पिता का मोह में सरहद को दौड़ी बेटी

 

पिता के पार्थिव शरीर का आखिर दर्शन के लिए सरहद पर पहुंची बेटी 

बीएसएफ के निगरानी में हुआ आखिरी दर्शन 

एनई न्यूज भारत,नदिया: बीते दिन यानी 26 अप्रैल को,जहां पूरा देश चुनाव के रंग में रंगा था। वहीं बीएसएफ दक्षिण बंगाल के पुत्तीखाली में, 08वी वाहिनी, जवानों द्वारा एक अनूठा पहला सामने आया। बांग्लादेश में रहने वाली बेटी को मृत्यु पिता का कराया आखरी दर्शन अंतर्राष्ट्रीय सीमा के जीरो पॉइंट पर, दोनों देश के जवानों ने इस सामाजिक कार्य में आगे आए जहां बॉर्डर गार्ड बांग्लादेश (बीजीबी) और भारत से बीएसएफ थी दोनों ही देश जवानों के निगरानी में हुआ आखरी दर्शन।  

बीएसएफ से मिली जानकारी के अनुसार यह घटना 26 अप्रैल की है, दक्षिण बंगाल के नदिया जिले के सीमावर्ती इलाके में हुई थी। सीमावर्ती गांव नालूपुर रहने वाली लिपि बीबी( मर्तक की पत्नी) ने बीएसएफ के 08वीं वाहिनी के सीमा चौकी पुत्तीखाली के कंपनी कमांडर को बताया। भारत के नालूपुर गांव के रहने वाले महाबुल मंडल की कल रात मृत्यु हो गई, और उनकी बेटी और रिश्तेदार बांग्लादेश के मेदिनीपुर गांव में रहते हैं। उन्होंने बीएसएफ से आग्रह किया कि उसकी बेटी और रिश्तेदार अपने पिता का आखिरी दर्शन करने दे। उनकी बात सुनने के बाद कंपनी कमांडर ने मानवीय और भावनात्मक पहलुओं पर विचार सीएम करते हुए तुरंत अपने समकक्ष बॉर्डर गार्ड बांग्लादेश (बीजीबी) के अधिकारियों से संपर्क किया। बीएसएफ के अनुरोध के बाद बीजीबी ने भी मानवीय दृष्टिकोण को ध्यान में रखते हुए कदम आगे बढ़ाया तथा दोनों ही देशों के सीमा सुरक्षा बलों ने मानवीय पहलू को सर्वोपरि रखते हुए बांग्लादेश में रहने वाली बेटी और उनके रिश्तेदारों को अंतरराष्ट्रीय सीमा के पास जीरो लाइन पर उनके मृत भारतीय पिता के अंतिम दर्शन कराने के लिए व्यवस्था की गई।

अंतिम विदाई के दौरान माहौल गमगीन था और बीएसएफ के मानवीय दृष्टिकोण के लिए उनका आभार जताया गया। मृतक की बेटी और उसके रिश्तेदारों ने अंतरराष्ट्रीय सीमा के पार अपनी नानी के अंतिम क्षणों को देखने में सक्षम होने के महत्व को स्वीकार करते हुए, बीएसएफ के प्रति हार्दिक सराहना व्यक्त की।

 

बीएसएफ जनसंपर्क अधिकारी डीआइजी ए.के आर्य, ने बताया सामाजिक और मानवीय मूल्यों के प्रति बल की प्रतिबद्धता पर प्रकाश डाला। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि बीएसएफ के जवान बिना पलक झपकाए दिन-रात सीमा पर तैनात रहते हैं, न केवल देश की सुरक्षा सुनिश्चित करते हैं बल्कि सीमा पर रहने वाले निवासियों की भावनात्मक और सामाजिक भलाई के बारे में भी सोचते हैं। जनसंपर्क अधिकारी ने कड़े शब्दों में कहा कि बीएसएफ गलत इरादे वाले लोगों के खिलाफ है, लेकिन वह मानवता और मूल्यों को बनाए रखने के लिए प्रतिबद्ध है।