डब्लूवीसीएस से हिंदी हटाने को लेकर विरोध प्रदर्शन

• डुआर्स-तराई आदिवासी स्टूडेंट फोरम का हिंदी हटाने के खिलाफ विरोध

• हिंदी भाषा को हटाने के विरोध में छात्र-छात्राओं की रैली और धरना प्रदर्शन

• अलग उत्तर बंगाल राज्य की मांग को लेकर आंदोलन तेज करने की चेतावनी

एनई न्यूज भारत,सिलीगुड़ी: पश्चिम बंगाल पब्लिक सर्विस कमिशन द्वारा बंगला भाषा को अनिवार्य किए जाने और हिंदी भाषा को हटाने के विरोध में सोमवार को डुआर्स तराई आदिवासी स्टूडेंट फॉर्म (DTASF) के बैनर तले माल महकमा शासक कार्यालय के समक्ष जोरदार धरना एवं विरोध प्रदर्शन किया गया।

सैकड़ों की संख्या में आदिवासी छात्र-छात्राएं और युवा मालबाजार बस स्टैंड परिसर में एकत्र हुए और वहां से एक रैली निकाल कर सरकार के खिलाफ जमकर नारेबाजी की। रैली महकमा शासक कार्यालय तक पहुंची, जहां पुलिस ने सुरक्षा के मद्देनजर प्रदर्शनकारियों को कार्यालय गेट के बाहर ही रोक दिया।

प्रदर्शन के दौरान छात्र-छात्राओं ने गेट के बाहर धरना दिया। किसी प्रकार की अप्रिय घटना न हो, इसके लिए मालबाजार थाने के आईसी सौम्यजीत मल्लिक स्वयं मौके पर मौजूद रहे। बाद में डुआर्स तराई आदिवासी स्टूडेंट फॉर्म के एक प्रतिनिधिमंडल ने माल महकमा शासक से मुलाकात कर ज्ञापन सौंपा।

संयोजक डॉ. जय प्रफुल लकड़ा ने कहा, “जिस भाषा में हम शिक्षित होते हैं, अगर उसे सरकारी परीक्षाओं से हटा दिया जाए, तो हमारे अस्तित्व पर संकट आ जाएगा। हमारी मांग है कि हिंदी, नेपाली, संथाली और उर्दू भाषाओं को भी सरकारी नौकरी परीक्षाओं में मान्यता दी जाए। प्रश्नपत्र हिंदी भाषा में भी उपलब्ध हों।”

उन्होंने आगे कहा कि यह समस्या तब तक हल नहीं होगी जब तक उत्तर बंगाल को अलग राज्य का दर्जा नहीं दिया जाता। “हर बार हिंदी भाषा को दबाने की कोशिश होती है, इसलिए हमारा संगठन तराई और डुआर्स को मिलाकर एक अलग राज्य की मांग करता है,” डॉ. लकड़ा ने कहा।

उन्होंने बताया कि माल महकमा शासक से सकारात्मक बातचीत हुई है और उन्होंने मुख्यमंत्री तक मांग पत्र पहुंचाने का आश्वासन दिया है।