मेरे खून में उत्तर बंगाल की माटी महक, प्रारंभिक शिक्षा उत्तर बंगाल से मिली
दीदी का फैसला अचानक नहीं, अब यहीं मां, माटी मानुष की सेवा का अलख जगाउंगा
पवन शुक्ल, सिलीगुड़ी
मैं बंगाल की माटी और यहीं धरती की धरता पर पैदा हुआ हूं। हलांकि उच्च शिक्षा के बाद यहां से बस थोड़ा दूर हो गया था। लेकिन मेरा डीएनए पूरी तरह से बंगाल के चाय बगानों के माटी की सोंधी खुश्बू से ही है। प्रत्यक्ष रूप से जानने वालों की संख्या कम जरूर हो सकती है। परंतु मेरे नाम और मेरे परिवार से पूरा डुवार्स परिचित है। हलांकि मैं मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के मुझे सिलीगुड़ी की सेवा करने के फैसले के बाद आया हूं। लेकिन एक बात सत्य है अब मैं उत्तर बंगाल की धरती पर मां, माटी, मानुष की सेवा के लिए अब अलख जगाउंगा। मैं आप सभी से कहना चाहता हूं मैं यहा सिर्फ चुनाव जीतने ही नहीं बल्कि लोगों का भी दिल जीतने आया हूं। उक्त बातें तृणामूल कांग्रेस के सिलीगुड़ी प्रत्याशी प्रो. ओमप्रकाश मिश्रा ने कही।
उन्होंने बताया कि काफी दीन बाद आने के बावजूद भी लोगों में जो उत्साह देखने को मिल रहा है, मैं उससे अभिभूत हूं। लेकिन अब आपसे मिल रहे प्यार को लेकर चुनाव के नतीजे को लेकर मैं पूरी तरह से संतुष्ट हूं। एक सप्ताह के भ्रमण के बाद जो स्थिति उभर कर सामने आर्इ है, उससे साफ जाहिर होता है दीदी के प्रति आज भी लोग काफी उत्सुक है। दीदी ने उत्तर बंगाल में जो विकास के काम किया है उससे लोग पूरी तरह संतुष्ट है। उन्होंने बताया कि हलांकि मेरे आने के पहले लोग मुझे बाहरी कह रहे थे, लेकिन जब सच्चार्इ सामने आ गर्इ तो सभी लोग दीदी के फैसले का स्वागत कर रहे है। एक सवाल के जवाब में श्री मिश्रा ने बताया कि टिकट मिलने या ना मिलने का मलाल जिन्हें है। दरअसल उन्हें अधंकार में रखा गया करीब छह माह पहले से मुझे उत्तर बंगाल की जिम्मेदारी दी गर्इ थी। जिसे में पूरी तरह निर्वहन कर रहा था, चुनाव में टिकट का फैसला भी काफी पहले का था। श्री मिश्रा ने कहा कि एक बात मैं सिलीगुड़ी समेत उत्तर बंगाल की जनता को बतना चाहूंगा, चुनाव के नतीजे जो भी हो पर अब उत्तर बंगाल की धरती पर रह कर यहां के मां, माटी और मानुष की सेवा में अपनी बाकि का जीवन खापा दूंगा।
बताते चलें कि सिलीगुड़ी विधान सभा सीट ममता बनर्जी के लिए हमेशा महत्व पूर्ण रही है। वर्ष 2011 के विधान सभा चुनाव में जहां डा. रूद्र नरायण भट्टाचार्य को मैदान में उतार कर सफलता हासिल की। हलांकि उनकी बेदागछवि को लेकर कुछ खींचातानी के बाद दीदी ने उन्हें 2016 के चुनाव में टिकट नहीं दिया और भारतीय फुटबालर और टीम इंडिया के पूर्व कप्ताान बाईचुंग भूटिया को मैदान में उतार कर बाजी मारने की कोशिश नाकम रही। मिशन 2021 के लिए ड़वार्स के लाल को मैदान में उतार कर दीदी एक तीर से कई निशाना साधने की फिराक में है। हलांकि सिलीगुड़ी से सटे डाबग्राम फुलबाड़ी विधानसभा सीट पर तमाम सवालों पर विराम लगाते हुए फिर से गौतमदेव पर भाग्यु आजमाने का फैसला लेकर सबको चौंका दिया।