अधर लटके इस परियोजना से बालुरघाट व हिली के लोगों में निराशा
केन्द्र के अधिवक्ता के जवाब से संतुष्ट नहीं हाईकोर्ट : कल्याण चक्रवर्ती
स्थानीय कोई समस्या हो तो राज्य सरकार भी लिखीत रूप से बताए
न्यूज भारत, कोलकाता : करीब एक दशक पहले शुरू हुई अंर्तराष्ट्रीय सीमा बंगलादेश के हिली तक जाने वाली बालूरघाट-हिली रेल परियोजना का काम अधर में लटकने के मामले को कलकत्ता हाईकोर्ट ने संज्ञान में लिया है। कलकता हाईकोर्ट ने देरी के कारण को लेकर केंद्र सरकार से हलफनामा पेश करने का निर्देश दिया है। साथ ही केंद्र सरकार से पूछा है कि करीब एक दशक पहले वर्ष 2010 में शुरू हुई इस परियोजन का काम अभी क्यों अटका हुआ है। इस संबंध में हाईकोर्ट ने केंद्र को हलफनामा पेश करके को कहा है। साथ ही अदालत ने राज्य सरकार को भी हलफनामें के जरिये स्थानीय समस्या को लेकर अगर कोई मामला है तो इसका भी विवरण पेश करने का निर्देश दिया। यह आदेश हाईकोर्ट के कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश राजेश बिंदल व न्यायाधीश राजर्षि भारद्वाज के डिवीजन बेंच ने दिया।
केन्द्र के अधिवक्ता के जवाब से संतुष्ट नहीं हाईकोर्ट
कलकाता हाईकोर्ट के वरीष्ठ अधिकवक्ता कल्याण कुमार चक्रवर्ती ने दाखिल पीएलआई के बावत बताया कि बंगलादेश की सीमावर्ती क्षेत्र हिली तक नए रेल संपर्क बनाने के लिए 2010 में केंद्र के रेल मंत्रालय ने काम शुरू किया था। इस दौरान कई संपर्क पुल का निर्माण किया गया था। उन्होंने कहा कि रेलवे ने वहां पर करीब 40 फीसदी काम पूरा कर लिया है। शुरुआत इस परियोजना तेजी से काम होने के बाद काम धीरे-धीरे बंद कर दिया गया, और अभी पूरी तरह बंद है। श्री चक्रवर्ती ने कहा कि इस परियोजना के पूरी हो जाने से सिर्फ संपर्क व्यवस्था ही नहीं, वाणिज्यिक रूप से भी बालूरघाट समेत उत्तर बंगाल का विकास होता। उन्होंने कहा कि इस अधूरी परियोजना को जल्द पूरा करने के लिए एक स्थानीय व्यक्ति ने हाईकोर्ट में मामला दायर किया था। सुनवाई के दौरान हाईकोर्ट का डिवीजन बेंच केंद्र के वकील के उत्तर से संतुष्ट नहीं हुआ। इसके बाद ही हाईकोर्ट ने केंद्र को हलफनामा पेश करने का आदेश दिया। इसके साथ ही राज्य सरकार से भी कहा है कि अगर कोई समस्या हो इस काम को पूरी करने में तो लिखीत रूप से राज्य सरकार भी जवाब दे।
अधूरे पीलर बता रहे विकास की कहानी
भारत के बालुरघाट से बंगलादेश की सीमा हिली को जोड़ने वाली ब्राडगेज के माध्यम से वर्ष 2010 से इस अंर्तराष्ट्रीय सीमा तक जाने वाली 29.60 किमी की महत्वाकाक्षी योजना का काम शुरू हुआ था। हलांकि इस परियोजना के अधिकतर काम पूरा हो चुका है। लेकिन केन्द्र और राज्य के कारण आज करीब 11 वर्ष पहले शुरू हुई यह परियोजना अधूरी है। हलांकि स्थानीय लोगों के अधार पर इस परियोजना के करीब 40-50 प्रतिशत काम को पूरा कर लिया गया। पुल के ढांचे को खड़ा कर दिया गया है। बावजूद इसके आज करीब एक बाद भी यह परियोजना अधूरी है। हलांकि इस महत्वाकांक्षी परियोजना के पूरे होने से स्थानीय व राष्ट्रीय स्तर पर व्यापार को बढ़ावा मिलता वहीं रोजगार के अवसर भी प्रदान होते है। जबकि गरीबी क कारण इस क्षेत्र को लोगों का पलायन देश के अन्य शहरों में होता है।इसके पूरा होने से मजदूरों के पलायन को रोका जा सकता है।
परियोजना पूरी होने से विकास को मिलती नई रफ्तार
दो देशों की अंर्तराष्ट्रीय सीमा तक जाने वाली मात्र 29.60 किमी बालुरघाट हिली परियोजना के पूरा होने से उत्तर बंगाल को विकास के रफ्तार को एक नई दिशा मिलती। लेकिन करीब 60 प्रतिशत अधूरी परियोना के पूरा करने में केन्द्र सरकार को एक दशक लग जाने के कारण आज भी स्थानीय लोगों में निराशा है। स्थानीय अध्यापक विरेन्द्र नाथ महतो ने कलकत्ता हाईकोर्ट में एक पीएल दाखिल कर कोर्ट से कहा कि इस परियोजना के अधूरा होने से यहां के विकास के रफ्तार पर ब्रेक लग गया है। हलांकि इस परियोजना के पूरी होने पर इस क्षेत्र के विकास के साथ-साथ दो देशों के बीच व्यापार को भी नई रफ्तार मिलता।