार्गदर्शन कर चुकी हैं।

 

बुद्ध पूर्णिमा पर ‘भारतीय ज्ञान परंपरा’ विषयक व्याख्यान शृंखला का समापन

एनई न्यूज भारत गोरखपुर: बुद्ध पूर्णिमा के अवसर पर दीनदयाल उपाध्याय गोरखपुर विश्वविद्यालय स्थित महायोगी गुरु गोरक्षनाथ शोधपीठ एवं अंतर्राष्ट्रीय बौद्ध शोध संस्थान, लखनऊ के संयुक्त तत्वावधान में आयोजित पाँच दिवसीय व्याख्यान शृंखला का भव्य समापन हुआ।

समापन दिवस पर “नाथपंथ एवं गुरु गोरखनाथ” विषय पर गोरखपुर विश्वविद्यालय के अंग्रेज़ी विभाग के सह आचार्य डॉ. आमोद कुमार राय ने व्याख्यान दिया। उन्होंने कहा कि गोरखनाथ सहजता, कर्मशीलता और समय के सदुपयोग पर विशेष बल देते हैं।

कार्यक्रम की अध्यक्षता अंतर्राष्ट्रीय बौद्ध शोध संस्थान, लखनऊ के निदेशक डॉ. राकेश सिंह ने की। उन्होंने व्याख्यानों को ज्ञान परंपरा का सशक्त संवाहक बताते हुए इन्हें पुस्तक के रूप में प्रकाशित कराने की घोषणा की।

कार्यक्रम का संचालन डॉ. सुनील कुमार तथा धन्यवाद ज्ञापन डॉ. सोनल सिंह द्वारा किया गया। इस अवसर पर कविता पाठ, प्रतिभागी संवाद, प्रमाण-पत्र वितरण और ऑनलाइन सहभागिता ने आयोजन को जीवंत बना दिया।

समापन समारोह में विश्वविद्यालय के कई संकाय सदस्य, शोध छात्र एवं आमंत्रित अतिथि उपस्थित रहे।

 

गोरक्षनाथ शोधपीठ में ‘भारतीय ज्ञान परंपरा’ पर पांच दिवसीय व्याख्यान शृंखला का समापन

एनई न्यूज भारत गोरखपुर: दीनदयाल उपाध्याय गोरखपुर विश्वविद्यालय स्थित महायोगी गुरु गोरक्षनाथ शोधपीठ में आयोजित पांच दिवसीय व्याख्यान शृंखला का समापन बुद्ध पूर्णिमा के अवसर पर हुआ। यह व्याख्यान श्रृंखला विश्वविद्यालय एवं अंतर्राष्ट्रीय बौद्ध शोध संस्थान, लखनऊ (संस्कृति विभाग, उत्तर प्रदेश) के संयुक्त तत्वावधान में आयोजित की गई थी।

इस व्याख्यान माला का विषय था ‘भारतीय ज्ञान परंपरा के रक्षक: महर्षि पतंजलि, गौतम बुद्ध एवं गुरु गोरखनाथ’, जिसमें भारतीय दर्शन, योग और संत परंपरा के विविध आयामों पर विद्वानों ने प्रकाश डाला।

समापन दिवस पर "नाथपंथ एवं गुरु गोरखनाथ" विषयक व्याख्यान प्रस्तुत करते हुए गोरखपुर विश्वविद्यालय के अंग्रेजी विभाग के सह आचार्य डॉ. आमोद कुमार राय ने कहा कि गुरु गोरखनाथ ने भारतीय ज्ञान परंपरा को न केवल समृद्ध किया बल्कि उसे जनभाषा के माध्यम से जन-जन तक पहुँचाया। उन्होंने गोरखनाथ की सहजता, कर्मशीलता, तथा हठयोग के सिद्धांतों पर विस्तार से प्रकाश डाला।

डॉ. राय ने कहा कि “गोरखनाथ ने ‘हसिबा, खेलिबा, सबदी लेबो ध्यान’ के माध्यम से जीवन की सरलता और निरंतर कर्म को महत्व दिया। उन्होंने समय के सदुपयोग, कथनी-करनी में एकरूपता और चरित्र निर्माण को समाज के लिए अनिवार्य बताया।”

समारोह की अध्यक्षता कर रहे अंतर्राष्ट्रीय बौद्ध शोध संस्थान, लखनऊ के निदेशक डॉ. राकेश सिंह ने कहा कि “इस व्याख्यान माला ने भारतीय ज्ञान परंपरा को सरल भाषा में प्रस्तुत कर नई पीढ़ी को उससे जोड़ने का सराहनीय कार्य किया है।” उन्होंने इस आयोजन में प्रस्तुत व्याख्यानों को पुस्तक रूप में प्रकाशित कराने की घोषणा भी की।

कार्यक्रम की शुरुआत समन्वयक डॉ. कुलदीपक शुक्ल द्वारा स्वागत भाषण से हुई, जबकि संचालन डॉ. सुनील कुमार ने किया। धन्यवाद ज्ञापन डॉ. सोनल सिंह ने दिया। कार्यक्रम में सौरभ मिश्र ने गुरु गोरखनाथ पर एक प्रेरणादायक कविता का पाठ किया।

देशभर के विभिन्न विश्वविद्यालयों से प्रतिभागियों ने इस व्याख्यान माला में ऑनलाइन व ऑफलाइन भागीदारी की। अंत में प्रतिभागियों के प्रश्नोत्तरी सत्र का आयोजन किया गया तथा प्रमाणपत्र वितरित किए गए।

इस अवसर पर विश्वविद्यालय की छात्र कल्याण अधिष्ठाता प्रो. अनुभूति दुबे, प्रो. विनीता पाठक, शोधपीठ के उप निदेशक डॉ. कुशल नाथ मिश्र, सहायक ग्रंथालयी डॉ. मनोज कुमार द्विवेदी, डॉ. प्रियंका गौतम, डॉ. हर्षवर्धन सिंह, अमर सिंह सहित कई गणमान्य उपस्थित रहे।