अम्मा अब इंसानों को नहीं देखा पाउंगा...!
पवन शुक्ल, सिलीगुड़ीः गजराज.!, श्रीगणेश.! जैसे अनेक नाम है। भारतीय पुरातन संस्कृती हाथी को अहम स्थान दिया गया है। केरल का मल्लापुरम जहां मानवता के क्रूरता की एक भयानक घिघौनी हरकत भी सामने आयी है। जबकि केरल के सभी कार्यों में पूजा, रैली समेत अनेक हाथियों का उपयोग होता है। आज केरल का मल्लपुरम सुखिर्यों में है, कारण “ एक जानवर की जान आज इंसानों ने ली है, चुप क्यों है संसार“ वह एक साथ मां व उसके पेट में पल रहे बच्चे की.! जो एक कल्पना में अगर दोनों की बात हुर्इ तो शायद यही कहा होगा।“अम्मा अब इंसानों को नहीं देखा पाउंगी.!“ कल्पना की ये बातें कितनी हृदय विदारक है, यह सिर्फ एक “मां“ ही समझ सकती है। लालच इंसान को इतना कठोर बनाती है.! इससे दर्दनाक उदाहरण नहीं हो सकता.! सुलगता सवाल यह है कि केरल मल्लपुरम आखिर इस घटना को लेकर खामोश...! बात बात पर अवार्ड वापसी करने वाले लोगों की मानवता कहा है...! इस घाटना को लेकर मानवता जागी है, तब केन्द्र सरकार हरकत में आयी। केरल के मल्लापुरम की इस घाटन को लेकर सिलीगुड़ी महिला काव्य मंच के कुछ सदस्यों ने अपनी राय काव्य में माध्यम से रखी।
जानवरों के लिए मौत की बस्ती है केरल का मल्लापुरमः मेनका गांधी