चाय की प्याली मंत्रालय के फरमान का तूफान

नेपाल की चाय लाने के लिए कठीन मानकों से गुजरना होगा

दार्जिलिंग के चाय में मिलावट हमारे ब्रांड के लिए खतराः राजू बिष्ट

वाणिज्य व उघोग मंत्रालय ने लिया संज्ञान, बिना अनुमित के नहीं आएगी नेपाली चाय

विश्व प्रसिद्ध दार्जिलिंग की चाय में नेपाल की चाय मिलावटी को केन्द्र सरकार ने लिया संज्ञान   

पवन शुक्ल, सिलीगुड़ी

दार्जिलिंग के वादियों को खूबसूरती जितनी बेहतर, उससे अधिक स्वादिष्ट वहां की चाय है। आज पूरी दुनिया में सबसे अधिक कीमत पर कोर्इ चाय बिकती है तो दार्जिलिंग टी। वहीं नेपाल की आबोहवा भी दार्जिलिंग से मिलती है। इसलिए नेपाल की चाय को दार्जिलिंग चाय में बेचे जाने से दार्जिलिंग के बाजार पर असर पड़ने लगा है। दार्जिलिंग के चाय बाजार में सरकार के इस फरमान से रौनक देखाने को मिलेगी। जिसकों देखते हुए केन्द्र सरकार ने दार्जिलिंग के सांसद व भाजपाके राष्ट्रीय प्रवक्ता राजू बिष्ट के अनुरोध पर नया फरमान केन्द्रीय वाणिज्य व उद्योग मंत्री पियूष गोयल ने नया फरमान जारी किया है। जारी फरमान में वाणिज्य मंत्रालय ने कह कि अब कोर्इ भी चाय सीधे भारतीय बाजार में नहीं आएगी। नेपल की चाय को अब विभिन्न मानकों से गुजरना होगा। अब जो भी नेपाल की चाय भारत में आएगी उसे भारतीय खाद्य बोर्ड ने खाद्य सुरक्षा मानक (पैकेजिंग और लेबलिंग) विनियम, 2011 के प्रावधानों के अनुपालन के लिए सभी पंजीकृत खरीदारों और लाइसेंस प्राप्त वितरकों को निर्देश जारी किया है। इस बावत सांसद श्री बिष्ट ने कह कि मेरे अनुरोध के बाद से वाणिज्य मंत्रालय ने संज्ञान लेते हुए जारी आदेश में कहा है कि भारतीय बाजारों में प्रवेश की अनुमति देने से पहले अन्य देशों की चाय के किसी भी आयात को भारतीय खाद्य सुरक्षा और मानक प्राधिकरण (FSSAI) से उचित मंजूरी लेनी अनिर्वाय कर दिया गया है। वहीं यह सुनिश्चित कराना होगा, कि केमिकल युक्त चाय कही आयात तो नहीं हो रही है। जो आज मुझे यह बताते हुए खुशी हो रही है कि भारतीय खाद्य बोर्ड ने खाद्य सुरक्षा मानक (पैकेजिंग और लेबलिंग) विनियम, 2011 के प्रावधानों के अनुपालन के लिए सभी पंजीकृत खरीदारों और लाइसेंस प्राप्त वितरकों को निर्देश जारी किया है। यह सुनिश्चित करेगा कि आयातित चाय का उपयोग करने वाले भारतीय चाय पैकर्स को अपने पैकेट में चाय को 'आयातित' घोषित करना होगा। FSSAI से अनुरोध किया गया है कि वे भारत में ऐसी चाय की अनुमति न दें जो FSSAI के अनुरूप नहीं हैं और परीक्षण मापदंडों में कोई ढील नहीं दी जाती है। चाय आयातकों को गैर-अनुपालन से बचने के लिए एक दूसरे देश में उत्पादों की अनुमति देने से पहले चाय बोर्ड (टी एंड डिस्ट्रीब्यूशन) और टी काउंसिल द्वारा क्लीयरेंस सर्टिफिकेट जारी किया जाना चाहिए। वहीं भारत में आयातित चाय बेचते समय थोक विक्रेताओं, पैकर्स और खुदरा विक्रेताओं द्वारा मूल के देश को निर्दिष्ट करना अनिवार्य होगा। वहीं सांसद राजू बिष्ट ने दार्जिलिंग के चाय उत्पदाकों से अनुरोध किया है कि नेपाल और अन्य देशों से चाय के अवैध आयात और भ्रामक प्रचार के प्रति सतर्क रहें। इस तरह की धोखाधड़ी गतिविधियों में लिप्त किसी को भी संबंधित अधिकारियों को सूचित करने की आवश्यकता है। क्योंकि दार्जिलिंग चाय की मिलावट हमारे ब्रांड दार्जिलिंग के लिए खतरा पैदा करती है और यह चाय उद्योग से जुड़े लोगों की पीढ़ियों द्वारा लगाई गई मेहनत को भी खतरे में डालती है, जिन्होंने दार्जिलिंग चाय को अपनी अच्छी प्रतिष्ठा और विश्वव्यापी पहचान दिलाई है।