याद उन्हें भी कर लो जो लौट के घर न आये...

बांग्लादेश की अंतरराष्ट्रीय सीमा फूलबाड़ी के जीरो प्वाइंट पर सजी गीत व संगीत की महफिल

बांग्लादेशी कलाकारों ने सूफी संगीत पर बांधा संमा, तो भारत के स्कूली बच्चों ने दिखाया अपना जलवा

 न्यूज भारत, सिलीगुड़ीः 'ऐ मेरे वतन के लोगों ज़रा आंख में भर लो पानी' जो शहीद हुए हैं उनकी ज़रा याद करो क़र्बानी' यह मशहूर देशभक्ति गीत कवि प्रदीप ने लिखा था। इस गीत को संगीत से सजाया था सी. रामचंद्रा ने। इस गीत में 1962 में भारत-चीन युद्ध के दौरान मारे गए सैनिकों को याद किया गया है। लता मंगेशकर ने इस गीत को पहली बार 27 जनवरी 1963 को नई दिल्ली के नेशनल स्टेडियम में गया था। ऐ मेरे वतन के लोगों तुम ख़ूब लगा लो नारा ये शुभ दिन है हम सब का लहरा लो तिरंगा प्यारा, पर मत भूलो सीमा पर वीरों ने है प्राण गंवाए कुछ याद उन्हें भी कर लो जो लौट के घर न आये....। लेकिन आज यह गीत मुक्ति संग्राम के स्वर्ण जयंती वर्ष की पूर्व संध्या पर ‘बांग्लादेश-भारत का संयुक्त सांस्कृतिक कार्यक्रम‘ फूलबाड़ी की अंतरराष्ट्रीय सीमा पर सेक्साफोन पर बीएसएफ के जेजे बैंड के रामबक्स रावल ने जैसे ही तान भरी दोनों देशों के लोगों और बीएसएफ के जवानों के मन में देशभक्ति के साथ-अपने जवानों की शहादत आंखों के सामने से गुजर गई। स्‍थान था, भारत-बांग्लादेश की अंर्तराष्ट्रीय सीमा का जीरो प्वांइट फूलबाड़ी। दोपहर को करीब 12 बजे शुरू हुए इस रंगारंग कार्यक्रम में जहां बांग्लादेश लौलीन आकादमी के कलाकारों ने सूफी संगीत की अनेकों प्रस्तुति ने दोनों देशों के लोगों के मन को मोहा और खूब तालियां बटोरी। जबकि नेहरू युवा केन्द्र के बच्चों ने अपनी नेपाली परंपरा की शानदार प्रस्तुति ने सभी आंगतुको के मन को मोह लिया। वहीं देशभक्ति की भावना से ओतप्रोत डीएबी के स्कूली बच्चों में अपने शानदार कार्यक्रम की प्रस्तुति में सभी के मन में देशभक्ति की भावना में गोते लगाने से नहीं चूके। वहीं इस कार्यक्रम में बीएसएफ बैंड ने भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाया। कार्यक्रम के अंत में सभी आगत अतिथियों का स्वागत किया गया और हिली सीमा से चली विकलांग साइकिल रैली के जवानों का स्वागत भी फूल माला पहला किया गया। इस कार्यक्रम में स्‍थानीय विधायक शंकर घोष व दुर्गा मुर्मू समेत सीमा के आसपास के काफी लोग इस कार्यक्रम को देखने के लिए जुटे हुए हुए थे।