नारी सशक्तिकरण में मील का पत्थर साबित हो रही स्वास्थ्य और स्वावलंबन की योजनाएं
उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा नारी सशक्तिकरण की दिशा में लगातार बढ़ाए जा रहे अनोखे कदम
महिलाओं के लिए स्वरोजगार व स्वावलंबन की नई राहें खुलने की अब दिखने लगी उम्मीद
सरकारी योजनाओं का लाभ लेकर गांव—गांव में रोजगार बढ़ाने की पड़ रही नींव
एसपी सिंह, गोरखपुर (उत्तर प्रदेश)
नारी शक्ति का सम्मान किसी भी समाज के लिए सर्वोपरि होता है। इसी भावना का जश्न मनाने के लिए कल सोमवार को पूरे देश में महिला दिवस मनाया गया। वहीं, महिलाओं को आत्मनिर्भर और स्वावलंबी बनाने की दिशा में भी यूपी सरकार द्वारा लगातार नए आयाम स्थापित किए जा रहे हैं। जहां योगी सरकार के प्रयासों का ही नतीजा है कि शिक्षा, स्वास्थ्य और स्वावलंबन की योजनाएं नारी सशक्तिकरण में मील का पत्थर साबित हो रही हैं। वहीं स्वर्ण जयंती कार्यक्रम के तहत स्वयं सहायता समूह, राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन, मनरेगा व कौशल विकास मिशन से महिलाओं के लिए स्वरोजगार व स्वावलंबन की नई राहें खुलने की उम्मीद हैं। वहीं, अब शासन द्वारा महिला सशक्तिकरण की दिशा में प्रयास तेज होने लगे हैं।
समूह चलाकर स्वरोजगार पैदा कर रहीं अंजू
गोरखपुर जिले के जंगल कौड़िया के फुलवरियां की रहने वाले कृपा नरायण की पत्नी अंजू देवी बताती हैं कि उनके पति किसान हैं। परिवार में अब तक आए के कोई अन्य श्रोत नहीं थे। जिसकी वजह से पूरे परिवार का विकास थम सा गया था, लेकिन इस बीच उत्तर प्रदेश सरकार की योजनाओं के बारे में जानकारी हुई और वे वर्ष 2018 से समूह बनाकर महिलाओं को जोड़ने लगीं। अंजू देवी के मुताबिक उनके समूह में कुल 11 महिलाएं हैं। जो सरकार की योजना के तहत बैंक से सीसी लिमिट लेकर अब गृह उद्योग भी शुरू कर चुकी हैं। उन्होंने बताया कि अभी समूह की अधिकांश महिलाओं के जीवन में प्रकाश आ गया है और वो लगातार अन्य महिलाओं को जोड़कर गांव में पैदा हो रहे स्वरोजगार को बढ़ावा दे रहीं हैं। अंजू देवी कहती हैं कि जिस तरह यूपी सरकार महिलाओं के प्रति लगातार बढ़ावा दे रही है, उसी तरह अगर कुछ अन्य स्वंयसेवी संस्थाएं भी गांव की महिलाओं से जुड़ें तो जल्द ही गांव भी किसी शहर से कम नहीं होगा, साथ ही अब ग्रामीणों को रोजगार के लिए शहर में नहीं जाना होगा।
खाने को नहीं थे पैसे, अब दूध बेचकर खुशी से चल रहा परिवार
गोरखपुर के सिंहोरवा शेषपुरवा की रहने वाली मनोरमा देवी के लिए पीएम स्वामित्व योजना किसी वरदान से कम नहीं है। मनोरमा के मुताबिक कोरोना काल के दौरान खाने तक के लाले पड़ गए थे। मजदूरी मिलती नहीं, आए के कोई अन्य श्रोत नहीं थे। ऐसे में मेरे लिए पीएम स्वामित्व योजना किसी वरदान से कम नहीं है। मनोरमा ने बताया कि योजना के तहत परिवार को 10 हजार रुपए का लोन मिला। जिसके तहत उन्होंने कुछ पैसा और लगाकर एक भैंस खरीदी। भैंस से रोजना करीब 8 लीटर दूध होता है।
जिसे बेचकर परिवार को गुजारा चलने लगा। किसी के आगे अब हाथ नहीं फैलाना पड़ता। उन्होंने बताया कि गांव की महिलाओं से जुड़कर समूह भी चला रही हैं। जिसके तहत जल्द ही कुछ महिनों में और पैसे मिलेंगे। ऐसे में अब और भैंसों की संख्या बढ़ाकर डेयरी को बढ़ावा दिया जाएगा। मनोरमा ने बताया कि उनके लिए सबसे खुशी की बात यह है कि अब उन्हें मजदूरी करने किसी और के खेत में नहीं जाना पड़ता, बल्कि अब परिवार चलाने के लिए उनके पास स्वंय का एक रोजगार है। जिसे जल्द ही और बढ़ाया जाएगा।
सरकारी नौकरी त्याग चुनौतियों का किया सामना
गोरखपुर शहर की प्रियंका का बीमा क्षेत्र में नाम जाना-माना है। सरकारी नौकरी छोड़कर प्रियंका ने चुनौतीपूर्ण काम चुना और बेहतरीन काम करके पुरस्कार भी प्राप्त किया। राज्यपाल आनंदी बेन पटेल उन्हें सम्मानित कर चुकी हैं। अब मुख्यमंत्री कोरोना योद्धा पुरस्कार के लिए चुना गया है। इसी महीने मुख्यमंत्री प्रियंका को सम्मानित करेंगे। शाहपुर गीता वाटिका निवासी प्रियंका ने इंजीनियरिंग की पढ़ाई की है। इंजीनियर रहीं, फिर सरकारी शिक्षक बन गईं। काम चलने लगा, लेकिन प्रियंका को कुछ संतुष्टि नहीं मिली। प्रियंका ने सरकारी नौकरी छोड़ दी। इसके बाद बीमा क्षेत्र में भविष्य संवारने का फैसला किया। बीमा अभिकर्ता बनकर काम शुरू किया तो ऊंचाइयों पर पहुंच गईं। कोरोना संकट के बीच प्रियंका ने अभूतपूर्व काम करके सम्मान हासिल किया। अब उत्तर प्रदेश व उत्तराखंड के सर्वश्रेष्ठ बीमाकर्ता के रूप में चुनी गई हैं। सामान्य तौर पर यह क्षेत्र पुरुषों का माना जाता है, लेकिन अपनी कार्यकुशलता से प्रियंका ने इस धारणा को गलत साबित किया है। कार्मल गर्ल्स इंटर कॉलेज से इंटरमीडिएट करने वाली प्रियंका ने सेंट्रल इंस्टीट्यूट ऑफ प्लास्टिक इंजीनियरिंग (सीपेट) से बीटेक की डिग्री हासिल की है। बीटीसी भी किया है। गुरुग्राम जाकर एक बहुराष्ट्रीय कंपनी में नौकरी की।
घर का सपना हुआ पूरा
गोरखपुर शहर के घोषकंपनी के रहने वाले मिर्जा जाकिर बेग की पत्नी नाजिया मुख्यमंत्री आवास योजना के तहत मकान पाकर फूले नहीं समा रहीं हैं। उन्होंने बताया कि पूरा परिवार किराए के मकान में जीवन यापन करता आया है। इस बीच कुछ दिनों पहले सरकारी योजना के तहत उन्होंने मकान के लिए अप्लाई किया था। लकी ड्रा में उनका नाम निकलने के बाद वह दिन उनके लिए किसी सपने से कम नहीं था। नाजिया ने बताया कि उनके परिवार या पति ने कभी सपने में भी नहीं सोचा था कि कभी खुद का भी कोई आशियाना होगा। लेकिन मुख्यमंत्री आवास योजना के तहत शहर के मानबेला में मिले मकान से अब खुद के घर का सपना भी पूरा हो गया। उन्होंने बताया कि मकान के लिए महीने की किश्त भी काफी कम है, जो हम आसानी से जमा कर लेते हैं।