• एमएमएमयूटी बनाएगा अपना उपग्रह, इसरो की मदद से अंतरिक्ष में होगा प्रक्षेपण
• इसरो की मदद से अंतरिक्ष में जाएगा एमएमएमयूटी का उपग्रह
• विश्वविद्यालय में शुरू होंगे स्पेस टेक्नोलॉजी और रोबोटिक्स के नए पाठ्यक्रम
एनई न्यूज भारत,गोरखपुर: मदन मोहन मालवीय प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय (एमएमएमयूटी) अंतरिक्ष प्रौद्योगिकी में एक नया इतिहास रचने की दिशा में अग्रसर है। विश्वविद्यालय अपनी पहली उपग्रह परियोजना की शुरुआत करने जा रहा है, जिसके तहत एमएमएमयूटी एक क्यूबसैट नैनोसैटेलाइट का निर्माण करेगा और इसे भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) की सहायता से अंतरिक्ष में प्रक्षेपित करेगा।
इस महत्वाकांक्षी परियोजना के लिए विश्वविद्यालय ने विभिन्न विभागों के विशेषज्ञों की एक टीम गठित की है। इस टीम का नेतृत्व इलेक्ट्रॉनिक्स एवं कम्युनिकेशन इंजीनियरिंग विभाग के डॉ. विजय कुमार वर्मा कर रहे हैं, जो पूर्व में इसरो में कार्यरत रह चुके हैं। उनके अलावा डॉ. प्रतीक, डॉ. प्रज्ञेय कुमार कौशिक, डॉ. शलभ कुमार मिश्र, डॉ. एस. पी. मौर्य, डॉ. दीपेश कुमार मिश्र और डॉ. रवि प्रकाश त्रिपाठी भी इस टीम का हिस्सा हैं।
एमएमएमयूटी का उपग्रह 10x10x30 सेमी आकार का होगा और इसका वजन 10 किलोग्राम से कम रहेगा। इस पर करीब एक करोड़ रुपये की लागत अनुमानित है। इसमें उच्च क्षमता वाला मल्टीस्पेक्ट्रल कैमरा तथा विभिन्न पर्यावरणीय सेंसर लगाए जाएंगे, जो तापमान, आर्द्रता, वायु गुणवत्ता, बाढ़ और मौसमी बदलावों की जानकारी देंगे। उपग्रह को लोअर अर्थ ऑर्बिट (LEO), यानी पृथ्वी से 300 से 400 किलोमीटर की ऊंचाई पर स्थापित किया जाएगा।
सैटेलाइट के निर्माण के लिए विश्वविद्यालय परिसर में एक क्लीन रूम की स्थापना की जाएगी, वहीं इसके संचालन के लिए एक ग्राउंड स्टेशन भी विश्वविद्यालय में ही स्थापित होगा। सैटेलाइट के निर्माण और प्रक्षेपण हेतु एमएमएमयूटी इसरो से संपर्क में है, और जल्द ही औपचारिक स्वीकृति की प्रतीक्षा की जा रही है।
इस परियोजना के वित्त पोषण के लिए विश्वविद्यालय अपने संसाधनों के साथ-साथ भारत सरकार के इलेक्ट्रॉनिक्स एवं सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय से भी सहायता प्राप्त करने की योजना बना रहा है। उम्मीद की जा रही है कि मंत्रालय की ओर से इस अभिनव प्रयास को सहयोग मिलेगा।
केवल उपग्रह निर्माण ही नहीं, विश्वविद्यालय अंतरिक्ष प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में शिक्षण और अनुसंधान केंद्र के रूप में भी स्थापित होने की योजना बना रहा है। इसी कड़ी में शैक्षणिक सत्र 2025-26 से बी.टेक. पाठ्यक्रम में स्पेस टेक्नोलॉजी में माइनर डिग्री की शुरुआत होगी, जबकि 2026-27 से एम.टेक. में इंटेलिजेंट एवियानिक्स एंड स्पेस रोबोटिक्स की पढ़ाई शुरू की जाएगी।
एमएमएमयूटी के इस कदम से न केवल पूर्वांचल, बल्कि पूरे देश को अंतरिक्ष प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में नई दिशा और गति मिलेगी।