असम पुलिस ने 7 देशद्रोहियों को दबोचा

• सेना की खुफिया के इनपुट पर असम एसटीएफ ने शुरू की थी जांच
• एसटीएफ में असम से दो और राजस्थान से 5 लोगों को किया गिरफ्तार
एनई  न्यूज़ भारत, गुवाहाटी: पाकिस्तान की नापाक कोशिश को असम पुलिस में फिर एक बार नाकाम कर दिया है। देश विरोधी कार्यो के लिए प्रयोग किया जाने वाले व्हाट्सएप नंबर को लेकर असम पुलिस ने 7 लोगों को गिरफ़्तार किया है जो पाकिस्तान के लोगों को OTP शेयर करके भारतीय नंबरों से WhatsApp इस्तेमाल करने में मदद कर रहे थे। उक्त बातें असम के डीजीपी हरमीत सिंह ने पत्रकारों को संबोधित करते हुए कही। 
 
उन्होंने बताया कि इस अभियान में गिरफ्तार आरोपियों में जकारिया अहमद, 24 वर्ष, पुत्र लेफ्टिनेंट मोजीबर रहमान, गांव- सेगुनमारी पीटी IV, थाना-बिलासीपारा, जिला- धुबरी असम मोफिजुल इस्लाम 19वर्ष पुत्र साबिर अली निवासी-कथल्डी पीटी-2, थाना-बिलासीपारा, जिला-धुबरी असम को गिरफ़्तार किया गया।
 
जबकि असम पुलिस एसटीएफ टीम ने सद्दीक 47 वर्ष पुत्र- धन्ना, गांव-बेला दवाक, थाना-सीकरी, तहसील- नगर, जिला-भरतपुर, राज्य- राजस्थान, आरिफ़ खान, 20 वर्ष, पुत्र अज़हर खान, सहोड़ी का बार, सहोरी अलवर, थाना अकबरपुर, अलवर राजस्थान, साजिद, 21 वर्ष, पुत्र बन्ने खान, सहोड़ी का बार, सहोरी, थाना: अकबरपुर, अलवर राजस्थान, अकीक, 25 वर्ष, पुत्र-हकीमुद्दीन, गांव-रोजकी, थाना-नगर, जिला-भरतपुर, राजस्थान और अरशद खान, 33 वर्ष, पुत्र-हकीमुद्दीन, गांव-रोजकी, थाना-नगर, जिला-भरतपुर, राजस्थान को गिरफ़्तार किया गया है। 
असम के DGP हरमीत सिंह ने बताया कि  हमें गजराज मिलिट्री इंटेलिजेंस से पहला इनपुट मिला था कि उन्हें कई ऐसे लोगों के बारे में पता चला है जो पाकिस्तान में लोगों को OTP भेज रहे थे। जिनका इस्तेमाल भारतीय WhatsApp नंबरों पर अकाउंट बनाने के लिए किया जा रहा था। पिछले कई दिनों से तकनीकी विश्लेषण किया जा रहा था और 14 तारीख को STF में मामला दर्ज किया गया और इसके बाद ऑपरेशन घोस्टसिम लॉन्च किया गया। इस ऑपरेशन के तहत असम पुलिस टीमों को हैदराबाद, राजस्थान भेजा गया। इस अभियान में 16 तारीख की दोपहर से, सात लोगों को गिरफ़्तार किया गया है। जिसमें कुछ भरतपुर और अलवर से,  एक गुवाहाटी एयरपोर्ट पर से गिरफ़्तार किया गया।
डीजीपी ने बताया कि इन सिम कार्ड का इस्तेमाल न केवल साइबर बल्कि राष्ट्र-विरोधी गतिविधियों के लिए भी किया जाता था और इस मामले में, स्पष्ट सबूत हैं कि इनमें से कुछ नंबरों को साझा किया गया है और राष्ट्र-विरोधी तत्वों और शत्रुतापूर्ण तत्वों द्वारा ऐसे WhatsApp अकाउंट का इस्तेमाल करने के लिए इस्तेमाल किया जा रहा है।