बंगाल के सिंडिकेट में मची खलबली, सिंडिकेट से सुविधा शुल्क 50 हजार बढ़ायी
एनई न्यूज भारत, सिलीगुड़ी
देश मे गुटखा के होते प्रयोग को देखते हुए सुपारी करोबारियों की चांदी कट रही है। मोटी कमाई और सरकार को चूना लगाने के लिए सुपारी कारोबारी और तस्कर दोनों में आपसी सांसगाठ से बंगाल की सीमा धूपगुड़ी, फालाककाटा और कामाख्यागुड़ी से सुपारी के ट्रकों को फेक जीएसटी बिल के माध्यम से देश के अन्य शहरों को भेजा जा रहा है। सीजीएसटी सूत्रों की माने तो बीते करीब 6 माह पहले सिलीगुड़ी के सीजीएसटी ने तीन सुपारी की गाडि़यों को जब्त किया था, लेकिन करीब तीन माह तक सीजीएसटी कमिश्नर रहने के दौरान कोई ग्राहक नहीं आया और तीनों गाडि़यां फेकबिल पर जा रही थी। वहीं नये घटनाक्रम में उत्तर प्रदेश वस्तु एवं सेवा कर (यूपीजीएसटी) ने सुपारी के अवैध कारोबारियों पर नकेल कसना शुरू कर दिया है। सिर्फ जुलाई माह में यूपीजीएसटी ने करीब डेढ़ दर्जन सुपरी के ट्रकों को डिटेन किया और 100 प्रतिशत जुमाने के साथ छोड़ा था। बीते सप्ताह यूपीजीएसटी ने यूपी के बहराइच में गाड़ी संख्या आरजे 19,जीजे -2913 व एचआर 38, एई-6010 और लखनउ में बीआर 38,जीबी -0947 को जांच के लिए रोका गया है। इसके बाद से आन रोड करीब एक दर्जन गाडि़यों के पहिये वहीं, रूके हुए हैं। यूपीजीएसटी की इस कार्यवाही के बाद सिंडिकेट और सुपारी कारोबारियों में हड़कंप मची है। वहीं, सिंडिकेट सूत्रों की माने तो यूपीजीएसटी की कार्रवाई से पहले सिंडिकेट 3 लाख 25 हजार प्रति गाड़ी लेता था, लेकिन यूपी में कार्रवाई के बाद 50 हजार बढ़ाकर अबसिंडिकेट की राशि 3 लाख 75 हजार हो गई है।
सूत्रो से मिली जानकारी मिली है उसके अनुसार उत्तर बंगाल के रास्ते सालाना 600 करोड़ से अधिक की सुपारी की तस्करी सड़क मार्ग और ट्रेन से हो रही है। इस खुलासे से सुपारी तस्करी से जुड़े तस्करों में खलबली मची हुई है। सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार प्रतिदिन 40 से 50 ट्रकों से कोलकाता समेत उत्तर प्रदेश, दिल्ली, मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़, महाराष्ट्र, पंजाब समेत विभिन्न प्रांतों में ले जाया जाता है। प्रत्येक ट्रक में करीब 50 टन सुपारी लदी होती है। इसकी कीमत करीब 50 से 55 लाख रुपये बिल में दर्शाया जाता है, लेकिन इसकी वास्तविक कीमत करीब एक करोड़ के आसपास होती है।
तस्करी की सुपारी भी जाती है बेरोकटोक
इंडोनेशिया से म्यांमार के चंपाई व टियाहू नामक अंतरराष्ट्रीय सीमा से भारतीय सीमा में सुपारी की तस्करी की जाती है। फिर उसे इंफाल, दीमापुर, सिल्चर में डंप किया जाता है। वहां से इसे सड़क मार्ग से कंटेनर से 90 किलोग्राम के बोरे में लाया जाता है। उसके बाद 50 किलोग्राम के बोरे में पैकिंग करने के बाद तस्करों के खुद के तैयार ट्रांसपोर्ट के माध्यम से भारतीय बाजारों में भेजा जाता है। तस्करी की सुपारी का सबसे बड़ा खरीददार उत्तर प्रदेश के कानपुर के नयागंज और ऐशबाग व महाराष्ट्र का नागपुर है।
मोटी कमाई का लोभ
बताया गया कि पूर्वोत्तर के विभिन्न राज्यों और उत्तर बंगाल के तराई -डुवार्स क्षेत्र में दो लाख से अधिक परिवार सुपारी उत्पादन से जुड़े हुए है। यहां का उत्पादित सुपारी की कीमत 350 से 400 रूपये किलोग्राम तक होती है। इंडोनेशिया से म्यांमार के रास्ते आ रही सुपारी की कीमत 250 से 275 रूपये किलोग्राम तक है। इसे तस्करों द्वारा भारतीय बाजार और गुटका व पान मसाला कारोबारियों के बीच 350 से 400 रूपये किलोग्राम के भाव बेची जाती है। मोटी कमाई के कारण या तस्करी रोकने वाले बंगाल सरकार के अधिकारियों की लापरवाही का ही परिणाम है कि यह धंधा बेरोक-टोक फल-फूल रहा है। वहीं अब सुपारी के कालेकारोबार पर नकेल कसने के यूपी जीएसटी नकेल कसना शुरू कर दिया है।