चीन ने कहा-लेंगे अंर्तराष्ट्रीय कानून की सहायता
आसमान पर उड़ रहे ड्रैगन को अब नजर आयी जमीन
देश में स्वत: चाइनिज सामनों के विरोध से धबराया चीन
चालबाज चीन अब छोटे-छोटे देश को भारत के खिलाफ कर रहा खड़ा
चालबाज चीन ने नेपाल को बनाया शिकार, भारत के सामने किया खड़ा
भारत का विरोध, नेपाल में खाने-पीने के सामानों के मूल्य मे हुआ इजाफा
पवन शुक्ल, सिलीगुड़ी : पहले पूरी दुनियां में कोरोना को लेकर अपनी बदनामी झेल रहे चालबाज चीन ने भारत से पंगा लेकर खुद को ही विश्व में नंगा कर लिया। भारत के जवानों ने जो हनक 1967 में दिखाई, उसे भूलकर गलवान में भारत के बलवानों से भिड़ गया। गलवान में भी भारत के बलवानों ने रीढ़ व गर्दन की हड्डी तोड़कर करारा जवाब तो दे दिया। लेकिन भारत अपने शहीद जवानों की शहादत को भूल नहीं पा रहा है। जिसके कारण चाइनीज सामानों का विरोध तो उसी समय से शुरू हो गया। वहीं सरकारी उपक्रमों से पहले बाहर का रास्ता दिखाया। अब केन्द्र सरकार ने एक अहम कदम उठाते हुए चीन के 59 एप को बंद कर ड्रैगन को बंद के द्वंद में इस कदर शिकंजा कसा की अब चालबाज चीन को अंर्तराष्ट्रीय कानून की सलाह लेने की धमकी दी है। हलांकि भारत सरकार ने टोटल 59 चीनी एप को बैन करने का ऐलान सोमवार को ये फैसला लिया गया है। वहीं अब तक इनमें से कई एप को एपल एप स्टोर और प्ले स्टोर्स पर मौजूद हैं। हालांकि टीकटाक एप को गूगल प्ले स्टोर और एपल एप स्टोर से हटा लिया गया है। हलांकि ये एप तो बैन तो किए गए हैं, लेकिन अब तक ये पूरी तरह से ब्लॉक नहीं किए गए हैं। यानी अगर जिनके पास इन 59 में से कोई भी ऐप है तो वो इसे यूज कर रहे हैं और इनके सभी फीचर्स काम भी कर रहे हैं. ऐसा इसलिए, क्योंकि इन ऐप्स को ब्लॉक नहीं किया गया है। सबसे अहम बात यह है कि अब तक सरकार ने ये नहीं कहा है कि इन एप को बैन हमेशा के लिए किया गया है, या बैन अस्थाई है।
बताते चलें कि भारत के साथ गलवान की घटना के बाद से ही चीनी सामानों का विरोध पूरे देश में जोर पकड़ लिया। इसके बाद से ही चीन सदमें में है। समय-समय पर अपने अखबार ग्लोबल टाईम के माध्यम से धमकियां देता रहा, लेकिन ड्रैगन शायद भूल गया यह 1962 का भारत नहीं है। हलांकि 1962 का बदला तो भारत के गोरखा जवानों ने ठीक पांच साल बाद यानि 1967 में ही पूर्वेत्तर के सिक्क्मि पर नाथुला की घाटी में दे दिया था। लेकिन चालबाज चीन अपने पैसे और सस्ते सामान की बदौलत भारत को जीतने की कोशिश करता रहा है। मालूम हो कि एप के बंद की कहानी तो 2017 से ही शुरू हो गई थी। जब पूर्वेत्तर के डोकलाम में भारत से भिड़ा था। सरकार ने उसी समय से मन बनाया था, चालबाज चीन को माकूल जवाब देने का। उसी समय सेना ने अपने जवानों से चीन के कुछ एप को डाउन लोड नहीं करने का आदेश दिया था। उसके बाद ही भारत-चीन की सीमाओं को सड़कों के माध्यम से जोड़ने का काम युद्ध स्तर पर शुरू करते हुए चीन को माकूल जवाब ही है। अब चीन की किसी भी सीमा पर सेना की गाडि़यों को जाने में कोई परेशानी नहीं हो रही है और रसद समेत हथियारों का साजो सामान आसानी से पहुंच रहा है। चालबाज चीन की असली परेशानी यही है। भारत से मुंह की खाने के बाद चीन ने भारत के सदियों पुराने पड़ोसी राष्ट्र नेपाल को अपने कब्जे में लेकर भारत के खिलाफ खड़ा कर दिया। लेकिन अब नेपाल भी मुश्किल में फंस गया। भारत से विरोध के बाद नेपाल में खाने पीने के सामानों की किल्लत भी होने लगी। वहीं खाने के सामनों की कीमत आसमान छू रही है, जैसे भारत में 10 रूपये किलो का नमक नेपाल में 100 किलों बिक रहा है। नेपाल सूत्रों की माने तो नेपाल के प्रधानमंत्री सिर्फ अपनी सत्ता को बचाने के लिए चीन के हाथों खेल रहा है। जबकि जमीनी हकीकत कुछ और ही है, नेपाल में भी बदलाव की कहानी की शुरूआत हो गई। मालूम को कि भारत के बढ़ते कदम को देखते हुए चालबाज चीन आसमान से जमीन पर आ गया, और वह विश्व विरादरी में अपनी इज्जत बचाने के लिए हेकड़ी दिखा रहा है।