250 करोड़ के जीएसटी फर्जीवाड़े में एक गिरफ्तार

लोन के नाम पर लोगों से लेता था कागजात बनताा था जीएसटी फर्म, करता था धोखाधड़ी
एनई न्यूज़ भारत सिलीगुड़ी
  केंद्रीय वास्तु एवं सेवा कर (सीजीएसटी) सिलीगुड़ी कमिश्नरेट ने  करीब ढाई सौ करोड़रुपएये जीएसटी फर्जी बारे में हैदराबाद निवासी राजकुमार को सोमवार को गिरफ्तार किया।  राजकुमार को गिरफ्तार करने के बाद उसे मजिस्ट्रेट के समक्ष पेश किया गया,  लेकिन  अदालत है उसकी बेल खारिज कर दी और 15 दिन  के लिए उसे जेल भेज दिया गया। हालांकि यह गिरफ्तारी धोखाधड़ी मामले कै लिंक मैन के रूप में हुई है, लेकिन मुख्य आरोपी की तलाश कि जा रही है।
सीजीएसटी सिलीगुड़ी से मिली जानकारी के अनुसार
कोलकाता सीजीएसटी एवं सीएक्स जोन के प्रधान मुख्य आयुक्त के कार्यालय से प्राप्त इनपुट, जिसे सिलीगुड़ी सीजीएसटी एवं सीएक्स आयुक्तालय के मुख्यालय एंटी-इवेजन यूनिट के अधिकारियों द्वारा आगे विकसित किया गया। कुछ जीएसटी आईएन धारकों के घोषित व्यावसायिक स्थानों पर तलाशी ली गई, जिसमें कोई व्यावसायिक गतिविधि नहीं पाई गई। संबंधित व्यक्तियों के यहां भी तलाशी ली गई और उन व्यक्तियों के बयान भी सीजीएसटी अधिनियम, 2017 के प्रावधानों के तहत दर्ज किए गए ताकि तथ्य और कर चोरी के तौर-तरीकों को इकट्ठा किया जा सके।
सीएसटी सिलीगुड़ी के  अब तक की जांच में यह तथ्य सामने आया है कि कुछ व्यावसायिक संस्थाएं जीएसटीएन में पंजीकृत हैं, जो ऐसे व्यक्तियों के क्रेडेंशियल का उपयोग कर रही हैं। जिन्हें ऋण की आवश्यकता थी और उन्होंने ऋण की स्वीकृति के लिए अपने दस्तावेज और प्राप्त ओटीपी को साझा किया। इसके अलावा, कुछ व्यावसायिक संस्थाएं ऐसी भी पाई गई हैं, जिनके लॉग इन क्रेडेंशियल भी ऐसे व्यक्तियों से संबंधित थे, जिन्हें ऋण की आवश्यकता थी। ऋण व्यवसाय में काम करने वाले दलाल, दलालों की अगली श्रृंखला को विवरण भेज रहे थे।

जीएसटी चोरी किसी भी हाल में बर्दाश्त नहीं: डॉक्टर जितेश नागोरी



इस गिरफ्तारी के बावत सिलीगुड़ी सीजीएसटी कमिश्नर डा. जितेश नागोरी  नै कहा कि किसी भी हाल में कर छोरी के मामले को बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। खासकर आईटीसी रिफंड मामले में किसी प्रकार की कोताही बर्दाश्त नहीं की जाएगी।
उन्होंने बताया कि जांच के दौरान इस फर्जीवाड़े कै  कार्यप्रणाली की पहचान क गई, और यह देखा गया है कि फर्जी फर्म बनाई गई हैं। जबकि घोषित व्यापारिक स्थानों पर कोई व्यावसायिक गतिविधियां नहीं पाई गईं। इसके साथ हि प्रथम दृष्टया, माल और सेवाओं की आपूर्ति और प्राप्ति का पता नहीं चला है। ये फर्म ज्यादातर पिछले कुछ महीनों में पंजीकृत हुई हैं और उनके द्वारा जारी किए गए ई-वे बिलों की संख्या में अचानक वृद्धि हुई है। कई फर्मों के पास कागज पर भी कोई आवक आपूर्ति नहीं थी और उन्होंने सीधे जीएसटीआर-3 बी में धोखाधड़ी से आईटीसी का लाभ उठाया, जिसे अन्य फर्जी फर्मों के माध्यम से आगे बढ़ाया गया। ऐसे उदाहरण सामने आए हैं जहां माल और सेवाओं की वास्तविक आपूर्ति के बिना बिलों की खरीद का पता चला है जिसमें दलालों के माध्यम से इन फर्मों से कर मूल्य का 6% से 10% तक ब्रोकरेज शामिल है। इस कार्यालय ने 35 से अधिक फर्मों के रैकेट की पहचान की है, जहां पंजीकरण की प्रक्रिया दलालों द्वारा उस व्यक्ति की जानकारी के बिना ऋण की व्यवस्था करके की गई थी, जिसके दस्तावेजों का उपयोग पंजीकरण के लिए किया गया था।
डा.  जितेश नागोरी  ने बताया कि  अब तक ​​कर चोरी की राशि प्रथम दृष्टया, बिना किसी माल और सेवा की आपूर्ति के 250.00 करोड़ रुपये की आईटीसी का पता चला है। इसके अलावा, जांच के दौरान अब तक 34.00 करोड़ रुपये की वसूली की गई है। पता लगाने की राशि में वृद्धि होने की संभावना है।
जांच के दौरान, इस क्षेत्राधिकार के अंतर्गत आने वाले करदाताओं में से एक से संबंधित व्यक्ति को सीजीएसटी अधिनियम, 2017 की धारा 132(1)(सी) के प्रावधानों के तहत गिरफ्तार किया गया है। कार्यालय इस तरह की धोखाधड़ी गतिविधि में शामिल अन्य व्यक्तियों का पता लगाने के लिए आगे काम कर रहा है।