डा जीतेश नागोरी बने सिलीगुड़ी सीजीएसटी के नये कमिश्नर

फर्जी इनपुट टैक्स क्रेडिट से बचें व्यापारीः डा जीतेश नागोरी  

आकाश शुक्‍ल

सिलीगुड़ीः सिलीगुड़ी नये सीजीएसटी के कमिश्नर डा जीतेश नागोरी व्यापारियों से अनुरोध भी किया कि किसी को जीएसटी टैक्स संबंधी कोई भी परेशानी हो तो वो सीधे आकर उपयुक्त अधिकारी से मिलें या फिर ईमेल के माध्यम से विभाग को सूचित करें। हमारी पूरी कोशिश रहेगी की यथासम्भव जल्दी से जल्दी उनकी समस्या का निवारण किया जाये। उक्‍त बातें सिलीगुड़ी के नये सीजीएसटी के कमिश्नर डा जीतेश नागोरी ने कही। हालांकि डा जितेश नागोरी काफी तेज तर्रार अधिकारियों की सूची में शामिल है। वहीं वह जीएसटी के कानून की तरह से कार्रवाई करने में विश्‍वास रखते हैं। इसस पहले वह गुजरात के गांधीनगर में सीजीएसटी कमिश्‍नर रह चुके हैं। हालांकि उनके कार्यो की चर्चा आज भी गुजरात के कई शहरों में होती रही है।

सिलीगुड़ी सीजीएसटी कमिश्‍नर बनाये जाने पर उन्‍होंने कहा नई जगह है कर बढ़ाने के लिए कुछ नया करने की जरूरत है। उन्‍होनें सीजीएसटी की चर्चा करते हुए कहा कि जीएसटी लाने के पीछे भारत सरकार की मंशा थी कि कारोबारियों  को केन्द्र सरकार और राज्य सरकारों द्वारा लगाये जा रहे विविध करों से निजात दी जाये और एक ही कर प्रणाली पूरे देश में  लागू हो। जीएसटी लागू होने के बाद कारोबारियों को आरम्भ में तो कुछ असुविधा हुई, जो कि किसी भी नई कर प्रणाली में अपेक्षित है, मगर धीरे धीरे चीजें सरल होती चली गयी। पिछले सात सालों में जीएसटी कर प्रणाली में लगातार सुधार किए गये हैं जिसका सीधा सीधा असर व्यापक होते टैक्‍स बेस और लगातार बढ़ते हुए कर संग्रह के रूप में देखा जा सकता है। इसके साथ साथ छोटे उद्यमियों का ध्यान रखते हुए सरकार ने एक निर्धारित मूल्य सीमा तक, उन्हें जी एस टी से राहत भी दी है।जीएसटी की सबसे अच्छी बात है कि यहाँ सब कुछ यहां सिस्‍टम बेस  है। किसी भी वस्तु या सर्विस की सप्‍लाई करने वाले व्यक्ति द्वारा दिया गया टैक्स स्वतः ही वापस  के खाते में आ जाता है जिसका उपयोग कर भुगतान में खुद के द्वारा किए जाने वाले कर  भुगतान के लिए कर सकता है। इनपुट टैक्स क्रैडित के इस्तेमाल के बाद जो भी कर देना शेष बचता है, उसी को कैश  में देना होता है।

वहीं, जो व्यापारी निर्यात से जुड़े हुए हैं उनके लिए भी यह कर प्रणाली बेहद उपयोगी है। एक निर्धारित समय सीमा के अन्दर,  उन्हें निर्यात की गयी वस्तुओं और सेवाओं पर लगने वाले करों  का रिफंड दे दिया जाता है । ये रिफंड  उनके बैंक खाते में स्वत चला जाता है। ये सारा काम सिस्‍टम बेस है और इसके लिए व्यापारी को जीएसटी कार्यालय भी नहीं  जाना पडता। वहीं, सरकार की पूरी कोशिश है कि उद्यमियों को इस कर प्रणाली से जुडी पूरी जानकारी समय समय पर दी जाये तथा उनकी रोजमर्रा की शिकायतों को वहीं पर दूर करें। इसके लिए हर कार्यालय में ग्राहक सेवा केन्‍द्र भी खोले गयें हैं तथा ईमेल के माध्यम से भी कारोबारी अपने शिकायतें अधिकारियों के पास दर्ज करवा सकते हैं। इसके अच्छे परिणाम देखने को मिले हैं। लेकिन इतना कुछ होते हुए भी कुछ लोग जाली इनवाइस  के आधारपर गलत इनपुट टैक्स क्रेडिट ले रहे हैं जिससे सप्‍लाई चेन  में रुकावट आती है और सरकार को टैक्स का नुकसान होता है। इस तरह की गलत कार्य ना व्यापारियों के हित में हैं ना राष्ट्र के। अतः ऐसे सब व्यापारियों से निवेदन है कि अपने थोड़े से लाभ के लिए अपनी विश्‍वसनियता  को दाव पर ना लगायें और इस कारण लगने वाली दडं से बचें ।

मिली जानकारी के अनुसार बंगाल में फर्जी इनपुट टैक्‍स लेने के आरोप में कोलकाता में कई व्‍यापारियों की हाल में ही गिरफ्तारियां हुई है।