• ब्राइट एकेडमी ने बच्चों के बीच मनाया दो दिवसीय दुर्गा पूजा का उत्सव
• वहीं दूसरे दिन शिक्षक और छात्रों ने किया नृत्य की प्रस्तुती व मां दुर्गा के अवतार में दिखे शिक्षक और छात्र
एनई न्यूज भारत,सिलीगुड़ी:दुर्गा पूजा का पूर्व उस समय बंगाल से शुरु हुआ जो वर्तमान समय में बांग्लादेश है। इसी बांग्लादेश के ताहिरपुर में एक राजा कंसनारायण हुआ करते थे। कहा जाता है कि 1576 ई में राजा कंस नारायण ने अपने गांव में देवी दुर्गा की पूजा की शुरुआत की थी। दुर्गा पूजा का नाम सुनने से हमें बंगाल की याद आती हैं, पहली बार दुर्गा पूजा का शुरूआत बंगाल से हुआ था। और आज देश में ही नहीं बल्की विदेशों में प्रसिद्ध है दुर्गा पूजा का पूर्व।
सिलीगुड़ी के ब्राइट एकेडमी में बड़े ही धूमधाम व उत्साह के साथ मनाया गया दुर्गा पूजा का उत्सव, दुर्गा पूजा उत्सव से एक सप्ताह पहले से दुर्गा पूजा का विशेष आयोजन शामिल था। ब्राइट एकेडमी का एकभी उद्देश्य हमारे छात्रों को इस जीवंत त्योहार के महत्व और उसका विशेषता मालूम हो, ताकि वे अपने सांस्कृती के मूल्यों को समझ सकें। उत्सव की तैयारियों के दौरान, बच्चों ने शैक्षिक गतिविधियों में बढ़ चढ़कर हिस्सा लिया। जहाँ बच्चों ने मां दुर्गा के महत्व के बारे में जाना एक श्रृंखला आकर्षक ऑडियोविजुअल प्रस्तुतियों के माध्यम से, वहीं शिक्षकों ने कहानियाँ की प्रदर्शित किया, अच्छाई की बुराई पर विजय में उनके भूमिका को प्रमुखता दिया।
ब्राइट एकेडमी में दो दिवसीय मनाया गया दशहरा उत्सव जहां पहले दिन प्री-प्राइमरी कक्षाओं के साथ शुरू हुआ, वहीं दूसरे दिन प्राथमिक कक्षाओं के छात्रों का कार्यक्रम था। स्कूल परिसर में वातावरण खुशी से भरा हुआ था,क्योंकि बच्चे ढाक की लयबद्ध धुनों और गुजराती गरबा गीतों की जीवंत धुनों पर नृत्य करते दिखें।आनंदमय प्रदर्शन करते हुए, छात्रों ने महिषासुर मर्दिनी की कहानी सुनाई और देवी के नौ रूपों का चित्रण नृत्य प्रस्तुतियों के माध्यम से जानकारी प्राप्त किया। यह इंटरएक्टिव दृष्टिकोण से बच्चों को त्योहार के बारे में गहराइयों से जोड़ने में मदद करता है जबकि वह आनंद भी किया। ब्राइट एकेडमी अपने छात्रों का समृद्ध सांस्कृतिक विरासत के प्रति एक सराहना जगाने के लिए प्रतिबद्ध हैं। दशहरा का उत्सव सिर्फ एक कार्यक्रम नहीं बल्कि हमारे बच्चों के लिए परंपरा के साथ अपने संबंधों को मजबूत करना और हमारे त्योहारों में निहित मूल्यों को समझने का एक अवसर था। हम मानते हैं कि ऐसे अनुभवी बच्चों को सांस्कृतिक रूप से जागरूक व्यक्तियों में विकसित करने में महत्वपूर्ण हैं,और हम उन्हें हमारी संस्कृति विरासत से जोड़ने के नए तरीकों की खोज जारी रखेंगे।