सशक्तीकरण की दिशा में बनाई गई योजनाओं को मुकम्मल बनाने के लिए मुकम्मल हो: डॉ अजय साव
एनई न्यूज भारत, सिलीगुड़ी
पश्चिमबंग हिंदी अकादमी द्वारा अकादमी के अध्यक्ष विवेक गुप्त की अध्यक्षता में 'स्त्री-सशक्तीकरण और सशक्त स्त्रियां' शीर्षक पर परिचर्चा के साथ अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस-2025 का आयोजन किया गया। अपने अध्यक्षीय के संबोधन में विवेक गुप्त ने कहा कि महिला सशक्तिकरण के लिए महिलाओं के प्रति सम्मान जरूरी है जिसे हम अपनी दिनचर्या का हिस्सा बनाएं। सशक्तीकरण सोच के बदलाव में सार्थक हो सकता है। इसी दिशा में महिला दिवस सार्थक होकर देश के प्रति एक स्वस्थ दृष्टि को विकसित कर पाएगा। विषय प्रवर्तन करते हुए अकादमी के सदस्य डॉ अजय कुमार साव ने कहा कि सशक्तीकरण के प्रति अपेक्षा भरी दृष्टि तभी सार्थक बन पाएगी जब आर्थिक आत्मनिर्भरता या फिर राजनीतिक सत्ता प्राप्त स्त्रियां अन्य स्त्रियों के सशक्तीकरण की दिशा में बनाई गई योजनाओं को मुकम्मल बनाने के लिए मुकम्मल हो, अन्यथा सशक्तीकरण महिला दिवस के नाम पर एक औपचारिकता बनकर ही रहेगा।
पूर्व शिक्षिका इंद्रजीत कौर ने कहा कि सशक्तिकरण एक सुखद अनुभव है जिसे सार्थक ढंग से दिनचर्या का हिस्सा बनने पर स्त्री समाज बेहतर समाज की ओर बढ़ सकता है। संचालन के दौरान शिक्षिका कुमारी रीता सिंह ने कहा कि स्त्रियां जब तक परिवार में एटीएम मशीन मानी जाएंगी तब तक उनका सशक्तीकरण दुर्लभ है। राजनंदिनी ने स्त्री पुरुष के भेद को दिनचर्या में समृद्ध बनते हुए दिखाया और कहा कि जब शरीर से मजबूती की अपेक्षा रखने वाले काम पुरुषों के लिए तय कर दिये जाते हैं, तब स्त्री और पुरुष के अंतर को कैसे मिटाया जा सकता है?
साहित्यकार डॉ वंदना गुप्ता ने कहा कि स्त्री-सशक्तीकरण के सारे प्रयास करियर, बदलती पारिवारिक संरचना और स्त्री के प्रति समाज की उत्पाद-दृष्टि मुख्य बाधाएं हैं। स्त्री सम्मान की जगह मुकम्मल इंसान की अपेक्षा रखें और समाज के निर्माण में सुदृढ़ भूमिका का निर्वाह करें, तभी सशक्त स्त्री का जीवन-बोध अनुकरणीय बन सकता है। प्राचार्य डॉ मीनाक्षी चक्रवर्ती ने बताया कि सशक्तीकरण की अवधारणा के तहत पितृसत्ता को कोसना एक रूढ़ि का पालन मात्र है। जरूरत है स्त्री संबंधी लिए गए सिद्धांतों को व्यवहार में लाने की। अन्यथा ना तो स्त्रियां सुरक्षित रहेंगी और ना ही सशक्त स्त्रियां समानता, स्वतंत्रता और सशक्तिकरण के आईने में मुकम्मल छवि बना पाएंगी।
डॉ श्याम सुंदर अग्रवाल ने सामाजिक-सांस्कृतिक चेतना से अधिक राजनीतिक जागरूकता को सशक्तीकरण के लिए जरूरी बताया। सशक्त स्त्री का औसत स्त्री के प्रति या स्त्री समाज के प्रति जो अंतर्मुखी रवैया देखने को मिलता है, यह स्त्री के प्रति स्त्री को ही एक विडंबना के रूप में अभिव्यक्त करता है। स्त्री कम से कम स्त्री के प्रति सशक्तीकरण की दृष्टि विकसित करें। प्राचार्य तापसी पाल बनिक ने सशक्तीकरण के लिए स्त्री समाज में परस्पर सहयोग को प्राणवत् बताया। कुरीतियों से आगे बढ़ते हुए परिवार को लैंगिक असमानता के संदर्भ में संस्कृत किए जाने की मांग की।
प्राचार्या नंदिता नंदी ने एक स्त्री को शिक्षित करना पूरे समाज को शिक्षित करें और स्त्री समाज के सशक्तीकरण में महत्वपूर्ण भूमिका निभाए। साहित्यकार डॉ मुन्नालाल प्रसाद ने सशक्त स्त्रियों को ही स्त्री के सशक्तिकरण में कुछ हद तक बाधक बताया। राजनीति में महिला आरक्षण कहीं ना कहीं परिवार के या दल के पुरुष वर्चस्व को ही अवकाश उपलब्ध कराता है जिसका विरोध किया जाना स्त्री सशक्तीकरण के लिए अनिवार्य है।
डॉ राजेंद्र प्रसाद सिंह ने धर्म और आस्था के नाम पर तथाकथित सशक्त स्त्रियों के पाखंडी बाबाओं की भीड़ में शामिल होने पर आपत्ति जताते हुए कहा कि सिर्फ आर्थिक और सामाजिक आत्मनिर्भरता के साथ सशक्तीकरण फलीभूत नहीं हो सकता। इसके लिए स्त्री समाज को वैचारिक कंगालीयत से मुक्त होना पड़ेगा। प्राचार्य अरिंदम चक्रवर्ती ने घर परिवार में मालकिन सदस्य द्वारा घरेलू महिला कामगारों के प्रति आचरण को अमानवीय बताया और कहा कि घर से स्त्री सशक्तीकरण के लिए सशक्त स्त्रियां अपनी इच्छा शक्ति को विकसित करें। प्राचार्य अर्चना शर्मा ने तीखे सवाल दागे कि क्या घरेलू महिलाएं भी सशक्त हो सकती हैं? आशय यह रहा कि घरेलू काम के प्रति सोच को बदलने में सशक्तीकरण का प्रस्थान बिंदु निर्मित हो सकता है। गीतांजलि राठौर ने परिवार में स्त्री के परस्पर संबंधों को पारंपरिक विद्वेष से बाहर निकाल कर जीने में परिवार को स्त्री की नजर से सशक्तीकरण की दिशा में जरूरी बताया। कवयित्री भारती बिहानी ने स्त्री को निर्णय के लिए किसी पर निर्भर रहने पर सशक्तिकरण को दिवस स्वप्न बताया।
शिक्षिका नम्रता त्रिपाठी ने स्त्री पुरुष की प्राकृतिक भिन्नता को स्वीकारते हुए सामानता और अधिकार के तहत सशक्तीकरण को संभव बताया। शिक्षक शंभू पांडे ने सशक्तीकरण के प्रस्थान को दांपत्य के वैचारिक साझेपन में संभावित बताया। इस अवसर पर मोदी पब्लिक स्कूल के डायरेक्टर जयंत पाल, मॉडेला केयरटेकर की प्राचार्या अभया बोस, गुंजन प्रसाद, अविनाश कुमार राव, शंभू पांडेय ,सुनम प्रसाद, कुंदन राय, प्रियंका जायसवाल, रेखा शाह, ज्योति भट्ट, रश्मि भट्ट, राजनंदिनी, मनीषा गुप्ता, निशु साहू, ज्योति श्रीवास्तव, दीपक पासवान, शिवम प्रसाद, देवाशीष राय, काजल दास, अंशु गुप्ता, काजल झा, निखिल साहनी, सुरेंद्र मिश्रा, फाल्गुनी सरकार, प्रियंका साह, अमित महतो, अभिषेक श्रीवास्तव, लक्ष्मी शाह, राम प्रकाश श्रीवास्तव उपस्थित रहे। कार्यक्रम का संचालन शिक्षिका कुमारी रीता सिंह, इंद्रजीत कौर और राजनंदिनी राय ने किया।