• अनुसंधान क्षेत्र में राज्य विश्वविद्यालयों की चुनौतियाँ रहीं चर्चा का केंद्र
• प्रो. टंडन ने दिए नीति-स्तर पर सुधार के व्यावहारिक सुझाव
एनई न्यूज भारत,लखनऊ: दिनांक 27–28 मई, 2025 को राजभवन, लखनऊ में नीति आयोग के राज्य समर्थन मिशन के अंतर्गत आयोजित उच्च स्तरीय परामर्श बैठक “अनुसंधान एवं विकास (R&D) को सरल बनाना” में दीन दयाल उपाध्याय गोरखपुर विश्वविद्यालय (डीडीयूजीयू) की कुलपति प्रो. पूनम टंडन ने भाग लेते हुए राज्य विश्वविद्यालयों की समस्याओं को राष्ट्रीय मंच पर प्रभावी ढंग से प्रस्तुत किया।
उत्तर प्रदेश की राज्यपाल आनंदीबेन पटेल की अध्यक्षता में आयोजित इस महत्वपूर्ण बैठक में नीति आयोग के सदस्य, देश के प्रमुख अनुसंधान संस्थानों के प्रमुख, विश्वविद्यालयों के कुलपति, प्रमुख फंडिंग एजेंसियों के प्रतिनिधि तथा अन्य नीति-निर्माताओं ने भाग लिया। बैठक का उद्देश्य अनुसंधान के क्षेत्र में आने वाली चुनौतियों के समाधान और नीति, प्रशासन, वित्तपोषण एवं संस्थागत ढांचे को मजबूत करने की दिशा में ठोस रणनीति बनाना था।
प्रो. टंडन ने उठाए ये प्रमुख मुद्दे
प्रो. पूनम टंडन ने राज्य विश्वविद्यालयों की ओर से प्रतिनिधित्व करते हुए अनुसंधान से जुड़ी कई अहम समस्याओं पर प्रकाश डाला:
SERB–SURE परियोजनाओं में देरी: उन्होंने बताया कि डीडीयूजीयू के 25 अनुसंधान प्रस्ताव जो एक वर्ष पूर्व जमा किए गए थे, बिना किसी निर्णय के यह कहकर लौटा दिए गए कि अब मूल्यांकन ANRF द्वारा होगा। उन्होंने ऐसे विलंब को शोधकर्ताओं के लिए निराशाजनक बताया और इस प्रक्रिया में पारदर्शिता व समयबद्धता की मांग की।
अंतर्राष्ट्रीय शोध सहयोग के लिए पहल: प्रो. टंडन ने जर्मनी, जापान, फ्रांस और अमेरिका जैसे देशों की फैलोशिप योजनाओं का उदाहरण देते हुए भारत में भी विदेशी शोधकर्ताओं को आकर्षित करने वाली योजनाएं शुरू करने का सुझाव दिया।
अनुदान का वार्षिक कैलेंडर: उन्होंने फंडिंग एजेंसियों से अनुसंधान अनुदान वितरण की स्पष्ट समय-सारिणी बनाए जाने का अनुरोध किया ताकि शोध कार्य योजनाबद्ध रूप से संचालित हो सकें।
छात्रवृत्ति में समानता की मांग: राज्य विश्वविद्यालयों के शोधार्थियों को केंद्रीय विश्वविद्यालयों के समान छात्रवृत्ति देने की आवश्यकता पर भी उन्होंने जोर दिया।
बैठक में उठे व्यापक विषय
बैठक में “Ease of Doing R&D” को बढ़ावा देने हेतु प्रशासनिक सुधार, वित्तपोषण तंत्र को सुदृढ़ बनाना, शोध संस्थानों की क्षमता वृद्धि तथा नीतिगत व ढांचागत परिवर्तनों की आवश्यकता जैसे विषयों पर गहन चर्चा की गई।
प्रो. पूनम टंडन के सुझावों को उपस्थित विशेषज्ञों ने गंभीरता से लिया और सराहना की। उन्होंने राज्य विश्वविद्यालयों की आवाज को नीति-निर्माण की प्रक्रिया में सशक्त रूप से प्रस्तुत किया।