स्कूली छात्रों के साथ मनाया गया 25वी कारगिल विजय दिवस

 

• बीएसएफ ने नदिया जिले में स्कूली छात्रों और स्थानीय निवासी के साथ मनाई कारगिल विजय दिवस

• शहीद जवानों को नमन कर कार्यक्रम का शुभारंभ हुआ व हथियार प्रदर्शनी के दौरान बच्चों ने दिलचस्पी दिखाई

एनई न्यूज भारत,कोलकाता: बीएसएफ पूर्वी कमान के दक्षिण बंगाल सीमा के अंतर्गत क्षेत्रीय मुख्यालय कृष्णानगर में कारगिल विजय दिवस की 25वीं वर्षगांठ मनाया गया,देशभक्ति कार्यक्रम और हथियार प्रदर्शनी का आयोजन किया। कारगिल युद्ध के दौरान पाकिस्तान के तरफ से भारत में गिरे कुछ बमों को बीएसएफ ने प्रदर्शनी का हिस्सा बनाया। इस महत्वपूर्ण कार्यक्रम में स्थानीय निवासियों, किड्स स्कूल के 69 बच्चों के साथ अध्यापकों ने भी भाग लिया। कार्यक्रम में छात्रों और बीएसएफ कर्मियों द्वारा देशभक्तिपूर्ण प्रदर्शन किया गया और कारगिल युद्ध के सभी शहीदों को बीएसएफ जवानों ने श्रद्धांजलि दी। कार्यक्रम शुरू होने से पहले, स्कूली छात्रों को बीएसएफ द्वारा आयोजित हथियार प्रदर्शनी को देखने का अवसर मिला। छात्रों ने प्रदर्शित हथियारों में बहुत रुचि दिखाई और उत्सुकता से उनकी विशिष्टताओं और कार्यक्षमताओं के बारे में जाना।

बीएसएफ दक्षिण बंगाल सीमान्त के 8वीं वाहिनी को "कारगिल योद्धा" के रूप में भी जाना जाता है। बीएसएफ की 08 वाहिनी कारगिल युद्ध के दौरान चेनीगुंड क्षेत्र में तैनात थी। 8वीं वाहिनी ने काकसर, चेनीगुंड और कारगिल एफ.डी.एल. सहित रणनीतिक रूप से महत्वपूर्ण स्थानों पर नियंत्रण बनाए रखने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई, साथ ही सेक्टर की सबसे ऊंची चौकी, चोरबत ला (17,000 फीट) पर भी। जंहा से बटालियन ने ऐतिहासिक सिल्क रूट को सुरक्षित किया। 8वीं वाहिनी ने रणनीतिक रूप से महत्वपूर्ण "काला पहाड़" क्षेत्र पर कब्जा करने के लिए एक अभियान का नेतृत्व किया, जो लद्दाख को कश्मीर घाटी से जोड़ने वाली सड़क पर हावी था। 

बीएसएफ अपनी खुफिया शाखा के माध्यम से महत्वपूर्ण योगदान दिया, जिसने क्षेत्र में दुश्मन की गतिविधियों के बारे में अग्रिम जानकारी इकट्ठा करने और संसाधित करने के लिए स्रोतों के एक व्यापक नेटवर्क का उपयोग किया। खुफिया जानकारी कारगिल संघर्ष के दौरान सैन्य अभियानों की सफलता में सहायक सिद्ध हुई थी। 

इस अवसर पर, बीएसएफ दक्षिण बंगाल ने सीमान्त के प्रवक्ता डीआईजी ए.के. आर्य, ने बताया 8वीं वाहिनी के वीरतापूर्ण प्रयासों पर प्रकाश डाला। उन्होंने कहा,"कारगिल युद्ध के दौरान, हमारी 8वीं बटालियन, जो नादिया जिले में भारत बांग्लादेश सीमा तैनात है, उस समय कारगिल क्षेत्र में तैनात थी। हमारे जवानों ने भारतीय सेना के साथ कंधे से कंधा मिलाकर दुश्मन को निर्णायक झटका दिया और जीत हासिल की। युद्ध के दौरान हमारे जवानों द्वारा प्रदर्शित बहादुरी और समर्पण अनुकरणीय था, और उनका यह योगदान राष्ट्र के लिए अपार गौरव का स्रोत है।"