80 की उम्र में भी श्रोताओं पर छा जाते हैं संतोषानंद
फिल्म प्रेम रोग मुहब्बत है क्या चीज, क्रांति, शोर, रोटी कपड़ा और मकान के हिट गीतकर रहे संतोषानंद
संतोष जी इंडियन आइडल के शो पर आए थे 21/02/2021 को, अपनी ज़िंदगी से जुड़े कुछ भावुक पल दर्शकों के साथ साझा करते हुए भावुक हो गए, गायिका नेहा कक्कड़ ने भेंट स्वरूप 5 लाख रु देने का कहा तो संतोष जी ने कहा,"धन्यवाद बेटी! पर मैं बहुत स्वाभिमानी हूँ किसी से पैसा नहीं लेता भले ही पैसे की तंगी हो, फिर नेहा ने कहा अपनी पोती समझ के रख लीजिए, तो संतोष जी ने भावुक होते हुए हामी भर दी
पवन शुक्ल, सिलीगुड़ी
हाथों में कंपन, लेकिन, जुबां से निकलते एक-एक शब्द में जवानी की वहीं खनक पिरोने वाली शख्सियत का नाम है संतोषानंद। एक ऐसे गीतकार जिन्होंने कविता को गीतों की धार दी। अपने गीतों के माध्यम से पूरी दुनिया में प्रेम और सौहार्द बांटने की कसक आज भी उनके मन में है। यही कारण है कि लाखों दिलों पर गीतों के माध्यम से राज करने वाले इस शख्स को जब मंच मिलता है तो दिल की हलचलें हिलोरें मारने लगती हैं। रोटी-कपड़ा-मकान, क्रांति और प्रेमरोग जैसी सुपरहिट फिल्मों के गीतकार संतोषानंद भावुक हो उठते हैं कहते हैं, 'तुम्ही से प्यार करता हूं, तुम्ही पर जान देने आया हूँ। आखिरी वक्त हैं इम्तिहान देने आया हूं।' अंदाज निराला, हर शब्द प्रेम की चाशनी से घुला हुआ।
बीते शनिवार को प्रख्यात गीतकार गुमनामी के अंधेरे से निकलकर वह जब मुंबई में एक टीवी के रियलटी शो में पहुंचे तो पूरा माहौल गमगीन हो गया। जीवन की खट्टी मिठी यांदों को संजोए जब वह हाले दिल बयां किए तो पूरा माहौल आसुंओं की धार में डूब गया। गीत की दुनियां से करोड़ों दिलों पर राज करने वाले संतोषानंद की हालत आज खराब जरूर है, पर स्वाभिमान आज 80 की उम्र में जिंदा है। फिल्म जगत में एकलौते ऐसे गीत कार हैं जो आज गमनामी के अंधेरें जी रहे।
संतोष आनंद का जन्म 5 मार्च 1940 को सिकंदराबाद में हुआ। युवा अवस्था में ही एक दुर्घटना में ये एक टांग से विकलांग हो गए थे। शादी के दस साल बाद बड़ी मन्नतों से इन्हें पुत्र प्राप्त हुआ। इनके बेटे का नाम संकल्प आनंद हैं, और एक बेटी शैलजा आनंद हैं। संकल्प गृह मंत्रालय विभाग में कार्यरत थे। संकल्प ने अपने पिता को बगैर बताएं शादी कर ली थी। अक्टूबर 2014 में संकल्प आनंद ने अपनी पत्नी के साथ खुदख़ुशी कर ली थी। तीन दशक से अधिक लंबे समय तक बेहतरीन गीतों को लिखने वाले संतोषानंद की हालत आज खुद के लिखे गीत के जैसी है।
‘’जो बीत गया ओ दौर ना आएगा, इस दिल में तेरे सिवा को कोई और ना आएगा।
घर फूंक दिया हमने अब राख उठानी है, जिंदगी और कुछ भी नहीं तेरी मेरी कहानी है।
न्याय व पदमश्री ना मिलने का मलाल
करीब तीन दशकों तक गीतों की रचनाकर के गीतों को लता मंगेशकर, मुकेश, महेंद्र कुमार, मोहम्मद अजीज, कुमार सानू, कविता कृष्णमूर्ति जैसे अनेक गायकों ने आवाज दी। जिसमें कई गीतों ने सुपरहीट के साथ आज भी जीवंत है। हिंदी फिल्मों के शोमैन कहे जाने वाले राज कपूर, मनोज कुमार जैसे अभिनेताओं की फिल्मों के लिए गीतों की रचनाएं की। दु:खद यह की भारत सरकार ने उनको पदम श्री के लिए नहीं चुना ! वहीं उनके पुत्र व पुत्रवधु की आत्महाया के पीछे के कारणों को गृह मंत्रालय ने क्या करवाही की ? यह मलाल तो संगीत के सुरों में अपने गीतों के शब्द को पिराने वाले लेखक तो रहेगी ही। वहीं भावुक कर देने वाले गीत लिखने वाले संतोष आनंद जी को पूरा भारतीय समाज कभी नहीं भूल सकता। उनके अनमोल योगदान को बॉलीवुड को भी कभी नहीं भूलना चाहिए।
मालूम हो कि संतोषानंद को पहली बार 1974 में मनोज कुमार की फिल्म 'शोर से शोहरत मिली। यह सुपरहिट गीत था-एक प्यार का नगमा है। 1974 में मनोज कुमार की सुपरहिट फिल्म रोटी कपड़ा और मकान के लिए 'मैं ना भूलूंगी. व और 'नहीं बस गम के प्याले और नहीं...' लिखा तो फिल्म उद्योग इनका मुरीद हो गया। गीतों के लिए उन्हें फिल्मफेयर अवार्ड भी मिले। देशभक्ति गीतों की तो शृंखला ही चल पड़ी। फिल्म 'क्रांति' के गीत जिंदगी की ना टूटे लड़ी., चना जोर गर्म. आदि भला कौन भूल सकता है। 1982 में फिल्म 'प्रेम रोग के गीत 'मुहब्बत है क्या चीज...' और 'ये गलियां ये चौबारा... हर युवा की जुबां पर थे। 1985 में मेरा जवाब, 1991 में नागमणि, 1992 में संगीत, प्यासा सावन, शोर और सूर्या जैसे हिट फिल्मों के लिए गाने लिखे। वहीं 'बीमार हो गई दुनिया, बेकार हो गई दुनिया। मरने लगी शरम अब तो, बिकने लगे सनम जैसे सुपह हिट गीत के साथ संतोषानंद जीते जी और मरने के बाद भी सदियों तक अगर रहेंगे।
संतोषानंद की प्रसिद्ध रचनाएं
• मुहब्बत है क्या चीज....(फ़िल्म: प्रेम रोग)
• इक प्यार का नगमा है।.... (फ़िल्म: शोर)
• जिंदगी की ना टूटे लड़ी .... (फ़िल्म: क्रांति)
• मारा ठुमका बदल गई चाल मितवा .... (फ़िल्म: क्रांति)
• मेधा रे मेधा रे मत जा तू परदेश (फ़िल्म: प्यासा सवान)
• मैं न भूलूंगा, इन रस्मों को, इन कसमों को (फ़िल्म: रोटी कपड़ा और मकान)
• ओ रब्बा कोई तो बताए (फ़िल्म: संगीत)
• आप चाहें तो हमको (फ़िल्म: संगीत )
• जिनका घर हो अयोध्या जैसा (फ़िल्म: बड़े घर की बेटी)
• दिल दीवाने का ढोला (फ़िल्म: तहलका)
• जिंदगी की ना टूटे लड़ी( फ़िल्म: क्रांति)
• चना जोर गरम....(फ़िल्म: क्रांति)
• ये शान तिरंगा (फ़िल्म: तिरंगा)
• पीले पीले ओ मोरे राजा... (फ़िल्म: तिरंगा)
• मैंने तुमसे प्यार किया ...(फ़िल्म: सूर्या)
फिल्म फेयर अर्वाड
• संतोष आनंद (1975)
• संतोष आनंद (1983)