आकाश शुक्ल
एनई न्यूज भारत, कोलकाता : बंगाल एक ऐसा राज्य है, जहां करीब 70% अंतरराष्ट्रीय सीमाओं के साथ साझा करती है जिनमें भारत-बांग्लादेश, भारत-भूटान और भारत-नेपाल कि सीमाएं शामिल हैं। जिसके वजह से कई अपराधिक घटनाएं और तस्करी आए दिन होती रहती है। सीमा पर जवानों के चाक-चौबंद और पैनी नजरों कि वजह से आए दिन तस्कर के हौसलों को पस्त करने में कामयाबी मिल रही है। दक्षिण बंगाल कि अंर्तराष्ट्रीय सीमा क्षेत्रों से आए दिन तस्कर तस्करी को अंजाम देते हैं। जिनमें अवैध दवाईयां,दारू, सोना फिश बाल समेत अन्य कहीं सामग्री शामिल है जिसे बीएसएफ के जवानों के द्वारा जब्त किया जाता है। सोना एक ऐसे धातु है अगर एक टुकड़ा मिल जाए तो, आदमी लखपति बन सकता हैं। परंतु तस्कर सोने के तस्करी को आए दिन अंजाम देते रहते हैं।
बीएसएफ से मिली जानकारी के अनुसान पिछले 6 वर्षों सोना तस्करी में बहुत ही ज्यादा बढ़ोत्तरी हुई है। जहां आम आदमी सोना खरीदने के लिए सोचता है दिन रात मेहनत करके तब कही जा के छोटा सा सोने का हिस्सा खरीदता है परंतु तस्कर के लिए तो बाएं हाथ का खेल है सोना लेना। बीएसएफ दक्षिण फ्रंटियर से मिली जानकारी पैरों तले से ज़मीन खिसक जाती है। पिछले 6 वर्षों में 413 किलो सोना पकड़ा गया, जिसका आज के तारीख से अनुमानित कीमत 272,23,62,960.31 रुपए है। विशेषज्ञ ने बताया तस्कर के पीछे किसी बड़े तस्कर या किसी राजनेता का हाथ होता है क्योंकि इतना बड़ा रकम किसी आम आदमी के लिए जुगाड़ करना पहाड़ खोदने जैसा होता है। इस बात पर दक्षिण बंगाल फ्रंटियर के डीआइजी (जी) ए के आर्या ने बताया कि पिछले 6 वर्षों में 233 तस्कर पकड़े जा चुके हैं। हालांकि तस्करी किसी के लिए रोजी रोटी बन गया है तो किसी के लिए मज़बूरी बन गया है। वहीं बढ़ती मंहंगाई के वजह से लोग गलत रास्ता चुनते हैं इस के बाद लोगों के ऊपर कानूनी कार्रवाई होते हैं जबकि बीएसएफ आए दिन लोगों को सलाह देता है गलत रास्ता या तस्करी के अंजाम देने वाले को बक्शा नहीं जायेगा । बीएसएफ दक्षिण बंगाल फ्रंटियर ने पिछले 6 वर्षों में तस्करी के अंजाम को विफल कर दिया है। मगर बीएसएफ के सतर्क नजरों से कोई भी बचा नहीं पाया है। बीएसएफ जहां तस्करों को विफलता का स्वाद चखा रहि है और उनकी सफलता साराहनिया हैं। सीमांत क्षेत्रों के लोग अगर बीएसएफ को सटीक जानकारी देते हैं तो बदले में बीएसएफ में कुछ नगद ईनाम भी देती है।