रक्षा के क्षेत्र आत्‍म निर्भर बनेगा भारत : राजनाथ सिंह

'आत्‍मनिर्भर भारत' के लिए रक्षा मंत्रालय की बड़ी पहल

न्‍यूज भारत, नई दिल्‍ली : प्रधान मंत्री के आत्मनिर्भर भारत के लिए  आह्वान किये है। इसक्रम में भारत 'आत्मनिर्भर भारत' अभियान के क्षेत्र में रक्षामंत्रालय ने एक विशेष आर्थिक पैकेज की घोषणा की गई है। रक्षा मंत्रालय अब 'आत्मनिर्भर भारत' पहल के लिए एक बड़ा फैसला लिया गया है। रक्षा उत्पादन निर्माण के क्षेत्र स्वदेशीकरण को बढ़ावा देने के साथ ही 101 से अधिक रक्षा वस्तुओं पर आयात पर वैन लगा दिया गया है। अब इन रक्षा उपकरों का निर्माण भारत में ही होगा। यह बातें रक्षामंत्री राजनाथ सिंह ने पहले एक पत्रकार वार्ता नहीं होने के बाद ट्वीट कर कही। उन्‍होंने अपने ट्वीट में कहा कि घरेलू और विदेशी रक्षा उपकरण के खरीद में वर्ष 2020-21 के लिए बजट में परिवर्तन किया गया है। जो चालू वित्त वर्ष में घरेलू पूंजीगत खरीदारी के लिए लगभग 52,000 करोड़ रुपये की योजना के लिए एक अलग से बजट बनाया गया है। वहीं आयात के लिए अन्य उपकरणों को सभी विषेशज्ञों के परामर्श से और सही पहचाना के बाद ही डीपीए में बनाया जाएगा। ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि नकारात्मक सूची की कोई भी वस्तु भविष्य में आयात के लिए मंजूरी ना मिल सके। रक्षा उपकरों के आयात पर प्रतिबंध को 2020 से 2024 के बीच में लागू करने की योजना है। हमारा उद्देश्य भारतीय रक्षा उद्योग को सशस्त्र बलों की जरूरी आवश्यकताओं के बारे में बताना है ताकि वे स्वदेशीकरण के लक्ष्य को महसूस करने के लिए बेहतर रूप से तैयार हों।इनमें से लगभग 1,30,000 करोड़ रुपये की वस्तुएं सेना और वायु सेना के लिए अनुमानित हैं। जबकि नौसेना द्वारा लगभग 1,40,000 करोड़ रुपये की वस्तुओं का अनुमान लगाया जाता है। जो 'आत्मनिर्भर भारत' के लिए अप्रैल 2015 से अगस्त 2020 के बीच लगभग 3.5 लाख करोड़ रुपये की अनुमानित लागत पर ऐसी सेवाओं की लगभग 260 योजनाओं को तीनों सेनाओं द्वारा अनुबंधित किया गया था। ऐसा अनुमान है कि अगले वर्ष के भीतर लगभग 4 लाख करोड़ रुपये के अनुबंध घरेलू उद्योग पर रखे जाएंगे। भारत के भीतर विभिन्न गोला-बारूद और उपकरणों के विनिर्माण के लिए भारतीय उद्योग की वर्तमान और भविष्य की क्षमताओं का आकलन करने के लिए सशस्त्र बलों, सार्वजनिक और निजी उद्योग सहित सभी योजनाएं कई दौर के परामर्श के बाद सूची एमओडी द्वारा तैयार की गई है। वहीं यह निर्णय भारतीय रक्षा उद्योग को अपने स्वयं के डिजाइन और विकास क्षमताओं का उपयोग करके या सशस्त्र बलों की आवश्यकताओं को पूरा करने के डीआरडीओ द्वारा डिजाइन और विकसित तकनीकों को अपनाकर स्‍वदेशी वस्तुओं के निर्माण का एक बड़ा अवसर प्रदान करेगा