राजवंशी और कामतापुरी में रामायण-गीता का अनुवाद कर पद्मश्री से सम्मानित हुए सिलीगुड़ी के नागेंद्र नाथ रॉय

• स्थानीय भाषाओं में धर्मग्रंथों का अनुवाद कर सांस्कृतिक धरोहर को दी नई पहचान
• राजवंशी और कामतापुरी समुदायों में आध्यात्मिक जागरूकता फैलाने में अहम भूमिका
एनई न्यूज भारत,सिलीगुड़ी, 27 मई :  उत्तर बंगाल की सांस्कृतिक विरासत को नई पहचान दिलाने वाले माटीगाड़ा, सिलीगुड़ी निवासी नागेंद्र नाथ रॉय को राजवंशी और कामतापुरी भाषाओं में रामायण और भगवद गीता के अनुवाद के लिए पद्मश्री सम्मान से सम्मानित किया गया है।
नागेंद्र नाथ रॉय ने वर्षों के शोध और समर्पण से इन दोनों धार्मिक ग्रंथों का अनुवाद उत्तर बंगाल की प्रमुख स्थानीय भाषाओं — राजवंशी और कामतापुरी — में किया, जिससे इन क्षेत्रों के लाखों लोगों को अपनी मातृभाषा में आध्यात्मिक ग्रंथों के अध्ययन का अवसर मिला। यह कार्य केवल साहित्यिक उपलब्धि ही नहीं, बल्कि सांस्कृतिक पुनर्जागरण की दिशा में भी एक महत्वपूर्ण योगदान माना जा रहा है।
 
उनके इस अनूठे योगदान ने न केवल स्थानीय भाषाओं की महत्ता को रेखांकित किया है, बल्कि भारत की बहुभाषी संस्कृति को भी सशक्त किया है। राजवंशी और कामतापुरी समुदायों में उनके कार्य को अत्यधिक सराहा जा रहा है।
राष्ट्रपति भवन में आयोजित एक भव्य समारोह में उन्हें पद्मश्री से सम्मानित किया गया, जहाँ उन्होंने यह सम्मान देश की भाषाई विविधता और लोकसंस्कृति को समर्पित किया।