मैं पहलगाम, कश्मीर में निर्दोष पर्यटकों पर हुए जघन्य और अमानवीय हमले से बहुत स्तब्ध और दुखी हूं, जिसके परिणामस्वरूप 26 लोगों की दुखद हानि हुई और कई अन्य घायल हो गए। इस क्षेत्र की प्राकृतिक सुंदरता और सांस्कृतिक विरासत की सराहना करने के लिए आने वाले व्यक्तियों को निशाना बनाकर हिंसा का यह संवेदनहीन कृत्य पूरी तरह से निंदनीय है और मानवता और करुणा के मूल्यों के बिल्कुल विपरीत है।
आतंक के ऐसे कृत्य न केवल पीड़ितों और उनके परिवारों को अत्यधिक पीड़ा पहुंचाते हैं, बल्कि उनका उद्देश्य उस शांति और सद्भाव को भी बाधित करना है जो किसी भी क्षेत्र की समृद्धि के लिए आवश्यक है। वे उन अनगिनत व्यक्तियों की आजीविका को खतरे में डालते हैं जो पर्यटन पर निर्भर हैं और उस देश की छवि को धूमिल करते हैं जो अपने आतिथ्य और गर्मजोशी के लिए जाना जाता है।
मैं पीड़ितों के परिवारों के प्रति अपनी गहरी संवेदना व्यक्त करता हूं और घायलों के शीघ्र एवं पूर्ण स्वस्थ होने की कामना करता हूं। यह जरूरी है कि इस अत्याचार के अपराधियों को तुरंत न्याय के कठघरे में लाया जाए। मैं अधिकारियों से सभी नागरिकों और आगंतुकों की सुरक्षा सुनिश्चित करने और शांति और सह-अस्तित्व के लिए क्षेत्र की प्रतिबद्धता में विश्वास बहाल करने के लिए सभी आवश्यक उपाय करने का आग्रह करता हूं।
आइए हम आतंक के ऐसे कृत्यों के खिलाफ एकजुट हों और शांति, सहिष्णुता और आपसी सम्मान के सिद्धांतों को बनाए रखने के अपने सामूहिक संकल्प की पुष्टि करें।
जी.एस. होरा
सीए
मैं पर्यटक पर हुए हमले की निंदा करता हूं. ऐसी घटनाएं अस्वीकार्य हैं और सुरक्षा और सुरक्षा के लिए एक महत्वपूर्ण खतरा पैदा करती हैं। अधिकारियों को आगंतुकों और स्थानीय लोगों की भलाई सुनिश्चित करने के लिए तत्काल कार्रवाई करनी चाहिए। पीड़ित और उनके परिवार को सहायता प्रदान करना महत्वपूर्ण है, और अपराधियों को न्याय के कटघरे में लाने के लिए गहन जांच की जानी चाहिए।
पीएम मोदी द्वारा की गई तत्काल कार्रवाई का पुरजोर समर्थन करता हूं.
संदीप घोषाल
निर्देशक
ब्राइट एकेडमी स्कूल
पहलगाम में निर्दोष यात्रियों के ऊपर हुई बर्बरता से मैं बहुत आहत और आक्रोशित हूँ। ऐसा नहीं होना चाहिए था। कई वर्षों बाद कश्मीर घाटी में जो शांति का माहौल बना था, उस पर यह बहुत बड़ा आघात है। कश्मीर एक लोकप्रिय पर्यटन स्थल है, जहाँ हर भारतीय की यह इच्छा होती है कि वह वहाँ जाकर खूबसूरत वादियों का आनंद ले। इसी कारण हर साल हजारों की संख्या में पर्यटक वहाँ जाते हैं और वहाँ की मनमोहक वादियों और मौसम का आनंद लेते हैं।
लेकिन धर्म के नाम पर किया गया यह नरसंहार — हिंदुओं को पहचान कर मारना — अत्यंत दुखद और स्तब्ध करने वाली घटना है। यह मानवता पर कलंक है।
20 मार्च 2000 को जम्मू-कश्मीर के छत्तीसिंहपोरा गाँव में ऐसी ही एक घटना हुई थी, जहाँ आतंकवादियों ने सिखों को पहचान कर निर्ममता से मार दिया था। तब भी हम सभी बेहद आहत थे।
ऐसी घटनाएँ न केवल मानवता के लिए शर्मनाक हैं, बल्कि देश की अखंडता और एकता को भी चुनौती देती हैं। हमें आपसी मतभेद भुलाकर, हिंदू-मुस्लिम की राजनीति से ऊपर उठकर, घाटी के लोगों के साथ कंधे से कंधा मिलाकर खड़े होने की ज़रूरत है। देश में फिर से सौहार्दपूर्ण वातावरण बनाने की आवश्यकता है, ताकि मानवता और धर्म दोनों की रक्षा हो सके।
हमें यह भी सुनिश्चित करना होगा कि भविष्य में ऐसी घटनाएँ न दोहराई जा सकें। इसके लिए सुरक्षा में हुई चूक की गंभीरता से जाँच की जानी चाहिए। प्रधानमंत्री जी द्वारा लिया गया फैसला निश्चित ही पाकिस्तान को एक सख्त जवाब होगा, लेकिन हमें यह भी पक्का करना होगा कि पाकिस्तान या कोई और दुश्मन ताकत ऐसी हरकत दोबारा करने की हिम्मत न जुटा सके।
सरबजीत सिंह चावला
व्यवसायी
एक व्यवसायी होने के नाते, मैं पहल्गाम में हुए कायराना आतंकी हमले की कड़ी निंदा करता हूं। इस प्रकार की हिंसा न केवल निर्दोष लोगों की जान लेती है, बल्कि हमारे देश की एकता, शांति और विकास के प्रयासों पर भी आघात पहुँचाती है।
पहल्गाम, जो अपनी सुंदरता और पर्यटन के लिए विश्व प्रसिद्ध है, आज आतंकवाद के इस क्रूर चेहरे का शिकार हुआ है। यह हम सभी के लिए अत्यंत दुखद और पीड़ादायक है।
इस कठिन समय में हम पीड़ितों और उनके परिवारों के साथ पूरी एकजुटता से खड़े हैं। साथ ही, हम अपने सुरक्षा बलों के साहस और बलिदान को भी सलाम करते हैं।
हिंसा के सामने हम कभी नहीं झुकेंगे। हमारा संकल्प है कि हम शांति, प्रेम और आर्थिक विकास के मार्ग पर निरंतर आगे बढ़ते रहेंगे।
जय हिंद
प्रणय गोयल
निदेशक
जिगा इनोवेशन प्राइवेट लिमिटेड
व्यवसायी व समाज सेवक
पहलगाम में आतंकियों ने जिस तरह साधारण लोगों को उनके धर्म की पहचान कर आक्रमण किया है, ये उनकी मानसिकता को दर्शाता है। वो भारत की बढती हुई अर्थव्यवस्था ओर ताकत को खत्म करना चाहते है। जम्मू- कश्मीर भारत की अर्थव्यवस्था योगदान दे रहा था और बहुत साल बाद जम्मु- कश्मीर जीवनशैली में वापस आ रहा था। धर्म पूछकर किये गए पहलगाम के आतंकी हमले से पर्यटन उद्योग पर बहुत बुरा असर पड़ेगा।
आतंकियों का उद्देश्य न केवल लोगों को नुकसान पहुंचाना है, बल्कि देश की अर्थव्यवस्था और सामाजिक समरसता को भी बिगाड़ना है।
जम्मू-कश्मीर की अर्थव्यवस्था में पर्यटन उद्योग का महत्वपूर्ण योगदान है, और इस तरह के आतंकी हमले से इस उद्योग पर नकारात्मक प्रभाव पड़ सकता है।
मनोज अग्रवाल
व्यवसायी व समाज सेवक
22 अप्रैल की घटना ने देश को झकझोर दिया: क्या भारत में हिंदू होना अपराध है?
22 अप्रैल की हृदयविदारक घटना ने मुझे और पूरे देश को झकझोर कर रख दिया है। एक नवविवाहित हिंदू जोड़ा, जो खुशी के पल बिताने निकला था, निर्दोष भाव से शिकार बना। सवाल उठता है — क्या अपने ही देश में हिंदू होना अब अपराध बन गया है?
इस दर्दनाक घटना ने आम जनता के दिलों को तोड़ दिया। एक महिला की पुकार — "मुझे भी मार दो" — और जवाब में मिला दर्दनाक उत्तर — "तुम मेरे लिए जीओ" — ने पूरे समाज को झकझोर दिया।
सरकार ने त्वरित कार्रवाई करते हुए दोषियों पर शिकंजा कसा, जिसके लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और उनकी सरकार को बधाई दी जानी चाहिए। ऐसे अपराधियों को ऐसी सजा मिलनी चाहिए कि आने वाली कई पीढ़ियां कांप उठें। यह भी विचारणीय है कि कुछ लोग इस अवसर पर राजनीति कर रहे हैं। क्या उनका विरोध वास्तव में न्याय के लिए है या महज अपनी रोटी सेंकने का साधन? इस पर भी देशवासियों को सोचने की जरूरत है।
दुख इस बात का है कि कई मुस्लिम देशों में भी ऐसी घटनाएं नहीं होतीं, जबकि भारत में आतंक का रक्तबीज अब भी मौजूद है। जब तक आतंक की जड़ को पहचान कर नष्ट नहीं किया जाएगा, तब तक शांति असंभव है। सरकार द्वारा सुरक्षा व्यवस्था को लेकर लिए गए निर्णय स्वागत योग्य हैं। जब तक सांप का फन नहीं कुचला जाता, तब तक वह बार-बार डसता रहेगा। अब समय आ गया है कि आतंकवाद का संपूर्ण नाश हो और भारत पुनः शांति, प्रेम और भाईचारे का देश बने।
अर्चना शर्मा
प्रधानाचार्य
हिन्द बालिका विद्यापीठ स्कूल
पहलगाम में निर्दोष पर्यटकों पर हुआ यह कायरतापूर्ण हमला मानवता पर गहरी चोट है।
जो लोग प्रेम, शांति और सुंदरता की तलाश में हमारे देश के खूबसूरत हिस्सों की यात्रा करते हैं, उन पर इस तरह का अत्याचार असहनीय है।
हम इस दुःखद घटना की घोर निंदा करते हैं और शहीदों के परिजनों के प्रति अपनी गहरी संवेदना प्रकट करते हैं।
समाज में नफरत और हिंसा फैलाने वाली ताकतों को कभी सफल नहीं होने दिया जाएगा।
आइए हम सब मिलकर प्रेम, एकता और भाईचारे के मूल्यों को और अधिक मजबूती से अपनाएं।
ईश्वर घायल लोगों को शीघ्र स्वस्थ करें और दिवंगत आत्माओं को शांति प्रदान
आरटीएन रवीन्द्र कुमार जैन
परोपकारी

22 अप्रैल को पहलगाम में हुए आतंकवादी हमले की खबर से यह स्पष्ट होता है कि यह पूरी तरह से एक धर्म विरोधी हमला था, जिसमें खासतौर पर हिंदू पर्यटकों को निशाना बनाया गया। सवाल उठता है कि वहां मौजूद मुसलमानों पर हमला क्यों नहीं किया गया? यदि हमला करने वाला वास्तव में आतंकवादी होता, तो वह धर्म देखकर निशाना नहीं बनाता। पहलगाम का यह हमला एक सामान्य आतंकी हमला नहीं, बल्कि एक गजवा हिंद हमला था, जहां साफ तौर पर हिंदुओं को टारगेट किया गया। इसी तरह, मुर्शिदाबाद में भी हिंदू विरोधी घटनाएं सामने आईं, जहां मंदिर तोड़े गए और हिंदुओं को निशाना बनाया गया। यह घटनाएं केवल आतंकवाद नहीं हैं, बल्कि धर्म के आधार पर किए गए हमले हैं। जब सामने वाला पक्ष हिंदू-मुस्लिम कर रहा है, तो हमें भी सच्चाई को पहचानना चाहिए। आज के समय में कुछ नेता आतंकवादी कहकर असली मुद्दे को छुपाने की कोशिश कर रहे हैं और मुस्लिमों को बचाने का प्रयास कर रहे हैं। लेकिन आज का हिंदू जाग चुका है और अब वह सब कुछ सहन नहीं करेगा। हाल ही में कोलकाता में एक परिवार पर हमला हुआ, जहां हमलावरों को छोड़ दिया गया, यह भी एक बड़ी चूक थी। आने वाले समय में पूरा देश इन सच्चाइयों को समझेगा कि ये घटनाएं पूरी तरह से धर्म विरोधी हैं। इसके साथ ही, मैं मोदी सरकार को धन्यवाद देना चाहूंगा कि उन्होंने त्वरित कार्रवाई कर सख्त कदम उठाए हैं
जितेंद्र सरीन
खाद्य अधिकारी
पहलगाम में हुए घिनौने आतंकी हमले ने हमारे दिलों को झकझोर दिया है। ऐसे कायराना हमले हमारे देश की शांति और अखंडता पर हमला हैं। इसे किसी भी सूरत में सहन नहीं किया जा सकता। कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकवादी हमले ने एक बार फिर से निर्दोष नागरिकों की जान-माल को हानि पहुँचाई है। यह कायरतापूर्ण कृत्य न केवल मानवता के मूलभूत सिद्धांतों के खिलाफ है, बल्कि हमारे समाज की शांति और स्थिरता को चुनौती देता है।
हम इस बर्बर घटना की कड़ी और कठोर शब्दों में निंदा करते हैं और इस कठिन समय में पीड़ितों के परिवारों के प्रति अपनी गहरी संवेदनाएं व्यक्त करते हैं। उनके दुख में पूरा देश साथ खड़ा है।
आतंकवाद किसी भी रूप में अस्वीकार्य है। इसे समर्थन देने वाले तत्वों के खिलाफ कठोर कार्रवाई होनी चाहिए। हमारे सुरक्षा बलों ने हमेशा अदम्य साहस और समर्पण दिखाया है, और हमें विश्वास है कि इस चुनौती का सामना करते हुए वे अपराधियों को उनके अंजाम तक पहुंचाएंगे।
हम कश्मीर की जनता से अपील करते हैं कि वे एकजुट रहें और आतंकवाद के खिलाफ एक सशक्त संदेश दें। भारत की विविधता, एकता, और लोकतांत्रिक मूल्य हमारी सबसे बड़ी ताकत हैं, और हम किसी भी प्रकार की हिंसा को इन्हें कमजोर करने की अनुमति नहीं देंगे।
हम केंद्र और राज्य सरकार से आग्रह करते हैं कि वे पीड़ितों और उनके परिवारों को हर संभव सहायता प्रदान करें और इस तरह की घटनाओं की पुनरावृत्ति रोकने के लिए प्रभावी कदम उठाएं।
आतंकवाद के खिलाफ एकता और शांति का संकल्प ही हमारी सच्ची ताकत है।
मनीष साह
प्रगति एक सामाजिक क्रांति
अध्यक्ष
